Loading election data...

तस्वीरें बयां कर रहीं बड़ा तालाब की दुर्दशा, ऐसी स्थिति क्यों : हाइकोर्ट

झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को रांची की लाइफलाइन कहे जानेवाले बड़ा तालाब/रांची झील (अब विवेकानंद सरोवर) की दुर्दशा को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2020 2:04 AM

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को रांची की लाइफलाइन कहे जानेवाले बड़ा तालाब/रांची झील (अब विवेकानंद सरोवर) की दुर्दशा को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए बड़ा तालाब की स्थिति पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने रांची नगर निगम से पूछा कि झील की मूल सुंदरता को बहाल करने के लिए उसकी क्या योजना है?

वहीं, राज्य सरकार से पूछा कि तालाबों को बचाने, उन्हें स्वच्छ रखने तथा उनकी साफ-सफाई की क्या कोई पॉलिसी है? इसकी जानकारी दी जाये. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि रांची की लाइफलाइन कहे जानेवाले बड़ा तालाब के पिछले तीन वर्षों की तस्वीरें इसकी दुर्दशा बयां कर रही हैं. नाली का पानी तालाब के पानी को प्रदूषित कर रहा है.

तालाब में गाद बढ़ गया है. विकास के नाम पर बड़ा तालाब का कंक्रीटाइजेशन कर दिया गया. तालाब जलकुंभी से भर गया है. तालाब की ऐसी स्थिति क्यों हुई? इसकी नियमित सफाई क्यों नहीं हुई? तालाब में नालियों का पानी क्यों गिरने दिया जा रहा है? नगर निगम का यह कहना कि बड़ा तालाब की सफाई के लिए निविदा में संवेदक नहीं मिल रहे, ऐसा कह कर वह अपनी जिम्मेवारियों से बच नहीं सकता है.

दूसरे कार्यों के लिए संवेदक मिल जाते हैं, तो बड़ा तालाब की सफाई के लिए संवेदक क्यों नहीं मिल रहा है? ऐसी स्थिति में निगम को स्वयं ही तालाब की सफाई करनी चाहिए थी. तालाब को साफ, स्वच्छ व सुंदर बनाने में कोई बहाना नहीं चलेगा. खंडपीठ ने राज्य सरकार व रांची नगर निगम को विस्तृत जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने को कहा गया.

नहीं मिल रहे हैं संवेदक

रांची नगर निगम की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि पिछले कुछ दिनों से बड़ा तालाब से जलकुंभी हटाने का काम चल रहा है. तालाब की सफाई के लिए टेंडर निकाला गया था, लेकिन कोई संवेदक सामने नहीं आ रहे हैं. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी हाइकोर्ट की अधिवक्ता खुशबू कटारूका ने जनहित याचिका दायर कर रांची झील को बचाने की मांग की है.

कोर्ट ने सरकार व नगर निगम से किया सवाल, मांगा जवाब

  • बड़ा तालाब/रांची झील की मूल सुंदरता को बहाल करने के लिए क्या योजना है?

  • तालाबों को बचाने, उन्हें स्वच्छ रखने और उनकी साफ-सफाई की क्या पॉलिसी है?

  • दूसरे कार्यों के लिए संवेदक मिल जाते हैं, तो बड़ा तालाब की सफाई के लिए क्यों नहीं?

नगर निगम का सीवरेज बन गया है बड़ा तालाब

इससे पूर्व प्रार्थी अधिवक्ता खुशबू कटारूका ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से स्वयं पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि बड़ा तालाब जलकुंभी से प्रभावित है. यह नगर निगम का सीवरेज तालाब बन गया है. शहर के गंदे पानी को झील में बहाया जाता है. तस्वीरों में तालाब की दुर्दशा स्पष्ट दिखती है. झील के सड़क के किनारे भारी वाहन खड़े किये जाते हैं. यहां वाहनों को धोया जाता है और गंदा पानी झील में वापस चला जाता है. पूरे झील में जलकुंभी से भर जाने से तालाब में अॉक्सीजन का स्तर भी कम हो गया है.

Next Article

Exit mobile version