कौन हैं दुर्गा उरांव, जिनकी वजह से विधायक बंधु तिर्की को हुई सजा, झारखंड के 6 मंत्री भी जा चुके हैं जेल

Jharkhand News: विधायक बंधु तिर्की को सजा होने के बाद दुर्गा उरांव फिर से सुर्खियों में हैं. क्यों कि उन्होंने ही सबसे पहले उनके खिलाफ याचिका दायर की थी. लेकिन उससे पहले भी वो झारखंड के 6 मंत्रियों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुके हैं

By Prabhat Khabar News Desk | March 31, 2022 12:06 PM

Jharkhand News, Ranchi News रांची: दुर्गा उरांव (असली नाम दुर्गा मुंडा) एक बार फिर से चर्चा में हैं. वजह है पूर्व मंत्री व मांडर से विधायक बंधु तिर्की को आय से अधिक संपत्ति मामले में मिली सजा. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व उनके मंत्रिमंडल के मंत्रियों व सहयोगियों के खिलाफ दुर्गा उरांव ने 10 सितंबर 2008 को हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उसमें इन्होंने अपना नाम दुर्गा उरांव दिखाया था.

साधारण परिवार के आठवीं पास दुर्गा उरांव का असली नाम दुर्गा मुंडा है. लेकिन अब ज्यादातर लोग दुर्गा उरांव के नाम से इनको जानते हैं.पेशे से टाइल्स-मार्बल मिस्त्री हैं. प्रभात खबर से दुर्गा उरांव ने बातचीत की. कहा, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व उनके मंत्रिमंडल के छह पूर्व मंत्रियों को भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाना पड़ा.

जबकि तीन पूर्व मंत्रियों बंधु तिर्की, एनोस एक्का व हरिनारायण राय को सजा हो चुकी है. कई लोगों के खिलाफ ट्रायल चल रहा है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह अपना काम करने के अलावा सामाजिक कार्यों में भाग लेते थे.

झारखंड अंगेस्ट करप्शन बनायी है :

दुर्गा उरांव ने झारखंड अंगेस्ट करप्शन नामक संस्था भी बनायी है. जो आठ जिलों में काम कर रही है. इसलिए उन्हें हर जगह जाना पड़ता है. यह पूछने पर कि आपकी लड़ाई का कुछ असर हुआ? कहा, थोड़ा-थोड़ा कह सकते हैं. लेकिन कितनी भी साफ कर दो. फिर से उग आयेंगे.

2010 में सामने आये दुर्गा उरांव

दुर्गा उरांव बताते हैं कि चार सितंबर 2010 को सीबीआइ के अधिकारी घर आये और अपने साथ ले गये. पूछताछ की. अगले दिन पांच सितंबर को हाइकोर्ट में पेश किया गया. तब वह पूरी तरह से चर्चा में आ गये. जो लोग मुझे फर्जी बोल रहे थे, उनका मुंह बंद हो गया. इतने बड़े लोगों के खिलाफ आपने लड़ाई शुरू की, तो धमकी मिली या पैसे का प्रलोभन दिया गया.

हंसते हुए कहा, पैसा मिलता, तो परिवार के साथ तंगहाली की जिंदगी नहीं जी रहा होता. असलियत यह कि मुझे धमकी किसी ने नहीं दी. लेकिन डर तो लगता है न. 10 सितंबर 2010 से मुझे चार सरकारी अंगरक्षक दिये गये थे. मार्च 2020 में सबको हटा दिया गया.

एनोस के लोगों से हुई थी झड़प :

श्री उरांव ने बताया कि ओरमांझी में एक जमीन को लेकर उनका तत्कालीन मंत्री एनोस एक्का के लोगों से झड़प हो गयी थी. वे चाहते थे कि जमीन का कुछ हिस्सा उनके परिचित स्थानीय को मिले. जबकि मंत्री के लोग पूरी जमीन ले रहे थे. तब उन्होंने सोचा कि आखिर इतना पैसा इनके पास कहां से आता है? वे मामले की पड़ताल में लग गये. कुछ लोगों ने साथ दिया. साक्ष्य मिले. फिर हाइकोर्ट में वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार के सहयोग से याचिका दायर की. सितंबर 2010 में हाइकोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया. तब तक लोग कहते थे कि दुर्गा उरांव फर्जी है. इस नाम का कोई आदमी नहीं है.

Posted By: Sameer Oraon

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