झारखंड: बाबूलाल मरांडी झारखंड बीजेपी के नये प्रदेश अध्यक्ष का आज लेंगे पदभार
भाजपा ने चुनावी वर्ष से पहले अपना पत्ता चल दिया है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए गठबंधन के सामने बड़ा चेहरा खड़ा कर दिया है. बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति की धुरी रहे हैं. भाजपा में वापसी के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व ने श्री मरांडी पर भरोसा जताया. विधायक दल का नेता बनाया.
रांची: झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी आज शनिवार को बीजेपी के नये प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करेंगे. रांची में आयोजित कार्यक्रम में ये पदभार लेंगे. आपको बता दें कि 4 जुलाई को दीपक प्रकाश की जगह इन्हें झारखंड की कमान सौंपी गयी थी. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (जगत प्रकाश नड्डा) ने बाबूलाल मरांडी को झारखंड बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. बाबूलाल मरांडी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं. फिलहाल बीजेपी विधायक दल के नेता भी हैं. लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने इन्हें नयी जिम्मेदारी सौंपी है.
1991 में भाजपा के मुख्यधारा से जुड़े थे बाबूलाल
भाजपा ने चुनावी वर्ष से पहले अपना पत्ता चल दिया है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए गठबंधन के सामने बड़ा चेहरा खड़ा कर दिया है. बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति की धुरी रहे हैं. भाजपा में वापसी के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व ने श्री मरांडी पर भरोसा जताया. विधायक दल का नेता बनाया. अब संगठन की जिम्मेवारी दी है. बाबूलाल बेहतर संगठनकर्ता रहे हैं. विश्व हिंदू परिषद से काम करते हुए वनांचल भाजपा में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी निभायी थी. वर्ष 1991 में भाजपा के मुख्यधारा से जुड़े. नब्बे के दशक में पूरे प्रदेश में संगठन को खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभायी. अटल-आडवाणी के समय से ही बाबूलाल को भाजपा ने झामुमो के सामने प्रोजेक्ट किया. वर्ष 1998 में दुमका से शिबू सोरेन, फिर दुमका से ही रूपी सोरेन को हराकर संताल परगना में भाजपा की जमीन तैयार कर की थी.
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बाबूलाल शिबू सोरेन को हराने के बाद आए सुर्खियों में
शिबू सोरेन को हराने के बाद बाबूलाल सुर्खियों में आये और इनका राजनीतिक कद बढ़ा. स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वर्ष 1999 में केंद्रीय वन पर्यावरण राज्य मंत्री बनाया गया. राज्य गठन के बाद तमाम अटकलों को दरकिनार कर बाबूलाल को पार्टी ने राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनाया. हालांकि तीन वर्षों में ही राजनीतिक उथल-पुथल में बाबूलाल को सत्ता से हटना पड़ा. भाजपा के अंदर दूरियां बढ़ीं और 2006 में अलग होकर झाविमो नाम की पार्टी बनायी. बाबूलाल के नेतृत्व में झाविमो झारखंड की राजनीति का एक कोण बन गया था.
झाविमो से बीजेपी में हुई वापसी
2019-20 में बाबूलाल की भाजपा में वापसी के साथ ही पार्टी के अंदर की राजनीति बदल गयी. वापसी के बाद बाबूलाल मरांडी प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ सर्वाधिक मुखर रहे. भाजपा ने उन्हें विधायक दल का नेता चुना, पर यह मामला अब तक कानूनी पचड़े में फंसा है. राजनीति के जानकार विधायक दल के नेता का मामला लटकाने को झामुमो की एक बड़ी राजनीतिक चूक मान रहे हैं. शायद इसीलिए भाजपा नेतृत्व ने झारखंड में यूपीए के सामने एक बड़ा आदिवासी चेहरा खड़ा किया. पार्टी नेतृत्व के फैसले ने उन चर्चाओं को भी विराम दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि भाजपा में बाबूलाल की ज्यादा चल नहीं रही है. पार्टी में वह साइडलाइन कर दिये गये हैं. नयी जिम्मेदारी से इन कयासों पर भी विराम लग गया.
कोल्हान और संताल परगना में पैठ बनाना चाहती है बीजेपी
अब बाबूलाल को फिर बड़ी जवाबदेही मिली है. भाजपा बाबूलाल के सहारे कोल्हान और संताल परगना में पैठ बनाना चाहती है. राज्य के पांच आदिवासी सीटों पर पैठ बढ़ाने की रणनीति होगी. दुमका, राजमहल, चाईबासा, खूंटी और लोहरदगा की एसटी सीट में तीन पर भाजपा का कब्जा है. भाजपा ने यह सीटें बहुत की कम अंतर से जीती हैं. लोकसभा में पार्टी ने माहौल बना लिया, तो इसका असर विधानसभा में भी दिखेगा.
झारखंड के पहले सीएम हैं बाबूलाल मरांडी
बिहार से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को झारखंड अस्तित्व में आया. बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले सीएम बनाए गए. 2006 में बीजेपी से अलग होकर इन्होंने झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) का गठन किया. करीब एक दशक बाद इन्होंने जेवीएम का बीजेपी में विलय कर दिया और भाजपा के हो गए. धनवार विधानसभा सीट से विधायक बाबूलाल फिलहाल झारखंड बीजेपी विधायक दल के नेता हैं. 11 जनवरी 1958 को गिरिडीह जिले के कोदाईबांक गांव में छोटे लाल मरांडी और मीना मुर्मू के घर जन्मे बाबूलाल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.