Jharkhand News: BJP विधायक बाबूलाल मरांडी ने नियोजन नीति, 1932 खतियान और OBC आरक्षण पर कही ये बात
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अगर इसके बाद भी सरकार इसी रास्ते पर चलती है तो राज्य के छात्रों का भविष्य तो और अंधकार में चला जाएगा. उक्त बातें उन्होंने विधानसभा शीतकालीन सत्र में शामिल होने के दरम्यान पत्रकारों से बातचीत में कही
बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने नियोजन नीति को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि नियमावली बनने के साथ ही हमने सरकार को चेताया था कि ये असंवैधानिक है और न्यायसंगत नहीं है. अब तो हाईकोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी है. उन्होंने राज्यभवन जाने और सर्वदलीय विधायक बुलाये जाने को लेकर भी अपनी राय रखी है
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अगर इसके बाद भी सरकार इसी रास्ते पर चलती है तो राज्य के छात्रों का भविष्य तो और अंधकार में चला जाएगा. उक्त बातें उन्होंने विधानसभा शीतकालीन सत्र में शामिल होने के दरम्यान पत्रकारों से बातचीत में कही. सर्वदलीय बैठक बुलाये जाने के मुद्दे पर कहा कि सरकार अगर बुलायेगी तो हमलोग जरूर जाएंगे और उस वक्त जो सुझाव होगा वो हम देंगे.
झारखंड : नियोजन नीति, सर्वदलीय बैठक, राजभवन जाने और बच्चों के भविष्य पर क्या बोले @yourBabulal pic.twitter.com/C0rND5Icxa
— GURU SWARUP MISHRA (@guruswarup4U) December 20, 2022
1932 और ओबीसी आरक्षण को तीर्थयात्रा पर क्यों भेज रही है सरकार
बाबूलाल मरांडी ने 1932 के मुद्दे कहा कि हमलोग राजभवन नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के मुद्दे को क्यों राजभवन और केंद्र सरकार के पास भेज रही है. राज्य का जो मामला है वो उसे क्यों तीर्थयात्रा पर भेजने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि क्या गारंटी है कि 9वीं अनुसूची में जाने के बाद इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है.
Also Read: शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन भी चढ़ा हंगामे की भेंट, सदन की कार्यवाही कल 11 बजे तक स्थगित
झारखंड हाईकोर्ट ने नियोजन नीति को किया था रद्द
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाइकोर्ट ने ‘कर्मचारी चयन आयोग स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021’ को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था. अदालत ने कहा था कि यह नियमावली भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 व 16 के प्रावधानों का उल्लंघन है. सरकार की यह नियमावली संवैधानिक प्रावधानों पर खरी नहीं उतरती है, इसलिए इसे निरस्त किया जाता है. साथ ही इस नियमावली से की गयी सभी नियुक्तियों व चल रही नियुक्ति प्रक्रिया को भी रद्द किया जाता है.