कोरोना से निकले नहीं कि झारखंड में ‘ब्लैक फंगस’ नामक बीमारी ने दी दस्तक, जानें क्या है इस बीमारी के लक्षण

रिम्स प्रबंधन ने इसके लिए अलग से डॉक्टरों की टीम गठित की है, जिसमें मेडिसिन, एनेस्थिसिया, इएनटी, आई, न्यूरोलॉजी, डेंटल व रेडियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमितों को ज्यादा स्टेरॉयड देने से इस बीमारी की आशंका रहती है. ऐसे में डॉक्टरों को भी सोच समझ कर दवा का इस्तेमाल करना चाहिए.

By Prabhat Khabar News Desk | May 14, 2021 10:52 AM

Jharkhand News, Ranchi News, Black Fungal Symptoms ( राजीव पांडेय रांची ) : कोरोना संक्रमण की जानलेवा बीमारी के साथ-साथ राज्य में ‘ब्लैक फंगस’ (म्यूकर माइकोसिस) की नयी मुसीबत से लोग परेशान हैं. म्यूकर माइकोसिस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इसे देखते हुए रिम्स में 12 बेड का अलग वार्ड म्यूकर माइकोसिस मरीजों के लिए तैयार कर दिया गया है.

रिम्स प्रबंधन ने इसके लिए अलग से डॉक्टरों की टीम गठित की है, जिसमें मेडिसिन, एनेस्थिसिया, इएनटी, आई, न्यूरोलॉजी, डेंटल व रेडियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमितों को ज्यादा स्टेरॉयड देने से इस बीमारी की आशंका रहती है. ऐसे में डॉक्टरों को भी सोच समझ कर दवा का इस्तेमाल करना चाहिए.

वहीं रिम्स ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान ‘एम्स’ से सहयोग लिया है. म्यूकर माइकोसिस में उपयोग होनेवाली दवाओं का प्रोटोकॉल तैयार किया गया है. वहीं दवाओं का ऑर्डर भी दे दिया गया है, जिससे भर्ती मरीजों के इलाज में परेशानी नहीं हो. जानकारी के अनुसार, राज्य के मेडिकल कॉलेज में भी म्यूकर माइकोसिस के मरीज भर्ती हो रहे हैं, जिसमें कई की स्थिति गंभीर है.

रिम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव गुप्ता ने बताया कि इसके मरीज समय रहते अस्पताल पहुंचें, क्योंकि इसमें मृत्यु दर 75 से 80 फीसदी है. आंख व ब्रेन तक अगर संक्रमण पहुंच गया तो मरीज काे बचाना मुश्किल हो जाता है. म्यूकर माइकोसिस का पहला केस सबसे वर्ष 1885 में जर्मनी में मिला था. इसकी खोज पैथोलॉजिस्ट डॉ पेल्टाॅफ ने की थी.

निजी अस्पतालों में म्यूकर माइकोसिस का बेड आरक्षित

म्यूकर माइकोसिस के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए निजी अस्पतालों ने अपने यहां बेड आरक्षित कर दिये हैं. बड़े अस्पताल में पांच बेड इस बीमारी के मरीजों के लिए आरक्षित रखे गये हैं. डॉक्टरों की अलग से टीम गठित कर दी गयी है, जिससे इनका इलाज किया जा सके.

कमजोर इम्यून सिस्टम वालों कर करता है हमला

म्यूकर माइकोसिस वैसे लोगाें को अपनी चपेट में लेता है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है. कमजोर इम्यूनिटी (एड्स, अनियंत्रित डायबिटीज मरीज व लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहे मरीजों ) वाले इसकी चपेट में तेजी से आते हैं. ऐसे में लक्षण दिखते ही इएनटी के डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि नाक में फंगस को समय रहते निकाल दिया जाये तो इसके आंख व ब्रेन तक पहुंचने की संभावना कम हो जाती है. मरीज की मौत होने की संभावना नहीं के बराबर होती है.

इन्हें ज्यादा खतरा :

अनियंत्रित डायबिटीज के मरीज, स्टेरॉयड का अधिक सेवन करनेवालों में, ट्रांसप्लांट कराने के बाद व कैंसर के मरीजों को

लक्षण :

साइनस की समस्या, नाक बंद होना व नाक की हड्डी में दर्द, नाक से काला तरल पदार्थ या खून आना, आंखों में सूजन व धुंधलापन, सांस लेने में समस्या होना, मुंह से बदबू आना, तालू में अल्सर

Posted By : Sameer Oraon

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