Benefits of sarna code : सरना आदिवासी धर्म कोड के प्रस्ताव में सरकार का पक्ष, क्या होगा फायदा

सरकार की ओर से विधानसभा में रखे गये अपने प्रस्ताव बताया है कि सरना आदिवासी धर्म कोड से क्या फायदा मिलेगा

By Prabhat Khabar News Desk | November 12, 2020 9:34 AM

रांची : सरना आदिवासी धर्म कोड को लेकर सरकार की ओर से विधानसभा में रखे गये प्रस्ताव में अपना पक्ष रखा है. साथ ही इसके फायदे भी गिनाये हैं. सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि सरना आदिवासी धर्म कोड क्यों जरूरी है.

पिछले आठ दशक में आदिवासी जनसंख्या का प्रतिशत 38.03 से घट कर वर्ष 2011 में 26.02 प्रतिशत हो गया.

आठ दशकों में आदिवासी जनसंख्या में तुलनात्मक रूप से 12 प्रतिशत की कमी आयी है.

झारखंड की कुल आबादी में वृद्धि दर अन्य समुदायों की वृद्धि दर से बहुत कम है.

4वर्ष 1931 से 1941 के बीच जहां आदिवासी आबादी की वृद्धि दर 13.76 है. वही गैर आदिवासी की वृद्धि दर 11.13 प्रतिशत है.

वर्ष 1991 से 2001 के बीच आदिवासी जनसंख्या की वृद्धि दर 17.19 प्रतिशत व अन्य समुदाय की जनसंख्या वृद्धि दर 25.65 प्रतिशत है.

पिछले 10 वर्षों में जनगणना का कार्य फरवरी माह के बीच किया जाता है. विडंबना है कि यह लीन पीरियड होता है. 4आदिवासी अपने फसल के कार्यों से मुक्त होकर वक्त के बाकी महीनों की आजीविका के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन कर जाते हैं. वैसे आदिवासियों की गणना जो प्रदेश के बाहर होते हैं, आदिवासी के रूप में ना होकर सामान्य जाति के रूप में कर ली जाती है.

आदिवासियों की जनसंख्या में गिरावट के कारण संविधान के विशेष अधिकारों के तहत पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आदिवासी विकास की नीतियों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है.

पंचायत उपबंध (अनुसूचित विस्तार अधिनियम) की धारा 4(ड) के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र के प्रत्येक पंचायतों के विभिन्न पदों पर आदिवासियों के लिए आरक्षित किये जाने का आधार जनसंख्या को ही माना गया है. इसी प्रकार पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों को चिह्नित करने का आधार भी जनगणना को माना गया है. पिछले कई वर्षों के पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में ऐसे जिलों को हटाने की मांग की जा रही है, जहां आदिवासियों की जनसंख्या में कमी आयी है.

जनसंख्या में आनेवाली कमी आदिवासियों के लिए दिये जाने वाले संवैधानिक अधिकारों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा. हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन धर्मावलंबियों से अलग सरना अथवा प्राकृतिक पूजक आदिवासियों की पहचान के लिए और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए अलग सरना कोड आवश्यक है.

सरना धर्मावलंबियों आदिवासियों की गिनती स्पष्ट रूप से जनगणना के माध्यम से हो सकेगी.

आदिवासियों की जनसंख्या का स्पष्ट आकलन हो सकेगा.

आदिवासियों को मिलने वाली संवैधानिक अधिकारों (पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों, ट्राइबल सब प्लान के तहत मिलने वाले अधिकारों, विशेष केंद्रीय सहायता के लाभ और भूमि के पारंपरिक अधिकारों) का लाभ प्राप्त हो सकेगा.

आदिवासियों की भाषा संस्कृति इतिहास का संरक्षण एवं संवर्धन होगा.

posted by : sameer oraon

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