Jharkhand News: कृषि मंत्री बादल ने कहा है कि तीन साल में कृषि विभाग 30 लाख किसानों तक पहुंच गया है. अगले दो साल में और 28 लाख किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य है. पांच साल के कार्यकाल में सरकार 58 लाख बिरसा किसानों की फौज तैयार कर लेगी. इसमें हर किसान को कुछ न कुछ सरकारी योजनाओं का लाभ मिले. इसके लिए विभाग काम कर रहा है. इसके लिए नयी तकनीक का उपयोग हो रहा है. इससे बार-बार सरकारी योजना का लाभ लेनेवाले किसानों की पहचान हो जायेगी. श्री बादल मंगलवार को कृषि विभाग की ओर से आयोजित रबी कर्मशाला का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे.
मंत्री ने कहा कि यह आंकड़ा केवल दिखाने के लिए नहीं होगा. किसानों को समृद्ध करना ही विभाग का लक्ष्य है. विभाग कमिटमेंट के साथ काम रहा है. दो साल कोरोना के बाद अब काम दिखने लगा था. ऐसे में सूखा आ गया. किसान टूटे हुए हैं. अब बिजली विभाग बिल बकाये पर उनका कनेक्शन काट रहा है. इस मामले में वह ऊर्जा विभाग के सचिव से बात करेंगे.
कृषि सचिव अबु बक्कर सिद्दीख ने कहा कि अधिकारियों को नये आइडिया लेकर आने आना चाहिए. केवल पारंपरिक खेती करने से किसानों की आय बहुत नहीं बढ़ा सकते हैं. राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए कृषि महत्वपूर्ण है. विभाग प्रयास कर रहा है. कई नयी योजनाएं भी ली गयी हैं. इसका असर दिखेगा. खेती को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था जरूरी है. काफी प्रयास के बाद भी हम 15 से 20 फीसदी खेतों तक ही पानी पहुंचा पा रहे हैं.
नयी तकनीक के जरिये बार-बार सरकारी योजना का लाभ लेनेवाले किसानों की पहचान की जायेगी
बिल बकाया होने पर किसानों का बिजली कनेक्शन काटने के मामले में ऊर्जा सचिव से करेंगे बात
रबी कर्मशाला के दौरान निबंधक सहकारिता मृत्युंजय वर्णवाल ने बताया कि राज्य सरकार से सूखा राहत लेने के लिए 26.62 लाख किसानों ने आवेदन किया है. इसमें करीब छह लाख किसानों का आवेदन उपायुक्त के स्तर से अनुमोदित हो गया है. स्थापना दिवस के दिन 10 लाख किसानों को सूखा राहत की राशि देने की उम्मीद है.
अतिथियों का स्वागत करते हुए कृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि विभाग बीज वितरण में ‘ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी’ लायी है. इससे बीच वितरण में पारदर्शिता आयी है. इस तकनीक की धूम विश्व में मच रही है. हाल ही में अमेरिकी मैगजीन ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ में इस तकनीक की सफलता के बारे में छापा गया है. किसानों का अब तक 1645 करोड़ रुपये ऋण माफ कर दिया गया है. मौके पर बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ एसके पाल ने भी विचार व्यक्त किये.