भीमा कोरेगांव मामला : एनआइए ने स्टेन स्वामी को किया गिरफ्तार, जानिए क्या है पूरा मामला
भीमा कोरेगांव मामले में दिल्ली से आयी एनआइए की टीम ने फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर लिया.
रांची : भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon case) में दिल्ली से आयी एनआइए की टीम ने फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर लिया. स्वामी की गिरफ्तारी रांची के नामकुम थाना क्षेत्र के बगईंचा स्थित घर से गुरुवार की शाम में की गयी. करीब 20 मिनट तक एनआइए की टीम स्वामी के घर में रही. फिर उन्हें गिरफ्तार कर अपने साथ ले गयी.
संभव है कि उन्हें शुक्रवार को रांची स्थित एनआइए कोर्ट में पेश किया जायेगा. उनको रिमांड पर भी लिया जा सकता है या फिर ट्रांजिट रिमांड पर उन्हें दिल्ली ले जाया जा सकता है. जानकारी के अनुसार, एक जनवरी 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में एक पार्टी के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हुई हिंसा मामले में एनआइए ने फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया.
मूल रूप से केरल के रहनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी करीब पांच दशक से झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.
कई लोग पकड़े गये थे :
बता दें कि इस मामले में 28 अगस्त, 2019 को पुणे पुलिस ने देश के अलग-अलग हिस्सों में छापा मारकर कई लोगों को पकड़ा था. उस वक्त कहा गया कि प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रची जा रही थी. लेकिन इस आरोप को एफआइआर में नहीं डाला गया.
आरोपियों की ब्रांडिंग अर्बन-नक्सल के तौर पर की जा रही थी. लेकिन 24 जनवरी, 2020 को केंद्रीय जांच एजेंसी एनआइए ने केस अपने हाथ में ले लिया. एनआइए ने एफआइआर में 23 में से 11 आरोपियों को नामजद किया है, जिनमें कार्यकर्ता सुधीर धावले, शोमा सेन, महेश राउत, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्विस, आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा आदि शामिल हैं.
कब-कब क्या हुआ
– 12 जून 2019 : महाराष्ट्र एटीएस की टीम स्वामी के घर पर छापामारी कर कंप्यूटर सहित अन्य सामान जब्त कर ले गयी थी
– 24 जनवरी 2020 को एनआइए ने केस टेकओवर कर मामले की जांच शुरू की थी
– छह अगस्त 2020 : एनआइए दिल्ली की टीम नामकुम स्थित स्वामी के घर पहुंचकर उनसे पूछताछ की थी.
क्या है मामला :
भीम कोरेगांव महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित छोटा सा गांव है. एक जनवरी, 1818 को ईस्ट इंडिया कपंनी की सेना ने बाजीराव पेशवा द्वितीय की बड़ी सेना को कोरेगांव में हरा दिया था. भीमराव आंबेडकर के अनुयायी इस लड़ाई को राष्ट्रवाद बनाम साम्राज्यवाद की लड़ाई नहीं मानकर, दलितों की जीत बताते हैं.
उनके मुताबिक, लड़ाई में दलितों पर अत्याचार करनेवाले पेशवा की हार हुई थी. हर साल एक जनवरी को दलित समुदाय के लोग भीमा कोरेगांव में विजय स्तंभ के सामने जमा होते हैं. इस स्तंभ को अंग्रेजों ने पेशवा को हरानेवाले जवानों की याद में बनाया था. वर्ष 2018 में युद्ध के 200वें साल का जश्न मनाने के लिए भारी संख्या में दलित समुदाय के लोग जुटे थे.
जश्न के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गयी. इसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी, जबकि कई लोग घायल हो गये थे. यहां दलित और बहुजन समुदाय के लोगों ने एल्गार परिषद के नाम से शनिवारवाड़ा में जनसभाएं कीं, जिसके बाद यहां हिंसा भड़क उठी. आरोप है कि भाषण देनेवालों में स्टेन स्वामी भी थे. इस मामले में 23 आरोपी हैं, जिनमें से 12 की गिरफ्तारी हो चुकी है.
posted by : sameer oraon