Ranchi news : बंद व धरना-प्रदर्शन के दौरान जनता की सुरक्षा के लिए भीड़ को कैसे करेंगे नियंत्रित : हाइकोर्ट

सड़क जाम के मामले में हाइकोर्ट ने डीजीपी से मांगा एसओपी. मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी. खंडपीठ ने कहा कि जिला प्रशासन को मानसिकता बदलने की जरूरत है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 7, 2024 12:31 AM

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने रांची में 23 अगस्त को भाजयुमो की आक्रोश रैली के दिन कांके रोड में न्यायाधीश के जाम में फंसने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने पक्ष सुनने के बाद डीजीपी को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. डीजीपी को एसओपी के माध्यम से यह बताने का निर्देश दिया कि बंद, धरना-प्रदर्शन, रैली आदि के दौरान आम लोगों को सुरक्षित रखने के लिए क्या उपाय किये जायेंगे. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि भीड़ का मूड कोई नहीं जानता है. वैसी स्थिति में किसी वीआइपी की सुरक्षा में व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय प्रशासन को आम लोगों की सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा. सभी की जान कीमती है.

विधि व्यवस्था बनाये रखने की जरूरत

प्रशासन को धरना-प्रदर्शन, बंद की तिथि की जानकारी होती है. वैसे में वैकल्पिक मार्ग का भी सहारा लिया जा सकता है. खंडपीठ ने कहा कि जिला प्रशासन को मानसिकता बदलने की जरूरत है. बंद, धरना-प्रदर्शन के दौरान प्रशासन एक खास जगह पर सिर्फ फोकस नही करें. गुड गवर्नेंस के तहत विधि-व्यवस्था बनाये रखने की जरूरत है, ताकि सोसाइटी सुरक्षित रहे. भीड़ को पुलिस का भय हो, इसे प्रशासन को देखना चाहिए. कहा कि जिस किसी खास जगह पर धरना-प्रदर्शन या कार्यक्रम हो रहा है, वहां पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती होनी चाहिए. खंडपीठ ने मामले में डीजीपी को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 20 सितंबर की तिथि निर्धारित की.

कांके रोड में जाम में जज के फंसने का मामला

उल्लेखनीय है कि रांची में 23 अगस्त को कांके रोड में जाम में जज के फंसने की घटना को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने कड़ी फटकार लगाते हुए मौखिक रूप से कहा था कि जब हाइकोर्ट के जज सीएम आवास के पास जाम में फंस रहे हैं, उन्हें निर्धारित स्थल पर पहुंचने में कई घंटे का समय लग रहा है, तो आम जनता की स्थिति क्या होगी. इसे समझा जा सकता है. कांके रोड में किसी तरह का कोई प्रदर्शन नहीं था. फिर भी वहां 300 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे.

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