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झारखंड: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने रेणुका तिवारी के उपन्यास ‘अलविदा लाल सलाम’ का किया लोकार्पण

वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि अलविदा लाल सलाम उपन्यास के लिए लेखिका रेणुका तिवारी को सलाम करता हूं, जिन्होंने ऐसे शीर्षक को चुना, जिसके लिए अदम्य साहस और संवेदनशील लेखनी की जरूरत थी और मुझे ख़ुशी है कि रेणुका तिवारी ने ये दोनों कार्य बखूबी निभाया है

रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने रांची सिटीजन फोरम के तत्वावधान में रांची प्रेस क्लब में रविवार को रेणुका तिवारी के उपन्यास ‘अलविदा लाल सलाम’ का लोकार्पण किया. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि नक्सलवाद देश की एक प्रमुख समस्या है और इसे दूर करने के लिए प्रशासनिक प्रयास के साथ-साथ ऐसे साहित्य प्रयास के लिए लेखिका रेणुका तिवारी को बहुत-बहुत धन्यवाद. उन्होंने कहा कि लेखन का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण भी होना चाहिए. इस मौके पर पूर्वी जमशेदपुर के विधायक सरयू राय, वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर अशोक प्रियदर्शी, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अरुण सिंह और रांची सिटीजन फोरम के अध्यक्ष दीपेश निराला समेत अन्य मौजूद थे.

लाल सलाम जैसे विषय पर लिखना बहादुरी का कार्य

पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अरुण सिंह ने कहा कि लाल सलाम जैसे विषय पर उपन्यास लिखना सचमुच बहादुरी का कार्य है. उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि हमें सिस्टम की उन खामियों को दूर करना होगा, जिससे लोग नक्सली बनते हैं. साथ ही नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना होगा. रांची सिटीजन फोरम के अध्यक्ष दीपेश निराला ने कहा कि झारखंड में नक्सलवाद एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण बहुत जगहों पर विकास प्रभावित हो रहा है. इस उपन्यास में इस समस्या के हल की बात कही गयी है जो निश्चय ही राष्ट्र और साहित्य को एक नयी दिशा प्रदान करेगा.

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रेणुका तिवारी ने नक्सलवाद का स्याह पक्ष किया है चित्रित

वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि अलविदा लाल सलाम उपन्यास के लिए लेखिका रेणुका तिवारी को सलाम करता हूं, जिन्होंने ऐसे शीर्षक को चुना, जिसके लिए अदम्य साहस और संवेदनशील लेखनी की जरूरत थी और मुझे ख़ुशी है कि रेणुका तिवारी ने ये दोनों कार्य बखूबी निभाया है. उन्होंने कहा कि लेखक ने उपन्यास में नक्सलवाद के स्याह पक्ष को बड़े ही मार्मिक ढंग से चित्रित किया है.

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उपन्यास का नायक है करमजोत मुर्मू

लेखिका रेणुका तिवारी ने विषय प्रवेश करते हुए बताया कि यह उपन्यास देश के विभिन्न हिस्सों में पल रहे अतिवादी विचारधारा नक्सलवाद की असलियत और उससे एक नक्सली कमांडर के मोहभंग होने की कहानी है जो अंततः लोकतंत्र की ताकत को समझता है और मुख्यधारा में वापसी का संकल्प करता है. उन्होंने कहा कि उपन्यास के नायक करमजोत मुर्मू का नक्सली दुनिया से बाहर आने का द्वंद्व बेहद मर्मस्पर्शी है जो पाठकों को बेहद पसंद आएगा. उपन्यास को सामायिक प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. लोकार्पण समारोह में अतिथियों का स्वागत अधिवक्ता सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने किया. समारोह में मंच संचालन की भूमिका मृदुला ने निभाई. धन्यवाद ज्ञापन सुशील लाल द्वारा किया गया.

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