रांची: पूर्व मुख्यमंत्री सह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल को पत्र लिखा है कि झारखंड राज्य में जो राजनीतिक परिस्थितियां उत्पन्न हो रही है, वह संवैधानिक संकट का कारण बनेगी. हाल ही में विधायक सरफराज अहमद ने अपनी सीट गांडेय से इस्तीफा दे दिया है. चर्चा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस्तीफा दे सकते हैं और एक गैर-विधायक को झामुमो विधायक दल के नेता के रूप में चुना जा सकता है. जो गठबंधन का नेता होगा और वह अपना दावा पेश करेगा. अगर कोई गैर विधायक मुख्यमंत्री बनने के लिए ऐसा करता है, तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक और गैरकानूनी होगा. इस प्रकार का दावा यदि कोई करता है, तो यह झारखंड राज्य में संवैधानिक संकट लाने के अलावा और कुछ नहीं है.
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर उन्हें सदन का सदस्य निर्वाचित होना होगा. संविधान ने अनुच्छेद 164 (3) और (4) के आधार पर अपवाद बनाया है, जो बताता है कि छह महीने की अवधि के भीतर, एक मंत्री सदन का सदस्य बन जायेगा. यदि वह निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं है. यह रिकॉर्ड की बात है कि 5वीं झारखंड विधानसभा का परिणाम 23.12.2019 को घोषित किया गया था. विधायक ने अपने पद से 31.12.23 को इस्तीफा दे दिया था और उसे 31.12.2023 से स्वीकार कर लिया गया. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151 (ए) निस्संदेह यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि कोई भी निर्वाचन क्षेत्र छह महीने से अधिक समय तक प्रतिनिधित्वहीन न रहे, लेकिन यह बिना शर्त नहीं है.
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यह अपवादों के अधीन है अर्थात जहां रिक्ति के संबंध में किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है, वहां कोई चुनाव नहीं होगा. इसलिए, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि शेष अवधि के लिए गांडेय निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं हो सकता है. क्योंकि 5वीं झारखंड विधानसभा के पूरे कार्यकाल में एक वर्ष से भी कम समय बचा है.