झारखंड में बड़ा गड़बड़झाला, कागजी व्यापारियों ने सरकार को लगाया 177.20 करोड़ रुपये का चूना
व्यापारियों ने 177.20 करोड़ टैक्स की चोरी की. जांच के दौरान अधिकारियों ने 66 कागजी व्यापारियों के आइटीसी लेजर को ब्लॉक कर दिया. फर्जी दस्तावेज पर रजिस्ट्रेशन नंबर लेकर व्यापार करने वाले इन व्यापारियों में से कुछ की पहचान की गयी और उनसे आइटीसी मद के 5.94 करोड़ रुपये वसूले गये हैं.
रांची, शकील अख्तर : सेंट्रल जीएसटी एंड सेंट्रल एक्साइज ने रांची जोन के 135 कागजी व्यापारियों की पहचान की है. इन व्यापारियों ने 177.20 करोड़ रुपये टैक्स की चोरी की है. साथ ही केंद्रीय लोक उपक्रम से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के रूप में 202.04 करोड़ रुपये की वसूली की है. राज्य में किसी एक कंपनी से वसूली जानेवाली यह अब तक की सबसे बड़ी रकम है. चीफ कमिश्नर बीबी महापात्रा के मार्गदर्शन में विभागीय अधिकारियों ने राज्य के संदेहास्पद रजिस्ट्रेशन नंबरवाले 169 व्यापारियों की जांच की. इसमें 135 रजिस्ट्रेशन नंबर फर्जी पाये गये.
कोयला, लोहा सहित कुछ अन्य वस्तुओं के व्यापार में शामिल इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज पर रजिस्ट्रेशन नंबर लेकर कारोबार किया. इसी क्रम में इन व्यापारियों ने 177.20 करोड़ टैक्स की चोरी की. जांच के दौरान अधिकारियों ने 66 कागजी व्यापारियों के आइटीसी लेजर को ब्लॉक कर दिया. इसमें 29.64 करोड़ रुपये जमा हैं. दूसरे व्यापारियों तक गलत तरीके से आइटीसी का लाभ पहुंचने से रोकने के लिए लेजर को ब्लॉक किया गया है.
फर्जी दस्तावेज पर रजिस्ट्रेशन नंबर लेकर व्यापार करने वाले इन व्यापारियों में से कुछ की पहचान की गयी और उनसे आइटीसी मद के 5.94 करोड़ रुपये वसूले गये हैं. सीजीएसटी की इंटेलिजेंस इकाई द्वारा यह सूचना दी गयी थी कि धनबाद क्षेत्र के 31 कोयला व्यापारियों द्वारा सिर्फ चालान जारी किया जा रहा है. इस सूचना के आधार पर संबंधित रजिस्ट्रेशनवाले व्यापारियों की जांच की गयी. इसमें पाया गया कि 21 व्यापारियों का कहीं कोई अस्तित्व नहीं है. इन व्यापारियों ने किसी तरह का वास्तविक व्यापार भी नहीं किया है. इन फर्जी व्यापारियों के सिलसिले में अभी जांच जारी है. जीएसटी के अधिकारियों ने केंद्रीय लोक उपक्रम से आइटीसी के रूप में 202 करोड़ रुपये की वसूली की है. यह वसूली वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 में की गयी है.
कोयला और अन्य उपकरणों की खरीद पर आइटीसी का लाभ लिया
सीजीएसटी के अधिकारियों ने पाया कि कंपनी ने बिजली उत्पादन में इस्तेमाल की जानेवाली सामग्री जैसे कोयला व अन्य उपकरणों की खरीद पर आइटीसी का लाभ लिया. लेकिन इसे विभाग को वापस नहीं किया. नियमानुसार कंपनी द्वारा आइटीसी की राशि खुद ही सरकारी खजाने में जमा करा देनी चाहिए थी. लेकिन कंपनी ने ऐसा नहीं किया. विभागीय अधिकारियों द्वारा की गयी पहल के बाद कंपनी ने जनवरी 2023 को आइटीसी का 80 करोड़, 20 अप्रैल 2023 को 66.36 करोड़ वापस किया. इसके बाद विभाग द्वारा दो मई को जारी किये गये समन के आलोक में 19 मई 2023 को 55.68 करोड़ रुपये वापस किया. इस तरह विभाग ने कंपनी से आइटीसी मद में 202.04 करोड़ रुपये की वसूली की. विभाग द्वारा टैक्स चोरी के खिलाफ की गयी कार्रवाई और जांच पड़ताल में अपर आयुक्त आशीष मिश्रा, सहायक आयुक्त किशोर बरवा, अधीक्षक दिनेश कुमार, इंस्पेक्टर निशिकांत गौतम शामिल थे.
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