रांची में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया जटिल, जूते घिस रहे हैं परिजन

राइट टू सर्विस एक्ट के तहत जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक माह की समय सीमा निर्धारित की गयी है. लेकिन नगर निगम में इस एक्ट की धज्जियां उड़ रही हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 9, 2024 5:01 AM

रांची : राजधानी रांची में वर्ष 2023 में 23012 बच्चों ने जन्म लिया. वहीं, एक साल की अवधि में 6300 लोगों की मौत भी हुई है. यह आंकड़ा नगर निगम के जन्म मृत्यु शाखा से एकत्र किया गया है. जिन बच्चों के जन्म व जिनके परिजनों की मृत्यु होने के 21 दिनों के अंदर लोगों ने प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया, उन्हें आसानी से प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है. लेकिन जिनके परिजनों ने 21 दिनों बाद प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया है, उन्हें प्रमाण पत्र बनाने के लिए जूते घिसने पड़ रहे हैं. नगर निगम व एसडीओ के यहां अब भी जन्म प्रमाण पत्र के 700 से अधिक आवेदन, तो मृत्यु प्रमाण पत्र के 220 से अधिक आवेदन पेंडिंग हैं. महीनों से इन आवेदनों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई है. ये आवेदन क्यों पेंडिंग हैं, इसकी जानकारी भी आवेदक को नहीं दी गयी है. नतीजतन आवेदकों को यह लग रहा है कि उनके प्रमाण पत्र बन रहे हैं.

राइट टू सर्विस एक्ट की उड़ रही है धज्जियां

राइट टू सर्विस एक्ट के तहत जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक माह की समय सीमा निर्धारित की गयी है. लेकिन नगर निगम में इस एक्ट की धज्जियां उड़ रही हैं. विलंबित (जो आवेदन 21 दिन के बाद किया गया हो) जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र को गवाही के लिए एसडीओ व डीएसओ के यहां भेजा जाता है. वहां पर जाकर यह आवेदन ही डंप हो जाता है. महीनों तक यहां इन आवेदनों की गवाही नहीं होती है. परिजन बेहाल होकर हर दिन कभी नगर निगम, तो कभी डीएसओ व कभी एसडीओ कार्यालय का चक्कर लगाते रहते हैं.

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बिचौलियों के जरिये एक माह के अंदर हो जाता है काम

आम लोग जहां प्रमाण पत्र बनाने के लिए चप्पल घिसने को विवश हैं. वहीं अगर इस काम के लिए दलाल की मदद ली जाये, तो काम 15 दिन से लेकर एक माह के अंदर हर हाल में पूरा हो जायेगा. इसके लिए आपको दो हजार रुपये से लेकर पांच हजार तक की रकम खर्च करनी होगी. बस आप दलाल को पैसे सौंप दें. इसके बाद न आपको नगर निगम जाने की जरूरत होगी, न ही गवाही के लिए सदर एसडीओ के पास जाना पड़ेगा.

समझें परिजनों की पीड़ा

केस स्टडी : 1

दो बार गवाही के लिए पहुंचा, मजिस्ट्रेट मिलती ही नहीं

सात जून 2023 को विशाल कुमार ने अपनी बेटी का प्रमाण पत्र बनाने के लिए नगर निगम में आवेदन किया. दो दिनों के बाद आवेदन को गवाही के लिए एसडीओ कार्यालय भेजा गया. लेकिन अब तक गवाही होकर विशाल का प्रमाण पत्र नगर निगम वापस नहीं आया है. विशाल की मानें तो वह गवाही के लिए दो बार एसडीओ कार्यालय गये. लेकिन मजिस्ट्रेट वहां बैठती ही नहीं हैं.

इतना परेशान हुए कि अब प्रमाण पत्र पाने की उम्मीद ही छोड़ दी

अमित कुमार ने अपने बेटे का प्रमाण पत्र बनाने के लिए आठ जून 2023 को निगम में आवेदन जमा किया. आवेदन को गवाही के लिए सदर एसडीओ के यहां भेजा गया. लेकिन यहां पर अब तक इनकी गवाही नहीं हुई है. वे जब भी गवाह के लिए वहां जाते हैं, उनसे कहा जाता है कि मोहल्ले के दो लोगों को गवाही के लिए लेकर आइये, तब गवाही करेंगे. अब परेशान अमित ने प्रमाण पत्र पाने की उम्मीद ही छोड़ दी है.

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