बिरसा मुंडा स्मृति पार्क को बचा लें…केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से 142 करोड़ रुपये में बना था

पार्क में जगह-जगह चक्का फंसने से बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं. बताते चलें कि इससे पहले भी प्रभात खबर ने पार्क में उखाड़े जा रहे पेड़ पौधों की तस्वीर पेश की थी, लेकिन उस समय प्रशासन ने इस बात से इनकार करते हुए पेड़ पौधों के सुरक्षित रखने का दावा किया था.

By Prabhat Khabar News Desk | August 13, 2023 10:36 AM

विश्व आदिवासी दिवस पर राज्य सरकार द्वारा भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में आयोजित समारोह भले ही कई यादें छोड़ गया हो, लेकिन इसकी तैयारी के फेर में पार्क की पूरी तस्वीर ही बिगाड़ कर रख दी गयी है. इसे देखकर हर आम और खास का का दिल टूट जा रहा है. जिस पार्क को शहर की शान बनाकर पेश किया गया था, उसे यूं ही बर्बाद कर दिया गया. इसके निर्माण में केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से 142.31 करोड़ की राशि खर्च की गयी थी. पर यह कोशिश सिर्फ दो दिन में किनारे कर दी गयी. पंडाल निर्माण के लिए जगह-जगह लगाये गये पेड़-पौधे उखाड़कर फेंक दिये गये हैं.

भारी-भारी लोहे के एंगल को ले जाने के लिए पूरे पार्क में जगह जगह हाइड्रा को घुमाया गया. जिससे टाइल्स उखड़ गये हैं और पार्क के हरी-हरी घास वाले मैदान पूरी तरह सूख गये. पार्क में जगह-जगह चक्का फंसने से बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं. बताते चलें कि इससे पहले भी प्रभात खबर ने पार्क में उखाड़े जा रहे पेड़ पौधों की तस्वीर पेश की थी, लेकिन उस समय प्रशासन ने इस बात से इनकार करते हुए पेड़ पौधों के सुरक्षित रखने का दावा किया था. लेकिन शनिवार को पार्क की अलग बिगड़ी तस्वीर देखने को मिली. इधर उखाड़े गये पौधे एक सप्ताह में सूख चले हैं. ऐसा लगता है कि हमारे शहर की खूबसूरती को किसी की नजर लग गयी है. अब हम सबको फिर से इस पार्क की अस्तित्व रक्षा के लिए आगे आना होगा.

पार्क में शहीदों की जीवनी प्रदर्शित करने की है व्यवस्था

राजधानी रांची में स्थित पुराने जेल परिसर का संरक्षण और जीर्णोद्धार करते हुए इस परिसर को भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय के रूप में कुल 142.31 करोड़ की लागत से विकसित किया गया था. जिसमें 117.31 करोड़ रुपये झारखंड सरकार और 25 करोड़ रुपये जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से दी गयी थी. इस परिसर का कुल क्षेत्रफल लगभग 30 एकड़ है, जिसके लगभग 25 एकड़ भाग में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान का विकास एवं निर्माण किया गया है, वहीं शेष लगभग पांच एकड़ में स्थित भगवान बिरसा मुंडा जेल का संरक्षण एवं जीर्णोद्धार कार्य करते हुए इसे संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है. इसका उदघाटन 15 नवंबर 2021 को किया गया था. भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय के अंतर्गत परिसर में विशेष आकर्षक साज-सज्जा, बागवानी, म्यूजिकल फाउंटेन, फूड कोर्ट, चिल्ड्रेन पार्क, इंफिनिटी पुल, पार्किंग तथा अन्य सामुदायिक सुविधाओं का निर्माण किया गया है. वहीं संग्रहालय में बिरसा मुंडा एवं झारखंड के अन्य वीर शहीदों की जीवनी एवं भारत देश की आजादी के लिए किये गये संघर्ष की कहानी दिखायी गयी है.

Also Read: VIDEO: विश्व आदिवासी दिवस को लेकर सज-धजकर तैयार है रांची का बिरसा मुंडा स्मृति पार्क, देखिए यहां की एक झलक

धरती आबा की भव्य प्रतिमा स्थापित की गयी

जेल परिसर के बाहर भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित की गयी है. इस पूरे परिसर में लेजर और लाइट शो, चित्रपट एवं म्यूजिकल फाउंटेन के माध्यम से वीर स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी एवं संघर्षों को प्रदर्शित करने की व्यवस्था की गयी है.

चिल्ड्रेन गेमिंग जोन के झूले उखाड़े गये

समारोह समाप्ति के 24 घंटे से अधिक गुजर गये हैं, लेकिन अब भी यहां का पूरा पंडाल नहीं खुला है. मजदूर पंडाल खोलने में व्यस्त हैं. बड़े-बड़े वाहनों से खोले गये सामान को लोड कर ले जाया जा रहा है. पूरे मैदान में जगह-जगह पंडाल निर्माण के कार्य में लगे लोहे के उपकरण बिखरे पड़े हैं.

बिखरे पड़े हैं पंडाल में लगे लोहे के उपकरण

बिरसा मुंडा स्मृति पार्क के पूर्वी कोने पर बच्चों के मनोरंजन के लिए चिल्ड्रेन जोन बनाया गया था. लेकिन पंडाल निर्माण के कार्य में बाधा आने के कारण इन सारे झूलों को उखाड़कर दीवार के किनारे रख दिया गया है. अब पंडाल खोलने का काम पूरा होने के बाद ही इन्हें फिर से इंस्टॉल करने की कार्रवाई की जायेगी.

प्लास्टिक के गिलास मैदान में अब भी बिखरे पड़े हैं

समारोह के समाप्त हुए 24 घंटा से अधिक भले हो गये हैं. लेकिन अब भी इस पार्क में चाय-नाश्ते के समय उपयोग किये गये प्लास्टिक के जूठे गिलास बिखरे पड़े हैं. हवा के झोंके से ये गिलास यहां-वहां उड़ रहे हैं.

29 एकड़ में फैले इस हरे भरे मैदान को पानी से पटाने के लिए हर मैदान में जगह-जगह स्प्रिंकलर लगाये गये थे. जिन्हें उखाड़कर रख दिया गया है. इतना नहीं लोहे की रेलिंग को भी उखाड़कर मैदान में लेटा दिया गया है. वहीं दूसरी और क्रेन व हाइड्रा के चलने के कारण जगह-जगह पाथवे पर भी गड्ढा हो गया है.

Next Article

Exit mobile version