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झारखंड हाइकोर्ट में बाबूलाल मरांडी की याचिका पर विधानसभा ने दी ये दलील

झारखंड विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय हेगड़े व अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि प्रार्थी बाबूलाल मरांडी की याचिका मेंटनेबल नहीं है.

झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने स्पीकर ट्रिब्यूनल द्वारा दल-बदल मामले में बगैर गवाही व बहस सुने फैसला जजमेंट पर रखने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दाैरान विधानसभा की ओर से बहस शुरू की गयी. मामले में सुनवाई जारी रही. इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक दिसंबर की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व झारखंड विधानसभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय हेगड़े व अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि प्रार्थी बाबूलाल मरांडी की याचिका मेंटनेबल नहीं है. कहा गया की किसी राजनीतिक दल का विलय करना या नहीं करना, यह विधानसभाध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है. दल-बदल का यह मामला 10वीं अनुसूची का है. इस मामले में स्पीकर ट्रिब्यूनल ने फैसला सुरक्षित रखा है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा गया कि जब मामला स्पीकर ट्रिब्यूनल में लंबित है, तब हाइकोर्ट को इस मामले को सुनने का अधिकार नहीं है. हाइकोर्ट द्वारा प्रार्थी की इस याचिका पर कोई आदेश पारित करना उचित नहीं होगा. प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता विजय प्रताप सिंह व अधिवक्ता विनोद कुमार साहू ने पक्ष रखा. वहीं प्रतिवादी दीपिका पांडेय सिंह की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया उपस्थित थे.

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रिट याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि 10वीं अनुसूची के तहत दल-बदल मामले की सुनवाई में झारखंड विधानसभा के स्पीकर के ट्रिब्यूनल ने बगैर उनकी गवाही व बहस सुने ही केस को जजमेंट पर रख दिया है. उनके मामले में नियम संगत सुनवाई नहीं हो रही है. उन्होंने कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है.

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