रांची: सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने सोमवार को मांडर विधायक बंधु तिर्की को आय से अधिक संपत्ति मामले में तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी. साथ ही तीन लाख रुपये का दंड भी लगाया. दंड की रकम अदा नहीं करने पर अतिरिक्त छह महीने की सजा भुगतने का आदेश दिया. सजा की अवधि तीन साल होने के कारण अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया. कोड़ा कांड में सजा पानेवाले बंधु तीसरे पूर्व मंत्री हैं.
इससे पहले एनोस एक्का और हरिनारायण राय को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में सजा सुनायी जा चुकी है. सीबीआइ ने आय से अधिक संपत्ति केस में सिर्फ 6.50 लाख रुपये की राशि होने के कारण मामले में ट्रायल चलाने के बदले क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. हालांकि सीबीआइ कोर्ट ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि राशि भले ही कम हो, लोकिन डीए 30 प्रतिशत है. इस तर्क के साथ कोर्ट ने मामले में ट्रायल शुरू किया.
पूर्व निर्धारित समय पर सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा ने अदालती कार्यवाही शुरू की. उन्होंने विधायक बंधु तिर्की से जुड़े मामले में फैसला सुनाने के लिए दूसरी पाली का समय निर्धारित किया.
दूसरी पाली की कार्यवाही शुरू होने के बाद बंधु तिर्की अपने वकील के साथ दोपहर 2.20 बजे कोर्ट रूम पहुंचे. हाथ जोड़ कर न्यायाधीश को प्रणाम किया. उनके साथ कार्यकर्ताओं की भीड़ भी कोर्ट रूम में घुस गयी थी. बंधु ने कार्यकर्ताओं से अनुरोध कर उन्हें कोर्ट रूम से बाहर निकाला. इसके बाद न्यायाधीश ने फैसला सुनाने की प्रक्रिया शुरू की. न्यायाधीश ने नाम और पिता का नाम पूछ कर बंधु की उपस्थिति सुनिश्चित की.
इसके बाद दस्तावेज में लिखे गये आवासीय पता को पढ़कर सुनाया. दस्तावेज में पता चुटिया थाना क्षेत्र का दर्ज था, इसलिए बंधु के गांव ‘बनहोरा’ का स्थायी पता दर्ज किया. इसके बाद न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आपको भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) सहपठित धारा 13(1)(इ) के तहत दोषी करार दिया जाता है.
न्यायालय द्वारा फैसला सुनाये जाने के बाद सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई. इसमें बंधु के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि आय से अधिक संपत्ति के इस मामले में सीबीआइ ने मात्र 6.20 लाख रुपये की संपत्ति अधिक होने का आरोप लगाया है. इसलिए मामले में निहित छोटी सी राशि को देखते हुए कम से कम सजा दी जाए, ताकि विधायकी बची रहे और सामाजिक काम कर सकें. सीबीआइ के वकील ने अधिक से अधिक से सजा देने की अपील की. उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि अभियुक्त पर अर्थ दंड लगाने के दौरान भ्रष्टाचार में निहित राशि को ध्यान में रखें.
निगरानी कांड संख्या : 9/2009
सीबीआइ कांड संख्या : आरसी05ए/2010
प्राथमिकी की तिथि : 11-8-2010
क्लोजर रिपोर्ट : 125-2013
संज्ञान : 31-6-2013
आरोप गठन : 16-1-2019
सीबीआइ के गवाह : 21
बचाव पक्ष के गवाह : 08
अनुसंधानकर्ता : पीके पाणिग्रही
सीबीआइ के वरीय लोक अभियोजक : बृजेश कुमार यादव
बचाव पक्ष का वकील : शंभु अग्रवाल
सजा सुनाये जाने के बाद बंधु तिर्की अदालत से बाहर निकले़ उन्होंने कहा कि मुझे न्यायालय पर भरोसा है. आगे की जो प्रक्रिया है, उसे पूरा करते हुए हाइकोर्ट जायेंगे़
तत्कालीन मधु कोड़ा मंत्रिमंडल के छह सदस्यों पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गा उरांव (मुंडा) ने वर्ष 2008 में झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 में 2013 में हुए संशोधन के बाद अब तक झारखंड के चार विधायकों की सदस्यता जा चुकी है. जिनकी सदस्यता गयी, उनमें लोहरदगा के विधायक कमल किशोर भगत (अब स्वर्गीय), कोलेबिरा के विधायक एनोस एक्का, सिल्ली के विधायक अमित महतो और गोमिया के विधायक योगेंद्र महतो शामिल हैं.
Posted By: Sameer Oraon