झारखंड की ट्रांसमिशन लाइन का मामला बंगाल ने दो साल से रोका

चंदनकियारी-धनबाद ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण की मंजूरी से संबंधित फाइल दो साल से पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री कार्यालय में अटकी हुई है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 8, 2020 6:05 AM

सुनील चौधरी, रांची : चंदनकियारी-धनबाद ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण की मंजूरी से संबंधित फाइल दो साल से पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री कार्यालय में अटकी हुई है. इस मुद्दे पर अब तक निर्णय नहीं होने के कारण झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण नहीं कर पा रहा है. इस वजह से धनबाद स्थित गोविंदपुर और चंदनकियारी बिजली नेटवर्क से जुड़ नहीं पा रहे हैं.

  • मंजूरी के लिए झारखंड के मुख्य सचिव ने प बंगाल के मुख्य सचिव को लिखा पत्र

  • चंदनकियारी ग्रिड तैयार, पर ट्रांसमिशन लाइन नहीं बनने से चालू नहीं हो रहा ग्रिड

  • सेल के कोयला खदान के कारण मामला है अटका

  • राज्य में यूपीए सरकार होने से जगी है उम्मीद

सूत्रों ने बताया कि दिसंबर 2019 तक झारखंड में भाजपा की सरकार की थी. भाजपा और टीएमसी में मतभेद की वजह से इस लाइन की मंजूरी नहीं मिल रही थी. अब झारखंड में सरकार बदल गयी है. झामुमो के नेतृत्व में यूपीए की सरकार है. संचरण निगम के अधिकारियों को उम्मीद है कि शायद बंगाल से अनुमति अब मिल जाये. हालांकि, यहां सरकार गठन के छह माह बीत गये हैं, इसके बावजूद अनुमति नहीं मिली है.

पश्चिम बंगाल में है छह किमी का हिस्सा : चंदनकियारी में बने ग्रिड को गोविंदपुर (धनबाद) ग्रिड से जोड़ना है. इसके लिए ट्रांसमिशन लाइन बननी है. इस लाइन के बनने से धनबाद जहां सेंट्रल ग्रिड से जुड़ जायेगा, वहीं धनबाद व बोकारो में डीवीसी पर निर्भरता खत्म हो जायेगी. झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड धनबाद व बोकारो में बिजली की आपूर्ति कर सकेगा. वर्तमान में दोनों जिलों में डीवीसी से ही अापूर्ति की जाती है.

पूर्व में चंदनकियारी-गोविंदपुर लाइन झारखंड क्षेत्र से ही होकर गुजरनी थी. बीच में सेल का कोयला खदान आ रही थी. इस कारण सेल से अनुमति नहीं मिली. इसके बाद वैकल्पिक रूट बनाया गया. यह चंदनकियारी से सटे पश्चिम बंगाल के हिस्से में पड़नेवाले संथालडीह से होकर गुजरेगा. लगभग छह किमी लाइन बंगाल के हिस्से में पड़ती है. यहां 26 टावर बनने हैं.

झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड के आग्रह पर बंगाल की ट्रांसमिशन कंपनी कोलकाता ट्रांसमिशन ने अनुमति दे दी. फिर वहां के ऊर्जा विभाग से भी अनुमति मिल गयी. दो राज्यों के बीच का मामला देखते हुए अनुमति के लिए बंगाल के ऊर्जा विभाग ने प बंगाल मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भेज दी. दो वर्ष होने को हैं, लेकिन अब तक सीएमओ (पश्चिम बंगाल) से इसकी मंजूरी नहीं मिली है. इधर चंदनकियारी-गोविंदपुर लाइन का काम भी अटका हुआ है.

Post by : Pritish Sahay

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