BIT मेसरा रांची में बनेगा सेंटर फॉर कंप्यूटेशनल पोएटिक्स, AI की मदद से साहित्यिक आकलन होगा संभव

मेसरा में सेंटर फॉर कंप्यूटेशनल पोएटिक्स बनने से लैब में विभिन्न भारतीय भाषाओं में लिखी गयी काव्य रचनाओं का गुणात्मक अध्ययन करना संभव होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2024 6:41 AM

रांची : एआइ की मदद से अब साहित्यिक आकलन संभव होगा. बीआइटी मेसरा में देश का पहला ‘सेंटर फॉर कंप्यूटेशनल पोएटिक्स” तैयार किया जा रहा हैं. जहां साहित्यिक रचना खासकर कविताओं का मात्रात्मक विश्लेषण (क्वांटिटेटिव एनालिसिस) करना संभव होगा. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तर्ज पर लैब तैयार जा रहा है. जहां मशीन लर्निंग और डेटर्मीनिस्टिक अल्गोरिथम्स के जरिये कविताओं की अशुद्धियों को चिह्नित किया जा सकेगा.

लैब में काव्य रचना का गुणात्मक अध्ययन होगा

लैब में विभिन्न भारतीय भाषाओं में लिखी गयी काव्य रचनाओं का गुणात्मक अध्ययन करना संभव होगा. तकनीक अब दो अलग-अलग कविताओं को उनके रस, छंद और अलंकार के मापदंड पर अध्ययन एवं विश्लेषण कर सकेगी. इससे एक निश्चित मानक पर कविताओं के संभावित अनुप्रयोग हो सकेंगे. सेंटर फॉर कंप्यूटेशनल पोएटिक्स के प्रोजेक्ट हेड कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रो डॉ नीरज कुमार सिंह ने बताया कि इस तकनीक से साहित्यिक विश्लेषण में पूर्वाग्रह का प्रभाव कम होगा. जिससे कविताओं की सही प्रकृति और गुणवत्ता तय हो सकेगी.

मनुष्य के स्वास्थ्य पर कविता के प्रभाव का होगा शोध

साहित्यिक गुणवत्ता का आकलन लैब में होगा. जहां हिंदी साहित्य के अलावा स्थानीय भाषाओं में लिखी गयी रचनाओं का विश्लेषण किया जायेगा. इसके लिए शोध केंद्र में चार अलग-अलग लैब – रिसोर्स डेवलपमेंट लैब, स्पीच प्रोसेसिंग लैब, हेरिटेज कंप्यूटिंग लैब और पोएटिक थेरेपीयूटिक्स लैब होंगे. रिसोर्स डेवलपमेंट लैब में भाषा की गुणवत्ता संबंधी डाटा सेट उपलब्ध कराये जा रहे हैं. ये टेक्स्ट-टू-मात्रा, आरपाजेन और फॉस्कल व अन्य टूल्स की मदद से कविता व साहित्यिक रचना की गुणवत्ता का आकलन करेंगे. इसके साथ ही कई नये टूल्स तैयार किये जा रहे हैं.

स्पीच प्रोसेसिंग लैब कविताओं के प्रभाव का करेगा विश्लेषण

कविता में उच्चारण का विशेष महत्व है, इसलिए स्पीच प्रोसेसिंग लैब उसकी प्रकृति को निर्धारित करने में मदद करेगी. वहीं हेरिटेज कंप्यूटिंग लैब से पौराणिक साहित्य, पुरातन व ऐतिहासिक काव्य संपदा में अंतर्निहित वैज्ञानिकता को समझना आसान होगा. डॉ नीरज ने बताया कि पोएटिक थेरेपीयूटिक्स लैब से कविता के मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर काम किया जायेगा. इसके तहत विभिन्न रस में लिखी गयी कविताएं कैसे इंसान की मनोस्थिति पर प्रभाव डालती हैं, उस पर शोध होगा.

अवधि और ब्रज भाषा का विश्लेषण संभव

वर्तमान में लैब की मदद से हिंदी की बोलियों जैसे अवधि और ब्रज भाषा में लिखी गयी साहित्यिक रचनाओं का विश्लेषण किया जा रहा है. तकनीक इन भाषाओं में तैयार छंद, गद्य और कविताओं का ऑटोमेटेड एनालिसिस करने में सक्षम है. इससे कविता की संरचना, भाव, अंत्यानुप्रास आदि का एक निश्चित आकलन करने में आसानी हो रही है. बीआइटी मेसरा की टीम रामचरितमानस की साहित्यिक रचना का विश्लेषण कर रही है. जिसके तहत रामचरितमानस के आधार छंद चौपाई के अलावा दोहा और सोरठा की संरचना का अध्ययन किया जा रहा है. जल्द ही लैब में झारखंड की जनजातीय एवं स्थानीय भाषाओं पर प्राथमिकता के आधार पर काम शुरू होगा. शोध केंद्र में डॉ इतु स्निग्ध बतौर को-प्रोजेक्ट हेड की भूमिका में हैं. रिसर्च टीम में इंवेस्टिगटर्स और प्रोग्रामर्स को भी शामिल किया जा रहा है.

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