रांची : सिकल सेल एक अनुवांशिक बीमारी है, जो एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में पहुंचती है. इस बीमारी का ठोस इलाज अभी तक ढूंढा नहीं जा सका है. लेकिन जानकारी और जागरूकता से इस बीमारी का रोकथाम संभव है. इसलिए जरूरी है कि इस बीमारी से बचाव की जानकारी राज्य की जनता तक पहुंचे. बुधवार को उक्त बातें बन्ना गुप्ता ने विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में कही.
मंत्री बन्ना गुप्ता बोले- 1890 लोगों में सिकल सेल की पुष्टि
मंत्री बन्ना गुप्ता सदर अस्पताल परिसर में बतौर मुख्य अतिथि लोगों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अब तक दस लाख सतासी हजार सात सौ पचास लोगों की स्क्रीनिंग की गई है, जिसमें 1890 लोगों में सिकल सेल की पुष्टि हुई है. हमारे पास एक ही एचएलसी मशीन है, जिससे सिकल सेल की कंफर्मेटरी टेस्ट होता है. जल्द ही राज्य के सभी 24 जिलों के सदर अस्पताल में इस मशीन की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि मैंने कोविड के समय स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देश दिया था कि ट्रू नेट मशीन से जांच के समय ही मरीजों की टीबी की भी जांच कर ली जाए. जिससे हम एक ही समय में हम दो बीमारी का पता कर पाएंगे. सिकल सेल को समाप्त करने के लिए भी चिकित्सकों को ऐसी ही रणीनीति के साथ मानव कल्याण के उद्देश्य से काम करना होगा.
सीपी सिंह ने भी लोगों को किया संबोधित
मौके पर रांची के विधायक सीपी सिंह ने भी लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर इस बीमारी की जांच की व्यवस्था हो तभी इस बीमारी को रोका जा सकेगा. अगर हमारे पास सही जानकारी हो तो बहुत सी बीमारियों और महामारी को समय से पहले रोका जा सकता है. चिकित्सा सेवा का क्षेत्र है, चिकित्सकों को यह बात हमेशा याद रखना चाहिए.
जल्द से जल्द पहचान कर रोका जा सकता है सिकल सेल एनीमिया को
वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने कहा कि भारत में जहां सिकल सेल एनीमिया की बीमारी ज्यादा अनुमानित है, वहां हमारी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है. इस कार्यक्रम के तहत शून्य से चालीस वर्ष तक के सभी लोगों की स्क्रीनिंग कराया जाना है. जल्द से जल्द इस बीमारी की पहचान कर ही इसके प्रसार को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस वर्ष राज्य के 40 लाख लोगों के स्क्रीनिंग का लक्ष्य निर्धारित किया है, और इस वित्तीय वर्ष में तीन महीनों के अंदर 25 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है.
सिकल सेल के केस जनजातीय समुदाय के बीच ज्यादा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अभियान के निदेशक ने कहा कि झारखंड आदिवासी बाहुल्य राज्य है और इसमें प्रारंभिक तौर पर सिकल सेल के केस जनजातीय समुदाय के बीच ज्यादा पाए गए हैं. ऐसे में हमारा उत्तरदायित्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है, ताकि लक्ष्य से भी ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग कर इस बीमारी से ग्रसित लोगों की पहचान कर सकें. कार्यक्रम में निदेशक प्रमुख डॉ सीके साही, रक्त कोषांग प्रभारी डॉ जॉन एफ केनेडी, राज्य आईईसी कोषांग प्रभारी डॉ लाल मांझी, डॉ कमलेश, डॉ उमा सिन्हा, सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अनिमा किस्कू, राज्य मानव संसाधन परामर्शी अवनी प्रसाद सहित स्वास्थ्य विभाग के तमाम कर्मचारी और अधिकारी मौजूद थे.