झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रदीप यादव ने कहा कि जम्हूरियत गरीबों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों को विधानसभा और लोकसभा में आम लोगों की आवाज उठाने का मौका देता है. संविधान न होता, तो हमारे जैसे लोग यहां न होते. भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि ये लोग डेमोक्रेसी, डेवलपमेंट, डेमोग्राफी को बदलने में लगे हैं. विकास चंद लोगों के हाथों में सौंप देना चाहते हैं. लोकतंत्र आज खतरे में है. प्रदीप यादव ने कहा कि चंडीगढ़ में मेयर का चुनाव इसका उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी को आगे करके अंग्रेजों ने देश पर शासन किया. भाजपा के लोग गुजरात की कंपनियों को आगे करके देश पर शासन करना चाहते हैं. कल वह भी वक्त आएगा, जब वही लोग देश चलाएंगे. बजट बनाएंगे. प्रतिपक्ष के लोग कह रहे हैं कि हमने महामहिम के अभिभाषण का विरोध किया. हमने उनका विरोध नहीं किया. हमने उनसे आग्रह किया कि आप भारत सरकार को एक संदेश दें कि झारखंड में विकास का काम तेजी से हो, इसमें ईडी और सीबीआई के जरिए केंद्र सरकार बाधक न बने.
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प्रदीप यादव ने कहा कि अभी 67 बिंदु पर बहस हो रही है. अगर केंद्र सरकार का विरोध न होता, तो और कई बिंदु होते. उन्होंने कहा कि ओबीसी, 1932 के खतियान और सरना कोड को किसने रोका है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को मुखौटा बनाया गया है, आदिवासी, दलित, पिछड़ा के नाम पर. दिल्ली से भाजपा इनका हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में बदलाव इसका उदाहरण है. रांची विश्वविद्यालय का नाम किसके नाम पर पड़ा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी. उन्होंने पूछा कि भगवान बिरसा के नाम पर क्यों नहीं पड़ा. सिदो-कान्हू के नाम पर नाम पड़ सकता था. श्यामा प्रसाद का झारखंड में क्या योगदान है.
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हेमंत सोरेन और राहुल गांधी ने जिस तरह से बिना डरे संविधान को बचाने के लिए न्याय की लड़ाई छेड़ी है, हमें उसके साथ खड़ा होना होगा. इसलिए हमने संदेश दिया है कि झारखंडी मानसिकता के सभी लोग एक हैं.
मेरे पांव के नीचे धरती है
सुल्तान तेरा इकबाल नहीं
हमसे क्या जागीर छीनोगे
हम तुम्हारे मनसबदार नहीं.
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