झारखंड में 8 शहरी निकायों को प्रशासनिक अधिकारियों के हवाले करने की तैयारी का भाजपा ने किया विरोध

Jharkhand News: रांची : झारखंड (Jharkhand) के 8 शहरी निकायों (Local Bodies) का कार्यकाल मई-जून (May-June) महीने में समाप्त होने वाला है. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से इन निकायों की कमान प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपे जाने की तैयारी का भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने विरोध किया है.

By Mithilesh Jha | May 10, 2020 11:49 AM

Jharkhand News: रांची : झारखंड (Jharkhand) के 8 शहरी निकायों (Local Bodies) का कार्यकाल मई-जून (May-June) महीने में समाप्त होने वाला है. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए घोषित लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से इन निकायों की कमान प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपे जाने की तैयारी का भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने विरोध किया है.

श्री मरांडी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है. भाजपा विधायक दल के नेता ने अपने पत्र में कहा है कि मई-जून माह में झारखंड के 8 शहरी निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वैश्विक महामारी कोरोना संकट के कारण इन स्थानों पर आयोग ने इस संकट के सामान्य होने तक चुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है.

बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आज के समय में निकायों की महत्ता बहुत बढ़ गयी है. उन्होंने लिखा है कि जानकारी मिल रही है कि जिन 8 स्थानीय निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उसकी कमान प्रशासनिक अधिकारियों के हवाले की जा सकती है. ऐसा करना कतई मुनासिब नहीं होगा.

श्री मरांडी ने कहा है कि वैसे भी प्रशासनिक अधिकारियों पर काम का बहुत बोझ है. उन पर और दबाव डालना उचित नहीं होगा. ऐसा करने से कोरोना राहत अभियान पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ना पड़ेगा. पार्षदों की जमीनी समझ अधिकारियों से कहीं अच्छी होती है. इस संक्रमण के समय ये त्वरित गति से परिणाम देने की गारंटी रखते हैं.

भाजपा नेता ने कहा है कि अधिकारी केवल रूटीन काम ही करेंगे. साथ ही यह बात भी प्रमाणित है कि आम आदमी के बीच जितना सुलभ जनप्रतिनिधि होते हैं, उतना अधिकारी नहीं. यह भी समझना होगा कि जितने भी सेवाकर्मी-सफाईकर्मी हैं, वे स्थानीय होते हैं. इसमें सभी नगर निगम के स्थायी कर्मचारी नहीं हैं.

श्री मरांडी ने कहा है कि जनप्रतिनिधियों से इनका सरोकार अच्छा रहता है. जनप्रतिनिधि और इनके बीच परस्पर समन्वय के कारण काम बेहतर होता है. वहीं, आम आदमी के लिए भी अधिकारियों तक पहुंचने से कहीं अधिक सुलभ और सहज जनप्रतिनिधियों तक पहुंचना होता है.

श्री मरांडी ने कोरोना संकट की भयावहता को देखते हुए इन सभी 8 स्थानीय निकायों का कार्यकाल कम-से-कम तीन माह के लिए बढ़ा देने की सलाह सरकार को दी है. उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश, बंगाल व अन्य राज्यों ने स्थानीय निकायों के कार्यकाल का अवधि विस्तार किया है.

मुख्यमंत्री से श्री मरांडी ने अपील करते हुए कहा है कि यह वक्त राजनीति करने का नहीं, काम करने का है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निकायों के कामकाज के बारे में समझने में काफी समय लगेगा और तब तक कई चीजें हाथ से निकल जायेगी. इसलिए इसे गंभीर मुद्दा मानकर इस पर त्वरित कदम उठायें, ताकि प्रजातंत्र की गरिमा बची रह जाये.

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