रांची : कुर्बानी और त्याग का त्योहार बकरीद शनिवार को है. इसे लेकर एक तरफ उत्साह है तो दूसरी तरफ ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज नहीं अदा करने का भी गम. यह गम जल्दी दूर हो इसके लिए नमाज के बाद दुआ करें. रांची ईदगाह के मौलाना डॉ असगर मिस्बाही ने कहा कि बकरीद मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है.
इस मौके पर पहले दोगाना नमाज पढ़ी जाती है. फिर कुर्बानी होती है. ईद उल अजहा का मतलब ही कुर्बानी की ईद होता है. जो मुसलमान बालिग मर्द और औरत निसाब के मालिक हैं, यानि जिसके पास साढ़े सतासी (87.50) ग्राम सोना या लगभग छह सौ बारह (612) ग्राम चांदी या उतनी ही चांदी की कीमत के बराबर मुद्रा आदि हो, तो उनपर कुर्बानी जरूरी है.
डॉ असगर मिस्बाही ने कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि ईद उल अजहा सादगी के साथ मनायें, नमाज अदा करे,कुर्बानी करे, नुमाइश और दिखावा से परहेज करे. साफ-सफाई का खयाल रखें और सरकार व प्रशासन के आदेश है उन पर सख्ती से पालन करें. सुबह में गुस्ल करे, अच्छे कपड़े पहने, खुशबू लगायें और तकबीरे तशरीक यानी अल्लाह कि बड़ाई करते हुए नमाज अदा करें.
बकरीद को लेकर शुक्रवार को बाजार में चहल-पहल रही. डॉ फतेउल्लाह रोड के समीप लगे बकरा बाजार में सुबह से खरीददार और विक्रेता पहुंचे थे. 15000 से 20000 तक के बकरे खूब बिके. कई विक्रेता विभिन्न मोहल्लों में घूम-घूम कर बकरा बेचते नजर आये. वहीं सेवई व बेकरी उत्पादों की खूब बिक्री हुई. देर शाम तक लोगों ने जरूरत के सामान खरीदे.
मेन रोड निवासी मो नसीम का परिवार इस बार सादगी के साथ बकरीद मनाने की तैयारी में है. कोरोना के कारण अपने परिवार के बीच ही बकरीद मना रहे हैं. घर के छत पर ही सभी नमाज अदा करेंगे. पीपी कंपाउंड की गजाला अंजुम व उनका परिवार भी घर पर ही बकरीद की नमाज अदा करेंगे. हिंदपीढ़ी की शीरीन फैजी व उनका परिवार इस बार सादगी के साथ बकरीद मनायेंगे. लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए घर में ही नमाज अदा करेंगे. बुशरा ने बताया कि बकरीद के दिन स्वादिष्ट व्यंजन घर पर बनाकर दोस्त-रिश्तेदारों को खिलायेंगे.
एक अगस्त को मनाये जानेवाले बकरीद पर्व को लेकर जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. इस दौरान विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी व एसएसपी द्वारा ज्वाइंट ऑर्डर जारी किया गया है. संवेदनशील जगहों समेत शहर के हर जगह पर मजिस्ट्रेट व पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. वहीं, कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर राज्य सरकार द्वारा किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन नहीं करने का निर्देश दिया गया है.
इस कारण बकरीद के अवसर पर शहर के ईदगाहों/मस्जिदों में नमाज अदा करने पर रोक है.शहर के प्रत्येक थाना क्षेत्र में मस्जिदों के पास दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारियों की शिफ्ट वाइज ड्यूटी लगायी गयी है. साथ ही जिले में दंगारोधी उपकरण के साथ क्यूआरटी की भी प्रतिनियुक्ति की गयी है.
कुर्बानी असल में हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की यादगार है. जो लगभग 5000 साल पहले अल्लाह के हुक्म से अपने लाडले व इकलौते पुत्र हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम की गर्दन पर छुरी चलायी थी.अल्लाह को हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को आजमाना था.जब वो इम्तिहान में कामयाब हो गये तो अल्लाह ने पुत्र हजरत इस्माइल अ.स. के बदले में एक जानवर मेढे की कुर्बानी का हुक्म दिया.उसी की याद में आज तक कुर्बानी का सिलसिला जारी है.इसीलिए अल्लाह के नबी ने फरमाया कि कुर्बानी हजरत इब्राहीम की सुन्नत है और कुर्बानी करने वालों को जानवर के बाल के बराबर नेकी मिलता है.
बकरीद को लेकर रांची पुलिस ने तैयारी की है. सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए शुक्रवार को डीएसपी और विभिन्न थानेदारों के नेतृत्व में मेन रोड, डेली मार्केट, लोअर बाजार थाना क्षेत्र और हिंदपीढ़ी के अलावा विभिन्न इलाकों में फ्लैग मार्च किया गया. फ्लैग मार्च में जिला पुलिस और रैप के जवान शामिल थे. सिटी एसपी सौरभ के अनुसार बकरीद को लेकर रैप और जिला पुलिस के 1000 अतिरिक्त जवानों की तैनाती होगी.
2018 में हज उमरा जाने का मौका मिला. पति बदरुदीज्जा खान के साथ 2010 में भी हज पर गयी थी. इस वर्ष भी जाने की इच्छा थी. इस वर्ष सोशल डिस्टैंसिंग के साथ घर में बकरीद मना रहे हैं.
जहांआरा, डोरंडा
इस वर्ष पति मो क्यामुद्दीन व भाई मो हाशिम के साथ हज पर जाने वाली थी, पर कोरोना के कारण यह नहीं हो सका. इस वर्ष अपने घरों में ही सबको बकरीद का पर्व मनाना होगा .
जुबेदा खातून, हिंदपीढ़ी
बकरीद का पर्व हमारे लिए बहुत अहमियत रखता है. हम इस पर्व में हज पर जाते हैं. इस वर्ष मेरी भी इच्छा थी कि हज पर जाऊं. मगर कोरोना के कारण यह इच्छा पूरी नहीं हुई़
मोहसिना खातून, हिंदपीढ़ी
Post by : Pritish Sahay