कागज पर केला व फूल की खेती, किसानों के नाम पर घोटाला

किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए फूल और केले की खेती कागज पर ही हुई है. किसानों को बेहतर किस्म के फूल के बीज और फलदार पौधे उपलब्ध कराने के लिए राजधानी रांची व खूंटी के चार नर्सरियों में पांच साल के दौरान एक भी पौधा नहीं लगा

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2020 2:39 AM

शकील अख्तर, रांची : किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए फूल और केले की खेती कागज पर ही हुई है. किसानों को बेहतर किस्म के फूल के बीज और फलदार पौधे उपलब्ध कराने के लिए राजधानी रांची व खूंटी के चार नर्सरियों में पांच साल के दौरान एक भी पौधा नहीं लगा. हालांकि इन नर्सरियों में शेड नेट,पौधा उत्पादन कक्ष और पैकेजिंग हाउस के निर्माण पर 34.56 लाख रुपये खर्च कर दिये गये. जिन स्थानों पर केले की खेती के लिए पौधे खरीदे गये, उन स्थानों पर पौधे लगे ही नहीं .

सिर्फ इतना ही नहीं, मेसर्स शशांक एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड को नियमों का उल्लंघन करते हुए 12.75 करोड़ रुपये का काम दे दिया गया. मीठी क्रांति के नाम पर एक ही सामान अलग-अलग संस्थाओं से अलग-अलग कीमत पर खरीदे गये. महालेखाकार द्वारा रांची जिला हर्टिकल्चर कार्यालय की नमूना जांच के बाद सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है.

एजी द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों को बेहतर किस्म के फूल और फल के पौधे उपलब्ध कराने के लिए कांके, मांडर,ओरमांझी और खूंटी के प्रखंड नर्सरियों में 34.56 लाख रुपये की लागत पर छाया गृह, पौधा उत्पादन कक्ष और पैकेज हाउस का निर्माण कराया गया. इन नर्सरियों के लिए 2016-17 में 58.50 हजार रुपये की लागत पर खाद भी खरीदा गया.

4.4 लाख रुपये की लागत से खरीदे गये हॉर्टिकल्चर के उपकरण बेकार पड़े हैं. हालांकि पिछले पांच साल के दौरान इन नर्सरियों में एक भी फूल या फल का पौधा नहीं लगाया गया. ऑडिट टीम ने जब डिस्ट्रिक्ट हॉर्टिकल्चर अफसर और नर्सरी प्रभारी के साथ कांके नर्सरी का निरीक्षण किया, तो वहां छाया गृह के अंदर जंगल जैसा घास उगा हुआ पाया. पैकेजिंग रूम कई जगहों से टूटा हुआ मिला.

रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग द्वारा 12 अक्तूबर 2018 को जारी आदेश में चार सदस्यीय समिति द्वारा केले की खेती के लिए अनगड़ा की युवा विकास समिति और किसान उत्थान समिति का चयन करने का उल्लेख है. दस्तावेज की जांच में पाया गया कि राष्ट्रीय बीज निगम को केले के पौधों की आपूर्ति का आदेश दिया गया था. 40 हेक्टेयर जमीन पर खेती के लिए कुल 1.23 लाख केले के पौधों की जरूरत थी.

इसके मुकाबले दोनों समितियों को सिर्फ 39,321 केले के पौधे दिये गये. वहीं कार्यालय के दस्तावेज में 17 रुपये प्रति पौधे की दर से राष्ट्रीय बीज निगम को आपूर्ति के मुकाबले 10 हजार अधिक यानी 49,376 पौधों के लिए भुगतान दिखाया गया. केले की खेती के लिए चुनी गयी समितियों को जितना पौधा दिया गया, उससे 12.74 हेक्टेयर जमीन पर ही खेती हो सकती थी. हालांकि स्थल निरीक्षण को दौरान केले की खेती का नामोनिशान नहीं मिला.

मीठी क्रांति योजना के तहत रांची और खूंटी में मधुमक्खी पालन के लिए 2018-19 और 2019-20 में तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी. योजना के तहत लाभुकों को ‘बी हीव्स’, हनी -बी कॉलोनी और हनी एक्सट्रेकर देना था. कार्यालय ने तीन संस्थानों से उक्त सामग्री खरीद की. इसमें गोस्वामी मधुमक्खी पालन व प्रशिक्षण केंद्र, एसके इंटरप्राइजेज और मंशा इंटरप्राइजेज के नाम शामिल हैं. दस्तावेज की जांच में पाया गया कि एक सामग्री के लिए मंशा और एसके इंटरप्राइजेज का रेट एक समान था, लेकिन उसी सामान का गोस्वामी मधुमक्खी पालन का रेट ज्यादा था.

मंशा और एसके इंटरप्राइजेज को बी-हीव्स के लिए 1,391 रुपये और गोस्वामी को 1,948 रुपये की दर से भुगतान किया गया था. हनी एक्सट्रेकर के लिए मंशा और एसके इंटरप्राइजेज को 13,830 रुपये और गोस्वामी को 19,362 रुपये की दर से भुगतान किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि रांची और खूंटी में 2014-15 से 2019-20 के दौरान राज्य योजना मद से फूल उत्पादन के लिए 50 प्रतिशत अनुदान पर ट्यूबलर शेडनेट हाउस का निर्माण कराया गया.

इसके अलावा 75 प्रतिशत अनुदान पर सब्जी उत्पादन इकाई और पॉली हाउस का निर्माण कराया गया. इन योजनाओं पर पिछले पांच साल में अनुदान के रूप में कुल 12.75 करोड़ रुपये खर्च किये गये. नियमानुसार 1.50 लाख रुपये से अधिक लागत का काम खुली निविदा के आधार पर कराने के प्रावधान है, लेकिन डिस्ट्रिक्ट हर्टिकल्टर अफसर ने पांच साल में 12.75 करोड़ रुपये का काम बिना टेंडर के ही शशांक एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया.

  • नियमों का उल्लंघन कर दिया गया 12.75 करोड़ का काम

  • बढ़ानी थी किसानों की आमदनी, हर्टिकल्चर वालों ने भर लिये अपने पॉकेट

  • एजी ने रांची जिला हर्टिकल्चर कार्यालय की गड़बड़ी पर भेजी रिपोर्ट

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