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भाजपा नेता ज्योतिरीश्वर ने आदित्य साहू पर लगाये तानाशाही का आरोप

भाजपा नेताओं को नोटिस भेजने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. भाजपा किसान मोरचा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ज्योतिरीश्वर सिंह ने प्रदेश भाजपा के प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी को पत्र भेजा है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 22, 2024 1:01 PM

रांची. भाजपा नेताओं को नोटिस भेजने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. भाजपा किसान मोरचा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ज्योतिरीश्वर सिंह ने प्रदेश भाजपा के प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी को पत्र भेजा है. पत्र में नोटिस मामले में उन्होंने आदित्य साहू पर तानाशाही का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा है कि झारखंड भाजपा का परंपरागत गढ़ रहा है. जब पूरे देश में कांग्रेस की मजबूत स्थिति रहती थी, तब भी भाजपा यहां मजबूत हुआ करती थी. आज हम सभी 400 पार के नारे को पाने के लिए सक्रियता के साथ लगे हैं. श्री सिंह ने लिखा है कि चुनावी समर के बीच धनबाद के विधायक राज सिन्हा सहित कई मंडल अध्यक्षों से स्पष्टीकरण मांगा गया. हजारीबाग के पूर्व सांसद जयंत सिन्हा से हजारीबाग में चुनाव संपन्न होने के बाद एक ऐसे मामले को ले कर शोकॉज किया जा रहा है, जिसका कोई अर्थ नजर नही आ रहा है. विधायक और मंडल अध्यक्ष से शो कॉज पार्टी का आंतरिक मामला है, पर जिसे इस तरह पार्टी के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू द्वारा जारी किया जा रहा है, इसमें दलहित कम तानाशाही अधिक नजर आ रहा है. श्री सिंह ने लिखा है कि चुनाव के बीच आखिर इस तरह की कार्रवाई से क्या संदेश जायेगा ? इसका मतलब तो यह भी है कहीं न कहीं कोई ऐसी शक्ति झारखंड में दल के अंदर काम कर रही है, जो मोदी जी के मिशन में झारखंड की भागीदारी को कम करना चाहती है. इस तरह की मंशा पाल कर रखनेवाले लोग ही वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भी येन केन प्रकारेण असफल बनाने के लिए लगे हैं. इसलिए यह जरूरी है कि समय रहते इस पर रोक लगे. जिस तरह कार्रवाई आमतौर पर चुनाव के बाद होती है वह चुनाव के दौरान ही हो रहा है. इससे तो महामंत्री आदित्य साहू की राजनीतिक अपरिपक्वता झलक रही है. इनके इस कृत्य से स्पष्ट है कि इन्हें जितना पद और जिम्मेदारी दे दी गयी है , ये उसके काबिल नहीं हैं . इसकी समीक्षा के उपरांत श्री साहू जी से ही पूछना चाहिए आखिर चुनाव के दौरान इस तरह की दलीय कार्रवाई को सार्वजनिक करने के पीछे की उनकी मंशा क्या रही है ? उन्होंने लिखा है कि पता नहीं क्यों, हम जैसे पूर्व पदाधिकारियों को किस कारण एक बूथ की भी जिम्मेवारी नहीं देकर चुनावी महापर्व से उपेक्षित रखा गया है.

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