आखिर पबजी पर प्रतिबंध लगाये जाने का इंतजार खत्म हो गया. बुधवार को पबजी पर बैन की खबर से एक तरफ माता-पिता खुश हैं, तो बच्चे और युवा मायूस दिख रहे हैं. इस गेम के दो मोड क्लासिक और एवोल्यूशन युवाओं की दिनचर्या से घंटों चुरा रहे थे़ क्लासिक मोड का गेम 100 अनजान खिलाड़ियाें के साथ शुरू होता था. विजेता चिकन-डिनर करते थे़ अब ये पार्टियां नहीं होंगी़ दूसरी तरफ पबजी पर बैन लगने के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ सी आ गयी है. खूब चुटकुले शेयर किये जा रहे हैं. ट्विटर पर #Pubg टॉप ट्रेंड कर रहा है. मालूम हो कि कुछ समय पहले ही सरकार ने चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाये गये थे. इसमें टिकटॉक भी शामिल था.
पबजी मोबाइल गेम 2017 से युवाओं की पसंद बना हुआ था़ स्ट्रैटजी और गेमप्लेक्स मोड का यह गेम युवाओं का भरपूर मनोरंजन कर रहा था़ इसकी वजह से कई आत्महत्या के मामले भी सामने आ चुके थे़ अवसाद की शिकायत बढ़ती जा रही थी़ पबजी के क्रेजी युवाओं ने कहा कि उनके लिए यह बड़ा नुकसान है. तीन साल से गेम को लगातार फॉलो करने के बाद अचानक इसे बंद होने से कोरोना काल में टाइम पास का विकल्प बंद हो गया है.
मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार पबजी जैसे गेम युवाओं को वर्चुअल लाइफ जीने में विवश करते थे. गेम को ज्यादा समय देने पर इंटरनेट का गलत इस्तेमाल हो रहा था. वर्चुअल मोड पर वाॅयलेंस (मार-पीट) देखने का असर निजी जीवन पर पड़ने लगा था. गेम की नयी स्ट्रैटजी बनाने में समय देते थे. नींद नहीं आने की बीमारी बढ़ रही थी. गुस्सा और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं आम हो गयी थी.
पबजी पर बैन लगने के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ खूब शेयर किये जा रहे चुटकुले
पबजी बैन होने के बाद से ही सोशल मीडिया पर मीमर्स एक्टिव हो गये हैं. फिल्म, टीवी और गेम के अलावा कई अन्य फोटो क्लिप के जरिये युवा इसको खूब इंज्वॉय कर रहे हैं़
एक मीम में टिकटॉकर पबजी प्लेयर से कह रहा है : यह तुम्हारे साथ देर से हुआ. हम इसे सह चुके हैं.
अमरीश पुरी और फरीदा जलाल की एक तस्वीर अभिभावकों की शक्ल में तेजी से वायरल हो रही है. जहां अभिभावक गेम के बैन होने पर भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे हैं.
एक मीम में पबजी प्लेयर्स गेम बंद होने का दर्द साझा कर रहे हैं. जहां, हमसे यह न छीनिये, खत्म हो जायेंगे कहा जा रहा है.
पबजी (प्लेयर्स अननोन बैटलग्राउंड) खेलने वाले युवा 50 एमबी अपडेट की तैयारी कर रहे थे. नये अपडेट से गेम में न्यू एरेंगल इंपल्शन का विकल्प मिलना था. अपडेट के दौरान ही गेम क्रैश हो गया. कुछ मिनटों में पता चला कि गेम के चाइनीज सर्वर (टेंसेंट) को बंद कर दिया गया है. हालांकि पब्जी अब भी कई हाई एंड मोबाइल और टैब में चल रहा है. पूरी तरह इसे बंद होने में दो-तीन दिन लगेगा.
पबजी खेलने वाले कई युवा यूट्यूब के जरिये गेम की स्ट्रीमिंग को भी अपना समय देते थे. गेम स्ट्रीमिंग के जरिये युवा अलग-अलग मोड के गेम प्ले और मैप लोकेशन पर काम होने वाली स्ट्रैटजी साझा करते थे. कई यूट्यूबर्स इस स्ट्रीमिंग की मदद से लाखों व्यूअर्स तक हासिल कर चुके थे. गेम बंद होने के बाद यूट्यूबर के फॉलोअर्स में भी गिरावट आयेगी.
पांच दिन पहले एशिया के टॉप 500 प्लेयर में बनायी जगह
अरगाेड़ा के आलोक सिंह तीन वर्ष से पबजी खेल रहे थे़ 30 सितंबर को गेम का सर्वोच्च टैग कॉन्कोरर हासिल किया था. कॉन्कोरर का टैग एशिया के बेहतरीन 500 पबजी प्लेयर्स को दिया जाता है. आलोक ने बताया कि इस लेवल तक पहुंचने के लिए समय के साथ-साथ हजारों रुपये का अपडेट ऑनलाइन खरीदना पड़ता है. पबजी का जुनून 2017 में सीजन टू से चढ़ा. गेम मोबाइल पर बैन हुआ है, जबकि पीसी मोड पर अब भी उपलब्ध है. अब पबजी के भारतीय सर्वर का इंतजार है़
लिव टू किल ग्रुप
रांची के युवाओं का लिव टू किल ग्रुप पबजी खेलता था. इस ग्रुप के चार मेंबर हैं संदीप, दीपक, पवन और अमन. ग्रुप के पवन राज बताते हैं कि हमारे दोस्त पबजी खेलना बहुत पसंद करते थे. छह स्पॉट तक पहुंच चुके थे. हालांकि सरकार के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं.
कैनेटिक ग्रुप
कैनेटिक ग्रुप से कोकर के चार दोस्त भी जुड़े हुए थे. इसके मेंबर हैं दीपू, आरगव, बॉबी और कुणाल. इनके मनोरंजन का पबजी बड़ा साधन था. ग्रुप के दीपू शर्मा ने कहा कि पबजी खेलना अच्छा लगता था. लेकिन सरकार ने बैन लगा दिया है, तो इस निर्णय से सहमत हैं.
पबजी को पहले ही बंद हो जाना चाहिए था. गेम बंद होने से बच्चे अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देकर वास्तविक जीवन में लौट सकेंगे. सरकार के इस निर्णय का स्वागत है.
– हरविंदर कौर, पीपी कंपाउंड
पबजी ऐसा गेम है, जो बच्चों व युवाओं के मानसिक और शारीरिक विकास पर खराब असर डाल रहा था. कोरोना काल में हिंसक गेम का काल खत्म हो गया. बहुत अच्छी पहल.
– रंजू पांडेय, कुसई कॉलोनी
पबजी जैसे गेम का लत युवाओं और बच्चों का भविष्य खराब कर रहा था. दिन भर मोबाइल में लगे रहने से बच्चे अवसाद समेत अन्य बीमारी का शिकार हो रहे थे. अभिभावक भी चिंतित थे.
– चंदा अग्रवाल, पंडरा
युवा और बच्चे कीमती समय बर्बाद कर रहे थे़ यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं था. इसलिए सरकार ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को बचाने के लिए पबजी पर प्रतिबंध लगाया है़
-संदीप लाल, डोरंडा