30 एकड़ में फैला बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान व संग्रहालय बिरसा की तमाम निशानियों को समेटे हुए है. इतिहास का जीवंत दस्तावेज बनकर यह आज झारखंड की धरोहर के रूप में तैयार हो चुका है. यहां के कण-कण में धरती आबा की निशानियां मौजूद हैं. जिनकी प्रेरणा और संघर्ष की कहानियां आज भी हमें आगे बढ़ने और कर्तव्य पालन का बोध कराती रहती हैं. झारखंड सरकार ने इस स्थल के महत्व को समझा और अब जाकर यह जीवंत दस्तावेज और धरोहर के रूप में तैयार होकर सामने आया है. जल्द ही राज्य के लोगों को इस ऐतिहासिक स्थल से रूबरू होने का मौका मिलेगा.
15 नवंबर 2021 को इसका उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया था. एजेंसी का चयन नहीं होने के कारण लोग पार्क का तो भ्रमण कर सकते थे, लेकिन संग्रहालय के कुछ हिस्सों में लोगों के जाने पर मनाही थी. अब एजेंसी का चयन हो जाने के बाद लोग संग्रहालय और पार्क के हर हिस्से में जाकर महापुरुषों की जीवनी को करीब से देख सकते हैं.
संग्रहालय व उद्यान की देखरेख के लिए जुडको ने एजेंसी का चयन कर लिया है. बहुत जल्द एजेंसी को पार्क का जिम्मा सौंप दिया जायेगा. इसके बाद लोग पूरे परिसर का भ्रमण कर राज्य के महापुरुषों की जीवनी से अवगत हो सकेंगे.
पांच एकड़ में फैले इस संग्रहालय की सबसे खास बात यह है कि यहां आकर लोग उस सेल का दर्शन कर सकेंगे, जहां भगवान बिरसा मुंडा ने दम तोड़ा था. इस जेल में भगवान बिरसा के जीवन को तीन हिस्सों में दर्शाया गया है. पहले भाग में बिरसा के बाल्य काल को दर्शाया गया है. दूसरे भाग में सामान्य व्यक्तित्व से धरती आबा के रूप में परिवर्तन को दिखाया गया है. तीसरे भाग में आदिवासी समुदाय के जल-जंगल-जमीन को बचाने और अंग्रेजों से हुए संघर्ष को दिखाया गया है.
पार्क में प्रवेश करने के साथ ही लोग सबसे पहले झारखंड के जनजातीय समुदाय की कला-संस्कृति, सभ्यता, उनकी जीवन शैली, त्योहार व हाट बाजार को देख सकेंगे. इसके अलावा मुख्य द्वार के समीप ही भगवान बिरसा की 25 फीट ऊंची आदमकद प्रतिमा लोगों का मन मोह लेगी.
30 एकड़ में फैले इस पार्क में बाहर से आनेवाले लोगों का मनोरंजन बेहतर तरीके से हो, इसके लिए यहां प्रतिदिन शाम में लेजर शो का भी आयोजन किया जायेगा. इसमें शहीदों की जीवनी को दिखाया जायेगा. इसके अलावा यहां म्यूजिकल फाउंटेन में झारखंड के मंदिरों को भी दिखाया जायेगा.