झारखंड B.ED कॉलेज के प्राचार्य व विद्यार्थी बना रहे हैं दबाव, शिक्षा सचिव ने दी चेतावनी
कॉलेज नयी व्यवस्था को समाप्त करने के लिए दबाव बना रहे हैं. पत्र में कहा गया है कि प्राचार्य/शिक्षक का यह कृत्य न केवल सेवा शर्त के प्रतिकूल है, बल्कि अवांछनीय है.
झारखंड के बीएड कॉलेज के प्राचार्य व विद्यार्थी अभ्यास पाठ (प्रैटिक्स ट्रेनिंग क्लास) के लिए मनचाहा स्कूल नहीं मिलने पर शिक्षा सचिव कार्यालय से लेकर विभाग से संबंधित अन्य कार्यालय जाकर दबाव बना रहे हैं. शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने इस संबंध में राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि कॉलेज के प्राचार्य, शिक्षक विद्यार्थी को लेकर सीधे शिक्षा सचिव के कार्यालय पहुंच जा रहे हैं.
कॉलेज नयी व्यवस्था को समाप्त करने के लिए दबाव बना रहे हैं. पत्र में कहा गया है कि प्राचार्य/शिक्षक का यह कृत्य न केवल सेवा शर्त के प्रतिकूल है, बल्कि अवांछनीय है. सभी कुलपति से अनुरोध किया गया है कि वे अपने अधीनस्थ कॉलेज प्रशासन को अपने स्तर से यह जानकारी दें कि वे इस प्रकार के कृत्य से बचें. विभाग के कार्य में अनावश्यक हस्तक्षेप व व्यवधान उत्पन्न नहीं करें.
प्रशिक्षुओं को अगर स्कूल जाने में परेशानी हो, तो शिक्षण संस्थान अपने स्तर से वाहन की व्यवस्था करे. पत्र में यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विश्वविद्यालय के प्रावधान के अनुसार अगर निजी स्कूल में अभ्यास पाठ किया जा सकता है, तो इसके लिए वे स्वतंत्र है. कॉलेजों को चेतावनी दी गयी है कि इसके बाद भी अगर कार्यालय के कार्य में बाधा उत्पन्न की जाती है, तो उनकी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जायेगी.
शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों के लिए पांच माह का अभ्यास पाठ करना अनिवार्य होता है. इसके तहत प्रशिक्षणार्थी को स्कूल में बच्चों को शिक्षक की तरह पढ़ना होता है. अब तक के प्रावधान के अनुरूप प्रशिक्षणार्थियों के अभ्यास पाठ के लिए स्कूल का चयन संबंधित जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी/जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा किया जाता था. प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र भी जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा जारी किया जाता था. अब इसमें बदलाव किया गया है. अब स्कूल का निर्धारण जेसीइआरटी द्वारा किया जाता है और प्रमाण पत्र भी जिला शिक्षा पदाधिकारी की अनुशंसा पर जेसीइआरटी द्वारा ही जारी किया जाता है.
बदलाव वापस लेने का क्यों बनाया जा रहा है दबाव
पहले जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय द्वारा प्रशिक्षुओं की प्रतिनियुक्ति उन स्कूलों में कर दी जाती थी, जहां जरूरत नहीं होती थी. प्राय: यह देखा जाता था कि जिस स्कूल में पहले से पर्याप्त संख्या में शिक्षक हैं, वहां प्रतिनियुक्ति कर दी जाती थी. ऐसे में स्कूल के शिक्षक पांच माह तक कक्षा नहीं लेते थे. इसके अलावा कई ऐसे स्कूल में प्रशिक्षुओं की प्रतिनियुक्ति कर दी जाती थी, जहां विद्यार्थी की संख्या कम थी.
जिस स्कूल में 50 विद्यार्थी नामांकित हैं, वहां 15 प्रशिक्षुओं की प्रतिनियुक्ति कर दी जाती थी. इससे प्रशिक्षण का उद्देश्य पूरा नहीं होता था. इसे देखते हुए इस में बदलाव किया गया है. इसके चलते प्रशिक्षुओं को दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में भी जाना पड़ रहा है. दूसरी तरफ जेसीइआरटी द्वारा इसे निंयत्रित किये जाने से कॉलेज स्तर पर पहले जो सेटिंग की जाती थी, वह अब नहीं हो रही है. इसलिए सुनियोजित तरीके से इस व्यवस्था का विरोध किया जा रहा है.