Birsa Munda Jayanti: दुर्लभ दस्तावेजों में दबे पड़े हैं बिरसा मुंडा से जुड़े सत्य, लंदन तक भेजी गयी थी गिरफ्तारी की खबर
Birsa Munda Jayanti: बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने बिरसा के समर्थकों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. इसमें कितनों की जान गयी थी इसकी खुलासा अभी तक नहीं हो सका है.
Birsa Munda Jayanti, रांची: बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की गिरफ्तारी को अंग्रेज सरकार बहुत बड़ी उपलब्धि मानती थी. जैसे ही बिरसा मुंडा को गिरफ्तार किया गया, इसकी सूचना लेफ्टिनेंट गवर्नर, बंगाल ने टेलीग्राम से गृह विभाग को दी. 6 फरवरी, 1900 को भेजे गये टेलीग्राम में लिखा था-बिरसा को कल गिरफ्तार कर लिया गया है. 8 फरवरी, 1900 को भारत के गृह विभाग की ओर से लंदन में सर आर्थर गोडले (अंडर सेकेरेट्री ऑफ स्टेट फॉर इंडिया) को उस टेलीग्राम की कापी के साथ खबर दी गयी कि बिरसा मुंडा और उनके प्रमुख सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. डुंबारी में 9 जनवरी, 1900 को सईल रकब पहाड़ी पर पुलिस ने बिरसा समर्थकों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. इसमें कितने लोग मारे गये थे, इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ है.
स्टेट्समैन ने चार सौ मुंडा के मारे जाने का किया था रिपोर्ट प्रकाशित
कोलकाता से प्रकाशित स्टेट्समैन ने 25 मार्च, 1900 के अंक में चार सौ मुंडा के मारे जाने का जिक्र किया था. रांची के डिप्टी कमिश्नर स्ट्रीटफील्ड ने इस रिपोर्ट पर आपत्ति की थी और कहा था कि सिर्फ 11 लोग मारे गये थे. लंदन में एक पत्र सुरक्षित है जिसे कैप्टन रोसे ने घटना के दूसरे दिन यानी 10 जनवरी, 1900 को बुरजू कैंप से लिखा था जिसमें कुछ नयी जानकारियां हैं. कैप्टन रोसे ने ही पूरे अभियान का नेतृत्व किया था. इस पत्र से मालूम होता है कि अभियान में छोटानागपुर के कमिश्नर फोरबेस भी रास्ते में उनके साथ थे. पत्र में लिखा है-मैं नहीं बता सकता कि वास्तव में कितने लोग मारे गये हैं लेकिन मैंने वहां 15 शवों को देखा था.
कैप्टन रोसे की पत्र से खुलासा 15 आदिवासी की मौत पुलिस की गोली से
कैप्टन रोसे के पत्र से यह तो जाहिर हो जाता है कि कम से कम 15 आदिवासी पुलिस की गोली से वहां मारे गये थे. कुछ को छोड़ कर मारे गये लोगों की पहचान भी नहीं हो पायी थी. तीन महिलाएं भी पुलिस की गोली से मारी गयी थीं, एक बच्चा भी मरा था जो बताता है कि कितनी निर्दयता से पुलिस ने गोली चलायी थी. मारी गयी महिलाओं का नाम सामने नहीं आया लेकिन इतना जरूर जिक्र है कि मझिया मुंडा, डुडांग मुंडा और बंकन मुंडा, इन तीनों की पत्नी इस गोली बारी में मारी गयी थी. डुंबारी हिल के निकट बिरसा मुंडा की भव्य मूर्ति लगी है, जहां इन तीनों महिलाओं का उल्लेख है. डुंबारी में शहीदों की याद में डॉ रामदयाल मुंडा ने पत्थर का एक स्मारक बनवाया था जहां हर साल जनवरी में शहीदी मेला लगता है.
बिरसा मुंडा की मौत क्यों उठ रहे सवाल
दूसरा सवाल है कि बिरसा मुंडा की मौत कैसे हुई थी? 15 जून, 1900 की घरबंधु पत्रिका में बिरसा मुंडा की मौत की खबर दाउद बिरसा मर गया, शीर्षक से छपी थी. इस खबर में भी बिरसा मुंडा की मौत पर सवाल उठाया गया था, क्योंकि अगर बिरसा मुंडा को हैजा हुआ था तो पूरे जेल में सिर्फ उन्हें ही हैजा क्यों हुआ. सारे कैदी एक ही खाना खाते थे, एक ही पानी पीते थे और हैजा सिर्फ बिरसा मुंडा को हुआ, यह तर्क किसी को पचा नहीं. इसलिए इस रहस्य पर से परदा उठना चाहिए.
Also Read: NDA Meeting: कई प्रस्ताव पारित, 2025 में बिरसा मुंडा और सरदार पटेल की मनायी जाएगी 150वीं वर्षगांठ