केंद्र ने बताया : सीएए से नहीं हो सकती है बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान, वह नागरिकता देने का कानून
झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा और जामताड़ा आदि क्षेत्रों में अवैध प्रवासियों (बांग्लादेशी घुसपैठिये) के प्रवेश के कारण जनसंख्या में हो रहे बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.
रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा और जामताड़ा आदि क्षेत्रों में अवैध प्रवासियों (बांग्लादेशी घुसपैठिये) के प्रवेश के कारण जनसंख्या में हो रहे बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पक्ष सुनने के बाद मौखिक रूप से केंद्र सरकार को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत धुसपैठियों की पहचान नहीं हो सकती है. इस बिंदु पर केंद्र शपथ पत्र दायर कर कैसे पहचान होगी, उसकी जानकारी दे. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 24 जून की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि घुसपैठियों की पहचान के लिए एक समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया है, जो केंद्र के साथ मिल कर काम करेगी. वहीं केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने खंडपीठ को बताया कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के माध्यम से घुसपैठिये की पहचान नहीं हो सकती है. वह नागरिकता देने का कानून है. कोई भी व्यक्ति दस्तावेज के साथ सीएए के तहत नागरिकता मांग सकता है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी दानियल दानिश ने जनहित याचिका दायर कर बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश को रोकने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि संताल परगना क्षेत्र के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा जिलों में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठिये अवैध प्रवेश करते हैं. घुसपैठ लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके कारण उस क्षेत्र की डेमोग्राफी बदलती जा रही है. घुसपैठिये आदिवासी आबादी को भी प्रभावित कर रहे हैं.
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