आलमगीर आलम, डॉ रामेश्वर उरांव सहित कई विधायक चुनाव लड़ने का नहीं लेना चाहते जोखिमरांची. कांग्रेस के बड़े नेताओं ने अपने को लोकसभा चुनाव से दूर रखा है. पार्टी के कई सूरमा लोकसभा चुनाव में जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. चुनावी महौल को भांप कर मैदान से दूर ही रहना चाहते हैं. कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर, मंत्री रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख सहित कई विधायकों ने टिकट के लिए जोर भी नहीं लगाया. केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कई नेताओं को चुनाव लड़ने का दबाव भी है. लेकिन दिल्ली दरबार में नेता अपनी लाचारी भी बता रहे हैं. ऐसे में पार्टी को नये चेहरे की तलाश है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कोटे में सात सीटें आयी हैं. इन सीटों पर दमदार प्रत्याशी की तलाश है. कई सीटों पर पार्टी पुराने ही चेहरे को मौका दे रही है.
खूंटी-लोहरदगा की सीट पर पुराने चेहरे पर ही दावं : कांग्रेस के कोटे में लोकसभा की दो एसटी सीटें आ रही हैं. दक्षिणी छोटानागपुर की दो सीटें खूंटी और लोहरदगा पार्टी के खाते में है. कांग्रेस से सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में जाने के बाद सिंहभूम की सीट झामुमो के पास चली गयी है. यहां भी कांग्रेस के पास कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं था. खूंटी और लोहरदगा से पार्टी पुराने चेहरे पर ही दांव चलने का मन बनाया है. खूंटी से कालीचरण मुंडा और लोहरदगा से सुखदेव भगत को चुनावी लड़ाई में उतारने की रणनीति है.धनबाद से विधायक तैयार नहीं, प्रत्याशी की तलाश : धनबाद संसदीय सीट पर पार्टी को प्रत्याशी की लताश है. इस सीट पार्टी प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से लेकर ददई दुबे तक का नाम चल रहा है. यह सीट भाजपा का मजबूत गढ़ रहा है. यहां की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस के माथे पर पसीना है. इस सीट से झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने चुनाव लड़ने की पेशकश ठुकरा दी है.