केंद्र ने भुइंहर मुंडा जाति को आदिवासी मानने से किया इनकार, झारखंड सरकार ने दिया था प्रस्ताव

झारखंड सरकार ने भुइंहर मुंडा जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की अनुशंसा जनजातीय मामलों के मंत्रालय से की थी. राज्य सरकार की ओर से भेजे गये प्रस्ताव में भुइंहर मुंडा को मुंडा जनजाति की उपजाति बताया गया था

By Prabhat Khabar News Desk | March 30, 2023 3:21 AM

रांची, आनंद मोहन:

केंद्र सरकार ने झारखंड की भुइंहर मुंडा जाति को ‘बाभन’ मानते हुए आदिवासियों (अनुसूचित जनजाति) की सूची में शामिल करने से इनकार कर दिया है. रजिस्ट्रार जेनरल ऑफ इंडिया ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया है कि इसमें भुइंहर मुंडा जाति के मूल और समकालीन जनजातीय विशेषताओं के साथ अन्य बिंदुओं का उल्लेख नहीं किया गया है. भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने 20 मार्च 2023 को इससे संबंधित सूचना राज्य सरकार को भेज दी है.

झारखंड सरकार ने भुइंहर मुंडा जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की अनुशंसा जनजातीय मामलों के मंत्रालय से की थी. राज्य सरकार की ओर से भेजे गये प्रस्ताव में भुइंहर मुंडा को मुंडा जनजाति की उपजाति बताया गया था. राज्य सरकार ने अपने प्रस्ताव के पक्ष में कई पुस्तकों सहित अन्य दस्तावेज का हवाला दिया था.

सरकार ने वर्ष 1926 में प्रकाशित बिहार और ओड़िशा जिला गजेटियर का हवाला दिया था. इसमें इस बात का उल्लेख किया गया था कि मुंडा जाति को कुछ लोग लातेहार जिले में रहते हैं. इन्हें भुइंहर के नाम से जाना जाता है. सरकार ने गजेटियर के अलावा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के प्रारंभिक परिचय में वर्णित तथ्यों का हवाला दिया था. इस परिचय में इस बात का उल्लेख किया गया है कि होरो जनजाति छोटानागपुर की मूल निवासी है.

इस जाति की तीन शाखाएं हैं, जिन्हें मुंडा, संथाल और हो के नाम से जाना जाता है. इस जनजाति की भी कई उपजातियां है. इसमें बिरहोर, भुइंहर, नगेशिया, भूमिज, कोरबा इत्यादि शामिल हैं. इनके कुछ वंशज दूसरे गांव में बसे हुए हैं. इन लोगों ने जंगल को काट कर जमीन तैयार कर खेती की. ऐसे गांवों को खुंटकटी या भुइंहर गांव कहा जाता है. इन तथ्यों के आधार पर राज्य सरकार ने यह कहा था कि मुंडा जाति की एक उपजाति भुइंहर मुंडा है. इसलिए इस उपजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाना चाहिए,

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को मंतव्य के लिए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजेआइ) को भेजा. रजिस्ट्रार जनरल ने पूरे मामले पर विचार करने के बाद अपनी राय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजी. इसमें यह कहा गया कि भुइंहर व भुइंहार केंद्रीय सूची में अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) के रूप में शमिल है. मुंडा जाति अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल है.

लेकिन भुइंहर मुंडा किसी सूची में शामिल नहीं है. रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमिहार (भूइंहार) शब्द का उल्लेख पहली बार 19वीं सदी में आगरा व अवध के दस्तावेज में किया गया. भूमिहार शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है. पहला शब्द भूमि (लैंड) और दूसरा शब्द हारा (जो जमीन जब्त करता हो) है. 19 वीं सदी के अंतिम में भूमिहार ब्राह्मण शब्द का इस्तेमाल पुरोहित ब्राह्मण वर्ग में होने के दावे के लिए किया गया.

भूमिहार शब्द का अपभ्रंश ‘बाभन’ है. रजिस्ट्रार जनरल ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को यह कहते हुए मानने से इनकार कर दिया है कि सरकार ने भुइंहर मुंडा उप जाति के मूल (ओरिजिन), समकालीन जनजातीय विशेषताओं और एससी, एसटी, ओबीसी के मुकाबले सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का उल्लेख नहीं किया है, जबकि किसी जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए इन बिंदुओं का उल्लेख होना जरूरी है.

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