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बीएयू: मशरूम उत्पादन की दूसरी यूनिट का उद्घाटन, हर माह 8-9 क्विंटल मशरूम का होगा उत्पादन, ऐसे मिलेगी ट्रेनिंग

पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ एचसी लाल ने बताया कि पुरानी यूनिट में प्रतिवर्ष औसतन चार से पांच क्विंटल ही विभिन्न प्रकार के मशरूम का उत्पादन होता था. पहली यूनिट के नव निर्माण के बाद अब प्रति माह चार से पांच क्विंटल बटन मशरूम का उत्पादन हो रहा है.

रांची: रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि संकाय अधीन पौध रोग विज्ञान विभाग द्वारा संचालित मशरूम उत्पादन यूनिट में मशरूम उत्पादन के लिए दूसरी यूनिट का उद्घाटन शुक्रवार को संपन्न हुआ. डीन एग्रीकल्चर डॉ डीके शाही ने फीता काटकर इस यूनिट का उद्घाटन किया. मौके पर डॉ डीके शाही ने आईसीएआर-नाहेप परियोजना के सौजन्य से मशरूम उत्पादन के यूनिट का नव निर्माण एवं सुसज्जीकरण के लिए आभार जताया. पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ एचसी लाल ने बताया कि पुरानी यूनिट में प्रतिवर्ष औसतन चार से पांच क्विंटल ही विभिन्न प्रकार के मशरूम का उत्पादन होता था. पहली यूनिट के नव निर्माण के बाद अब प्रति माह चार से पांच क्विंटल बटन मशरूम का उत्पादन हो रहा है. एक कटाई में करीब 60-70 किलो मशरूम का उत्पादन प्राप्त हो रहा है. दूसरी यूनिट के नव निर्माण से अब प्रतिमाह करीब 8 से 9 क्विंटल मशरूम का उत्पादन संभव हो सकेगा.

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मशरूम उत्पादन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मिली गति

बीएयू के डीन एग्रीकल्चर डॉ डीके शाही ने कहा कि कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह की पहल एवं प्रयासों से ही यूनिट में सुविधाओं का विस्तार हुआ है और इससे मशरूम उत्पादन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों को गति मिली है. उन्होंने कहा कि अब मशरूम उत्पादन का दो यूनिट कार्य करने लगेगा. कृषि स्नातक छात्र-छात्राओं को अनिवार्य एक्सपीरियंस लर्निंग कार्यक्रम में बेहतर सुविधा एवं साधन के साथ व्यावहारिक जानकारी मिलेगी. इससे विश्वविद्यालय का आन्तरिक श्रोत भी बढ़ेगा और बेहतर सुविधा के साथ किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी बढ़ावा मिलेगा.

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व्यावसायिक खेती एवं प्रशिक्षण को मिलेगी गति

डीन वानिकी एवं परियोजना अन्वेषक (नाहेप) डॉ एमएस मल्लिक ने मशरूम उत्पादन यूनिट के दो यूनिट के नव निर्माण, सुसज्जीकरण एवं सुविधाओं के विस्तार से वर्ष भर मशरूम उत्पादन की संभवना पर ख़ुशी जतायी. विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास एवं बीएयू विकास में नाहेप परियोजना के तहत आगे भी सहयोग देने की बात कहीं. डायरेक्टर सीड एंड फार्म डॉ एस कर्माकार ने कहा कि वर्षों बाद दोनों मशरूम उत्पादन यूनिट में आधुनिक सुविधा के मिलने से विश्वविद्यालय में व्यावसायिक खेती एवं प्रशिक्षण को गति मिलेगी.

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मशरूम की व्यावसायिक खेती का ले सकते हैं प्रशिक्षण

पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ एचसी लाल ने बताया कि पुरानी यूनिट में प्रतिवर्ष औसतन चार से पांच क्विंटल ही विभिन्न प्रकार के मशरूम का उत्पादन होता था. पहली यूनिट के नव निर्माण के बाद अब प्रति माह चार से पांच क्विंटल बटन मशरूम का उत्पादन हो रहा है. एक कटाई में करीब 60-70 किलो मशरूम का उत्पादन प्राप्त हो रहा है. दूसरी यूनिट के नव निर्माण से अब प्रतिमाह करीब 8 से 9 क्विंटल मशरूम का उत्पादन संभव हो सकेगा. डॉ लाल ने बताया कि इस यूनिट में मशरूम की व्यावसायिक खेती के प्रशिक्षण के लिए युवक-युवतियां, गृहणी, किसान, उत्पादक एवं संस्थाएं विशेष जानकारी लेकर निबंधन करा सकते हैं. मौके पर एसोसिएट डीन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग ई डीके रुसिया, पौधा रोग वैज्ञानिक डॉ एमके वर्णवाल तथा अधिदर्शक मुनी प्रसाद भी मौजूद थे.

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