लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झारखंड की 14 में से 11 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. लेकिन, पार्टी ने 3 सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की. ये तीन सीटें चतरा, गिरिडीह और धनबाद हैं. इन तीनों सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का कब्जा है. चतरा और धनबाद लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवारों ने वर्ष 2019 में जीत दर्ज की थी, तो गिरिडीह सीट पर सुदेश महतो की पार्टी आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी ने जीत का परचम लहराया था.
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3 सीट छोड़ने की वजह : पार्टी में कलह या गठबंधन की मजबूरी?
ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर भाजपा ने 3 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा क्यों नहीं की. भाजपा के अंतर्कलह की वजह से उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई या एनडीए में सीटों के बंटवारे पर कहीं पेच फंस रहा है. वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान सुदेश महतो की पार्टी ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया था. दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ीं और इसका फायदा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल) को मिला था.
राजमहल, सिंहभूम सीट पर नहीं जीत पाई थी भाजपा
हालांकि, झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले हुए वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और सूबे की 14 में से 12 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित संताल परगना की राजमहल लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार को जीत नहीं मिली थी. वर्ष 2014 में भी उसे यहां पराजय का मुंह देखना पड़ा था. दिग्गज आदिवासी नेता को महज 31 साल के विजय हांसदा ने इस बार यहां पराजित कर दिया था.
2019 के चुनाव में भाजपा-आजसू ने जीती थी 14 में से 12 सीटें
आजसू के साथ मिलकर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस और झामुमो के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल को भी कड़ी शिकस्त दी थी. झामुमो एकमात्र सीट राजमहल पर जीत दर्ज कर पाया था, तो कांग्रेस के हिस्से में सिंहभूम सीट आई थी, जहां गीता कोड़ा ने भाजपा के उम्मीदवार को पराजित कर दिया था. गठबंधन के तहत गिरिडीह लोकसभा सीट सुदेश महतो की पार्टी आजसू के खाते में गई थी. यहां से चंद्रप्रकाश चौधरी ने जीत दर्ज की थी.
झारखंड में भाजपा ने घोषित किए 11 उम्मीदवार
इस बार भाजपा ने 14 में से सिर्फ 11 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि तीन सीटों (चतरा, गिरिडीह और धनबाद) में पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा क्यों नहीं की. दरअसल, चतरा से सुनील कुमार सिंह सांसद हैं, जो जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं. पिछली बार ही जब वह वोट मांगने के लिए चतरा आए थे, तो उनका जोरदार विरोध हुआ था. धनबाद के सांसद पशुपति नाथ सिंह (पीएन सिंह) की उम्र काफी हो चुकी है और ऐसे में चर्चा है कि उनका टिकट कट सकता है.
धनबाद संसदीय सीट पर है सरयू राय की नजर
वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा देकर जमशेदपुर पूर्वी सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को पराजित करने वाले सरयू राय के बारे में कहा जा रहा है कि वह भाजपा के टिकट पर या उसके समर्थन से धनबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. हाल के दिनों में धनबाद में उनकी गतिविधि भी बढ़ी हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सुदेश महतो ने फिर से भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. वह भी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव भाजपा पर बना रहे होंगे.
गिरिडीह लोकसभा सीट पर है आजसू का कब्जा
गिरिडीह लोकसभा सीट पर चूंकि आजसू का कब्जा है, तो वहां से भाजपा का उम्मीदवार उतारने का सवाल ही पैदा नहीं होता. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि हजारीबाग और लोहरदगा की तरह धनबाद और चतरा से भाजपा के वर्तमान सांसदों का पत्ता कटता है या इसमें से कोई सीट गठबंधन के घटक दल आजसू के हिस्से में जाएगा.