बंधु तिर्की बोले, सूखे की चपेट में फिर झारखंड, 24 लाख किसानों को पिछली सूखा राहत राशि का अब भी इंतजार
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड के कुल 33 लाख 62 हज़ार 823 किसानों ने पिछले वर्ष सरकार की घोषणा के बाद सूखा राहत के लिये आवेदन किया था, जिनमें से लगभग 10 लाख किसानों को ही राज्य सरकार ने साढ़े तीन हज़ार रूपये की सहायता राशि दी थी और बाकी किसान मदद की आस लगाये बैठे हैं.
रांची: झारखंड के पूर्व मंत्री व कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखंड के 24 लाख से अधिक किसानों को पिछले वर्ष घोषित सूखा राहत की राशि अब तक नहीं मिली है और यह गंभीर चिन्ता की बात है, जबकि इस वर्ष फिर से कम वर्षा के कारण झारखंड का अधिकांश हिस्सा सूखे की चपेट में है और अपने भविष्य के प्रति किसान बहुत अधिक व्याकुल एवं आशंकित हैं. श्री तिर्की ने कहा कि यदि केन्द्र से अभी तक सूखा राहत के नाम पर कोई सहायता राशि नहीं मिली है तो किसानों को विकट स्थिति से निकालने का कोई रास्ता राज्य सरकार को ही निकालना चाहिए क्योंकि यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी है.
10 लाख किसानों को ही मिली थी मदद
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड के कुल 33 लाख 62 हज़ार 823 किसानों ने पिछले वर्ष सरकार की घोषणा के बाद सूखा राहत के लिये आवेदन किया था, जिनमें से लगभग 10 लाख किसानों को ही राज्य सरकार ने साढ़े तीन हज़ार रूपये की सहायता राशि दी थी और बाकी किसान मदद की आस लगाये बैठे हैं.
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क्या कहते हैं सरकार के आंकड़े
कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार आवेदन करनेवाले किसानों में 17 लाख 49 हज़ार 806 वैसे हैं जिन्होंने कम बारिश के कारण बुवाई ही नहीं की, जबकि 10 लाख 259 किसानों ने फसल तो लगाई पर उनकी एक तिहाई फसल क्षतिग्रस्त हो गयी. जबकि 6 लाख 12 हज़ार 758 वैसे भूमिहीन कृषक मज़दूर हैं जो इस आपदा से प्रभावित हुए.
किसानों के लिए बंधु तिर्की ने की ये मांग
बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड में पिछले वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी बहुत कम वर्षा हुई है और सूखे के कारण फसलों की व्यापक क्षति अनुमान है. इसलिए सरकार को अविलम्ब किसानों की पुरानी बकाया राहत राशि का भुगतान कर इस साल किसानों को राहत पहुंचाने की योजना को अंतिम रूप देना चाहिए और इसके लिए युद्ध स्तर पर तैयारी करनी चाहिए.
किसानों की मदद के लिए रास्ता निकाले राज्य सरकार
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं क़ृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख से इस समस्या के गंभीरता एवं संवेदनशीलता से समाधान की अपील करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य सरकार का यह दावा अपनी जगह पर सही हो सकता है कि उसे केन्द्र सरकार की ओर से अभी तक सूखा राहत के नाम पर कोई सहायता राशि नहीं मिली है जबकि केन्द्रीय टीम ने प्रभावित जिलों का दौरा भी किया था और झारखंड सरकार को 9500 करोड़ रूपये के केन्द्रीय मदद की आस है, लेकिन श्री तिर्की ने कहा कि यदि केन्द्र से अभी तक सूखा राहत के नाम पर कोई सहायता राशि नहीं मिली है तो किसानों को विकट स्थिति से निकालने का कोई रास्ता राज्य सरकार को ही निकालना चाहिए क्योंकि यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी है.
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22 जिले सूखाग्रस्त घोषित हुए थे
श्री तिर्की ने कहा कि पिछले साल झारखंड सरकार ने राज्य के पूर्वी सिंहभूम और सिमडेगा को छोड़कर राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया था. इनमें से 7 जिलों में आंशिक सुखाड़ का असर देखा गया था, जिनमें रांची, बोकारो, रामगढ़, लोहरदगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले शामिल है, जबकि खूंटी, पलामू, गढ़वा, लातेहार, हजारीबाग, धनबाद, कोडरमा, गिरिडीह, जामताड़ा, देवघर, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज जिले में सूखे का सर्वाधिक असर देखा गया. श्री तिर्की ने कहा कि यह राज्य सरकार का स्वयं का आकलन है लेकिन इस स्थिति में भी 23-24 लाख किसानों को राहत राशि का न मिलना गंभीर चिन्ता की बात है, जबकि फिर फसल की बुवाई का समय आ गया है और किसान फिर से कम वर्षा के कारण सूखे की त्रासदी के प्रति आशंकित हैं.