झारखंड: भगवान शिव की पूजा के साथ बड़गांई देवोत्थान जतरा मेला शुरू, उमड़ी भीड़, मनोरंजन के साथ जमकर खरीदारी
रांची के पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने कहा बड़गांई-बूटी स्थित देवोत्थान धाम, जहां एक और अपने ऐतिहासिक विरासत को दर्शाता है, वहीं इस स्थल पर श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा बसती है. यह स्थल पूर्वजों की देन है, जहां लोग शादी-विवाह के साथ अनेक प्रकार के संस्कार का कार्यक्रम भी करते हैं.
रांची: देवोत्थान/प्रबोधिनी एकादशी को भगवान विष्णुजी के जगने को लेकर 1931 में जूठन कविराज के नेतृत्व में रांची के बड़गांई में निर्मित मंदिर/देवोत्थान धाम परिसर में आयोजित जतरा मेला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ. इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शुक्रवार की सुबह से ही पंक्तिबद्ध होकर भगवान शिव की पूजा की और मनोकामना पूर्ण होने का आशीष प्राप्त किया. बड़गांई जतरा मेले का उद्घाटन बड़गांई के ग्राम पुजारी रवि पहान व पूर्व सांसद रामटहल चौधरी, विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री डॉ बिरेन्द्र साहु, रांची की पूर्व मेयर डॉ आशा लकड़ा, कांग्रेस नेता सुरेश बैठा, बीजेपी नेता जितेंद्र पटेल, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता अंतु तिर्की, मुख्य संरक्षक डॉ रुद्र नारायण महतो, संरक्षक बन्नू पहान, अध्यक्ष नेपाल महतो, सचिव प्रेम लोहार, कोषाध्यक्ष अजय महतो सहित अन्य अतिथियों ने विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन-अर्चन कर किया.
समरसता व जीने का कला सिखाता है जतरा मेला
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रांची के पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने कहा बड़गांई-बूटी स्थित देवोत्थान धाम, जहां एक और अपने ऐतिहासिक विरासत को दर्शाता है, वहीं इस स्थल पर श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा बसती है. यह स्थल पूर्वजों की देन है, जहां लोग शादी-विवाह के साथ अनेक प्रकार के संस्कार का कार्यक्रम भी करते हैं. पारंपरिक नृत्य-गान से जहां झारखंड की संस्कृति दिखती है, वहीं दूसरी ओर जतरा मेला हमें समरस रहने व जीने का कला सिखाता है.
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जतरा मेला झारखंडी सनातनी संस्कृति की धरोहर
रांची की पूर्व मेयर डॉ आशा लकड़ा ने कहा कि झारखंड की संस्कृति में लोगों का चलना ही नृत्य एवं बोलना ही गीत है. उन्होंने कहा कि जतरा मेला झारखंडी सनातनी संस्कृति की अनुपम धरोहर है.
पारंपरिक नचनी नृत्य का लिया आनंद
जतरा मेले में बड़गांई सहित महिलौंग, बड़ाम, जाराटोली, बड़कुम्बा, बांधगाड़ी, खिजूरटोला, बूटी, किशुनपुर, महुरम टोली, लेम आदि गांवों के नृतकदल/ खोड़हा अपने पारंपरिक वेशभूषा एवं वाद्य यंत्रों के साथ भगवान शिव की आराधना करते हुए अलग-अलग स्थान पर नृत्यगान प्रस्तुत कर मेले में आए और सैकड़ों गांवों के लगभग 50 हजार से अधिक लोगों ने मनोरंजन किया. लोगों ने पारंपरिक नचनी नृत्य का भी आनंद लिया. युवा-युवतियों ने आधुनिक आर्केस्ट्रा एवं नागपुरी गीत कलाकारों के द्वारा गाए हुए गीतों पर भी घंटों झूमते रहे. बच्चों ने झूले का भरपूर आनंद लिया. जतरा मेले में आए श्रद्धालुओं को पारंपरिक मिठाई, ईख, गुपचुप, सौंदर्य प्रसाधनों ने खूब आकर्षित किया. सभी ने मेले में जमकर खरीदारी की.
इनका रहा अहम योगदान
जतरा मेले को सफल बनाने में मुख्य संरक्षक डॉ रुद्रनारायण महतो व बन्नू पहान, संरक्षक डॉ बिरेन्द्र साहु, अध्यक्ष नेपाल महतो, सचिव प्रेम लोहार, कोषाध्यक्ष अजय कुमार महतो, बालसाय महतो, विनोद महतो, सुनील महतो, बैजनाथ महतो, कैलाश महतो, रवि पाहन,बबलू पहान, संदीप मुंडा, दशरथ महतो, अशोक खलखो, दुर्गा उरांव, मोहनलाल महतो, राम ओहदार,अरविंद साहू, सुरेंद्र मुंडा, अमित पहान, महावीर मुंडा, दिलीप पहान, अजय साहू आदि की मुख्य भूमिका रही.