बालाजी का माता लक्ष्मी और भू-देवी से हुआ विवाह
भगवान लक्ष्मी वेंकटेश्वर के विवाहोत्सव का श्रद्धालुओं ने आनंद लिया. वैदिक मंत्रोच्चार की धुन से बालाजी मंदिर के समीप स्थित स्वामी भगवानदास सत्संग हॉल गूंज उठा.
रांची. भगवान लक्ष्मी वेंकटेश्वर के विवाहोत्सव का श्रद्धालुओं ने आनंद लिया. कांचीपुरम से आये वरदराज भगवान मंदिर के मुख्य अर्चक वत्स भट्टर और कन्नन भट्टर के नेतृत्व में रविवार को कल्याणोत्सव के नेग-चार शुरू हुए. कांचीपुरम की नंदेश्वरम् पार्टी की कर्णप्रिय धुन के बीच दक्षिणात पद्धति से वरमाला कार्यक्रम संपन्न हुआ. वैदिक मंत्रोच्चार की धुन से बालाजी मंदिर के समीप स्थित स्वामी भगवानदास सत्संग हॉल गूंज उठा. फूलों से सजा भगवान का मंडप बेहद खूबसूरत लग रहा था. इधर, श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर के विवाह का पारंपरिक नेग-चार हुआ. वधू पक्ष के मुख्य यजमान रमेश-शशि धरनीधरका और विशाखापट्टनम के गौरव-रचित गुप्ता थे. उनके साथ विनय धरनीधरका, शशांक-सौम्या धरणीधरका, महेश धरनीधरका, मुदित धरनीधरका आदि भी उपस्थित थे. वर पक्ष के मुख्य यजमान रामअवतार-शारदा नारसरिया सहित स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज और गोविंद दास ने स्वागत सबका किया. इस अवसर पर राहुल-अदिति नारसरिया, नरेंद्र-सुनीता अग्रवाल, बालकृष्ण गुप्ता, अनूप अग्रवाल, अनीश अग्रवाल, प्रदीप नारसरिया, उदय राठौर, गोपाल लाल चौधरी आदि उपस्थित थे.
श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर ने पहनायी माला
श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर ने माता श्रीदेवी और भूदेवी को माला पहनायी. मंगलसूत्र धारण कराया. इस अवसर पर उदय राठौड़, घनश्यामदास शर्मा, कन्हैया लोहिया, संतोष कुमार मोदी, ओमप्रकाश केजरीवाल, बीनू ठक्कर, राजू चौधरी, निहार-पायल तुलस्यान, लाल दीपक नाथ शाहदेव, अरुण कुमार, अनुराधा सिंहा, प्रकाश-रश्मि मोदी, डॉ हरिदास, डॉ रुबी, रमेश सिंह, डाॅ नरेंद्र लाल, अमरेश कुमार और उषा गुप्ता मौजूद थे.सबका कल्याण करनेवाले हैं भगवान वेंकटेश
स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने भक्तों से कहा कि मानना है तो किसी एक देव को मानो और उन्हें हृदय में बसा लो. सभी देवी-देवता की कृपा मिलेगी. भगवान वेंकटेश सबका कल्याण करनेवाले हैं. उन्होंने कहा कि बैकुंठ लोक में विवाह नहीं होते हैं. इसलिए भगवान को जब विवाह के नेगचार का आनंद लेना होता है, लीला करनी होती है, तो धरती पर आ जाते हैं और अपना परिणयोत्सव संपन्न कराते हैं. भगवान का विवाह महालक्ष्मी से होना मंगलकारी होता है. कल्याणकारी होता है. इसलिए इसे कल्याणोत्सव कहते हैं. उन्होंने बतलाया कि जगतजननी महालक्ष्मी भगवान श्रीवेंकटेश के बायें वक्ष स्थल में विराजमान हैं. भगवान ने लक्ष्मीजी को आदेश दे रखा है कि हे लक्ष्मी! जो भक्त मेरा दर्शन करेगा और दान चढ़ावा या न्योछावर करेगा, तुम उन्हें संपत्ति दो. इस तरह प्राप्त संपत्ति से थोड़ा भाग भक्त मुझे फिर समर्पित करेगा और उससे मैं कुबेर का ऋण चुकाऊंगा. श्रीवेंकटेश के आदेशानुसार श्रीलक्ष्मी जी भक्तों को अखंड धन प्रदान कर रही हैं. इस अवसर पर अर्चक सत्यनारायण गौतम, गोपेश आचार्य, नारायण दास, रंजन सिंह, प्रशांत चतुर्वेदी, प्रभव, धनुर्दास आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है