राज्य में सत्ता की राह आसान करेगा संताल परगना का रण
इंडिया गठबंधन के समक्ष पिछला स्ट्राइक बरकरार रखने की चुनौती होगी. वहीं, एनडीए को बढ़ाना होगा ग्राफ. दूसरे चरण में संताल परगना की सभी 18 सीटों पर होना है चुनाव.
रांची. झारखंड की राजनीति में संताल परगना की अपनी साख है. संताल परगना सत्ता की राह आसान करने वाला इलाका है. 20 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव में संताल परगना की सभी 18 सीटों पर चुनाव होना है. संताल परगना में इंडिया और एनडीए गठबंधन ने दोनों ने जाेर लगाया है. संताल परगना झामुमो का मजबूत इलाका है. झामुमो ने आधा दर्जन सीटों पर ऐसा खूंटा गाड़ा है, जिसको पिछले 30-34 वर्षों से कोई हिला नहीं पाया है.
बरहेट, शिकारीपाड़ा, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, बोरियो अभेद किला बन गया है. इस चुनाव में झामुमो और इंडिया गठबंधन के लिए पिछले चुनाव का स्ट्राइक बरकरार रखने की चुनौती होगी. वहीं, भाजपा को सत्ता की राह पकड़ने के लिए अपना ग्राफ बढ़ाना होगा. पिछले चुनाव में झामुमो ने नौ सीटों पर जीत हासिल की थी. संताल परगना की आधी सीटें अकेले झामुमो ने जीता था. वहीं, कांग्रेस ने चार सीटें और तब के झाविमो ने एक सीट जीती थी. बाद में झाविमो विधायक प्रदीप यादव कांग्रेस में ही शामिल हो गये. फिलहाल इंडिया गठबंधन के पास संताल परगना में 14 सीटें हैं. संताल परगना में भाजपा नेताओं ने पूरा समय दिया है. भाजपा ने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारा था.लोबिन व लुइस पर होगी सबकी नजर
वर्तमान चुनाव में संताल परगना की राजनीति बदली है. बोरियो से झामुमो के लंबे समय से विधायक रहे लोबिन हेंब्रम ने इस चुनाव में भाजपा का दामन थाम लिया है. वह बोरियो से भाजपा के उम्मीदवार है. वहीं, झामुमो ने धनंजय सोरेन को उम्मीदवार बनाया है. झामुमो ने एकदम नया चेहरा मैदान में दिया है. इधर, संताल परगना में भाजपा का बड़ा चेहरा रहीं लुइस मरांडी ने भी दल बदल लिया. कभी हेमंत सोरेन को शिकस्त देने वाली लुइस अब चुनावी राजनीति में साथ आ गयीं हैं. झामुमो ने इनको जामा से उम्मीदवार बनाया है. संताल परगना के चुनावी जंग में लुइस मरांडी के प्रदर्शन पर भी सबकी निगाहें होंगी.
भाजपा को घुसपैठिया के नैरेटिव पर भरोसा,तो इंडिया गठबंधन को समीकरण का आसरा
भाजपा ने संताल परगना में आदिवासी वोट बैंक समेटने के लिए बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला बड़े जोर-शोर से उठाया है. भाजपा ने इस नैरेटिव के सहारे आक्रामक प्रचार किया है. भाजपा का आरोप रहा है कि इंडिया गठबंधन बांग्लादेशी गठबंधन को संरक्षण दे रहा है. आदिवासियों की संख्या लगातार घट रही है. इधर, इंडिया गठबंधन को अपने समीकरण का आसरा है. इंडिया गठबंधन ने घुसपैठिये वाला नैरेटिव केंद्र सरकार के माथे डाल कर काउंटर करने की कोशिश की. वहीं, हेमंत सोरेन की मंईयां सम्मान योजना को प्रचार का आधार बनाया है. संताल परगना की लड़ाई मुद्दों की धार भी तय करेगी.
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