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एक साल में जब्त की गयी सात करोड़ की प्रतिबंधित दवाएं

झारखंड में नशीली दवाओं का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. इस पर रोकथाम लगाने को लेकर राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय की ओर से कार्रवाई की गयी है.

झारखंड में नशीली दवाओं का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. इस पर रोकथाम लगाने को लेकर राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय की ओर से कार्रवाई की गयी है. औषधि निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में राज्य में सात करोड़ से अधिक मूल्य की नशीली व प्रतिबंधित दवाएं जब्त की गयी हैं. यह दर्शाता है कि किस प्रकार से नशीली दवाओं का अवैध कारोबार चल रहा है. जनवरी 2023 से अब तक निदेशालय की ओर से राज्य भर में नशीली दवाएं के अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए 22 अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गयी. इसके बाद नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत 12 मामले में मुकदमा दर्ज कराये गये. पूर्वी सिंहभूम से जुड़े एक मामले में सात मार्च 2023 को अदालत ने एनडीपीएस एक्ट की धारा-22(सी) के तहत आरोपी को हर्जाना के साथ तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. इससे पहले 2020 में पूर्वी सिंहभूम में दर्ज ड्रग एक्ट के एक मामले में स्पेशल जज ने चार अभियुक्त धनंजय कुमार वर्मा, निखिल केशरी, राज कुमार गुप्ता व नीरज कुमार गुप्ता पर दो-दो लाख जुर्माना के साथ 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. इसी प्रकार एनडीपीएस एक्ट के तहत छह अन्य मामलों में अभियुक्तों पर एक लाख जुर्माना के साथ 13 वर्षों की सजा सुनायी गयी है. पिछले तीन वर्षों के दौरान नशीली दवाओं के कारोबार में औसतन दो दर्जन प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की गयी है. इस दौरान दो करोड़ से अधिक मूल्य की नशीली दवाएं भी जब्त की गयी हैं.

ब्राउन शुगर एडिक्ट इंजीनियरिंग के छात्र ने की आत्महत्या की कोशिश :

इंजीनियरिंग कॉलेज के ड्रग एडिक्ट एक छात्र ने कलाई का नस काटकर आत्महत्या की कोशिश की. मामला रांची के बरियातू थाना क्षेत्र का है. 19-20 वर्ष का यह युवक माता-पिता का इकलौती संतान है. युवक की मां निजी संस्थान में काम करती हैं, जबकि पिता सरकारी कर्मी हैं. इकलौते बेटे की हालत देख माता-पिता परेशान हैं. वे बेटे को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं. शुरुआत में उन्हें समझ में नहीं आया कि बेटे ने ऐसा कदम क्यों उठाया. तब वे एक मनोचिकित्सक के पास बेटे को ले गये. चिकित्सक की पूछताछ में युवक ने स्वीकार किया कि भुवनेश्वर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उसे ड्रग्स की लत लग गयी. ड्रग नहीं मिलने पर उसे बेचैनी हो जाती थी. रांची आने पर उसे बरियातू थाना क्षेत्र के लालू खटाल के पास एक ड्रग पैडलर से ड्रग्स मिलने लगा. ड्रग्स खरीदने के लिए उसे पैसे की जरूरत होती थी. पैसा नहीं मिलने पर वह घर में मां से झगड़ा करता था. जरूरत पूरी नहीं होने प उसने कलाई का नस काट आत्महत्या का प्रयास किया. अब माता-पिता नौकरी की जगह बेटे को स्वस्थ कराने और उसे सही रहा पर लाने के लिए अस्पतालों का चक्कर लगाने को विवश हैं.

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