Jharkhand Chunav: पलामू-गढ़वा में 2014 में भाजपा ने की वापसी, 2019 में रहा सबसे बेहतर प्रदर्शन
Jharkhand Chunav ; 2005 और 2009 में दोनों जिलों में बीजेपी का खाता नहीं खुला था. 24 साल के बाद 2014 में बीजेपी ने अपना प्रदर्शन दोहराया था. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के बाद इलाके में चुनावी रोमांच बढ़ा गया है.
Jharkhand Chunav : पलामू प्रमंडल के पलामू और गढ़वा जिला में भाजपा ने 2014 में वापसी की. झारखंड राज्य गठन के बाद हुए पहले और दूसरे चुनाव क्रमश: 2005 और 2009 में इन दोनों जिलों की सात सीटों में एक भी सीट पर पार्टी का खाता नहीं खुला था. 2014 के चुनाव में गढ़वा, विश्रामपुर,और छत्तरपुर सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज कर अपनी परंपरागत राजनीतिक जमीन पर वापसी की थी.अविभाजित बिहार के जमाने में भाजपा का इस इलाके में प्रभाव था. इंदर सिंह नामधारी एकीकृत बिहार में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. तब 1990 के चुनाव में भाजपा ने सात में तीन सीटें जीती थीं, जिसमें डालटनगंज सीट से इंदर सिंह नामधारी, गढ़वा से गोपीनाथ सिंह (अब स्वर्गीय) और हुसैनाबाद से दशरथ सिंह ने जीत दर्ज की थी.इसके बाद इन तीनों ने भाजपा छोड़ दी. नामधारी के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति दल का गठन किया गया, जिसका 1995 के चुनाव के पूर्व जनता दल में विलय हो गया. वहीं 2019 के चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा.
1995 में जनता दल का प्रभाव बढ़ा
इसके बाद 1995 में यहां जनता दल का प्रभाव बढ़ा. 1995 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर डालटनगंज से इंदर सिंह नामधारी, गढ़वा से गिरिनाथ सिंह, हुसैनाबाद से अवधेश कुमार सिंह, भवनाथपुर से गिरिवर पांडेय (अब दोनों स्वर्गीय) और विश्रामपुर से रामचंद्र चंद्रवंशी ने जीत दर्ज की थी. 2000 के चुनाव में भी कमोबेश यही स्थिति कायम रही. इस दौर में राजद का गठन हो गया था. नामधारी जदयू में शामिल हो गये थे,तब समता पार्टी और जदयू का विलय नहीं हुआ था. इस चुनाव में डालटनगंज से जदयू के टिकट पर इंदर सिंह नामधारी,पांकी से समता पार्टी से मधु सिंह (अब दिवगंत ), भवनाथपुर से रामचंद्र केसरी, राजद के टिकट पर गढ़वा से गिरिनाथ सिंह, हुसैनाबाद से संजय सिंह यादव ,छत्तरपुर से मनोज कुमार और विश्रामपुर से कांग्रेस प्रत्याशी ददई दूबे ने जीत दर्ज की थी.
राज्य गठन के बाद भी भाजपा की स्थिति नहीं सुधरी
आकंड़ों पर गौर किया जाये तो राज्य गठन के बाद हुए दो चुनावों में भाजपा के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार रहने पर भी भाजपा की सांगठनिक स्थिति नहीं सुधरी. पलामू और गढ़वा जिला भाजपा के हिसाब से सूखा ही रहा. लगातार दो चुनाव के बाद प्रचंड मोदी लहर के दौर में भाजपा ने करीब 24 साल के बाद अपनी वापसी की. 2014 में दूसरे दल के नेताओं की भाजपा में इंट्री हुई. 2014 में पलामू और गढ़वा जिले की सात सीटों में से तीन सीट गढ़वा से सत्येन्द्र नाथ तिवारी,छत्तरपुर से राधाकृष्ण किशोर और विश्रामपुर से रामचंद्र चंद्रवंशी ने जीत दर्ज की. बाकी चार सीटों पर भवनाथपुर से नवजवान संघर्ष मोरचा से भानु प्रताप शाही,पांकी सीट से कांग्रेस के टिकट पर विदेश सिंह (अब दिवंगत), हुसैनाबाद से बसपा के टिकट पर कुशवाहा शिवपूजन मेहता और झाविमो के टिकट पर आलोक चौरसिया ने जीत दर्ज की थी.
2019 में पलामू और गढ़वा में भाजपा का बेहतर प्रदर्शन
2019 में पलामू और गढ़वा में भाजपा का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा. पलामू -गढ़वा की परिधि में आनेवाली सात सीटों में से भाजपा ने पांच पर जीत दर्ज की,जिसमें भवनाथपुर से भानु प्रताप शाही,डालटनगंज से आलोक चौरसिया,पांकी से कुशवाहा शशिभूषण मेहता,विश्रामपुर से रामचंद्र चंद्रवंशी और छत्तरपुर से पुष्पा देवी भुईया के नाम शामिल हैं. जबकि हुसैनाबाद सीट से राष्ट्रवादी पार्टी के टिकट पर कमलेश कुमार सिंह और गढ़वा में झामुमो के टिकट पर मिथिलेश ठाकुर ने चुनाव जीता था. 2024 के चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा ने सभी पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया हैं, जबकि पिछले चुनाव में पलामू की एकमात्र सीट हुसैनाबाद, जो भाजपा के कब्जे में नहीं थी,उसमें विजेता प्रत्याशी कमलेश सिंह को भाजपा में शामिल कर हुसैनाबाद के रण में उतारा है. चार नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के बाद इलाके में चुनावी रोमांच बढ़ा है.
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