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EXCLUSIVE: झारखंड में सखी मंडल की दीदियां कर रहीं काले गेहूं की खेती, गंभीर बीमारियों में है ये रामबाण ?

काला गेहूं. सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ होगा, लेकिन अब चौंकने की जरूरत नहीं है. झारखंड में काले गेहूं की खेती शुरू हो गयी है. बड़ी बात ये है कि महिलाएं ये खेती कर रही हैं. खेती ही नहीं, बल्कि प्रोसेसिंग व पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग तक का काम संभाल रही हैं.

By Guru Swarup Mishra | January 7, 2023 4:28 PM
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Black Wheat Farming: झारखंड में काले गेहूं की खेती की जा रही है. आपको जानकर ये आश्चर्य होगा कि सिर्फ खेती ही नहीं की जा रही है, बल्कि प्रोसेसिंग से लेकर पैकेजिंग व मार्केटिंग भी की जा रही है और ये पूरा कार्य महिलाएं कर रही हैं. जैविक तरीके से करीब 60 एकड़ में इसकी खेती की जा रही है. इसका सेवन काफी फायदेमंद है. काला गेहूं कई गंभीर बीमारियों में रामबाण है.

काले गेहूं की हो रही खेती

काला गेहूं. सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ होगा, लेकिन अब चौंकने की जरूरत नहीं है. झारखंड में काले गेहूं की खेती शुरू हो गयी है. बड़ी बात ये है कि महिलाएं ये खेती कर रही हैं. खेती ही नहीं, बल्कि प्रोसेसिंग व पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग तक का काम संभाल रही हैं. घर की देहरी से बाहर निकलकर महिलाएं हर मोर्चे पर झंडा गाड़ रही हैं. खेतीबाड़ी में भी महिलाओं ने अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है.

गिरिडीह जिले में महिलाएं कर रहीं खेती

झारखंड के गिरिडीह जिले में काले गेहूं की खेती पिछले साल से की जा रही है. बेंगाबाद, डुमरी व जमुआ प्रखंड में महिलाएं काले गेहूं की खेती जैविक तरीके से कर रही हैं. पहली बार 10-12 एकड़ में इसकी खेती की गयी थी. इस बार करीब 60 एकड़ में काले गेहूं की खेती की जा रही है.

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पंजाब से मंगाया गया बीज

काले गेहूं की खेती के लिए बीज पंजाब से मंगाया गया है. झारखंड ग्रामीण विकास विभाग (जेएसएलपीएस) की ओर से ये पहल की गयी है. गिरिडीह की सखी मंडल की करीब 100 दीदियां इसकी खेती कर रही हैं. बेंगाबाद के अलावा डुमरी व जमुआ में बिना कीटनाशक व खाद के जैविक तरीके से खेती की जा रही है.

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सखी मंडल की दीदियां कर रहीं खेती

गिरिडीह जिले के कर्णपुरा सिमराढाब के बेंगाबाद स्थित लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की सदस्य सावित्री देवी व गुड़िया देवी बताती हैं कि सखी मंडल की दीदियां काले गेहूं की खेती कर रही हैं. प्रोसेसिंग व पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग तक करती हैं. रांची के मोरहाबादी मैदान में लगे खादी मेले में वे स्टॉल पर काले गेहूं की बिक्री कर रही हैं. एक किलो पैकेट की कीमत सिर्फ 80 रुपये हैं. कई बीमारियों में ये काफी फायदेमंद है.

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झारखंड में सिर्फ गिरिडीह में हो रही काले गेहूं की खेती

गिरिडीह के डुमरी स्थित एनआरईटीपी के बीपीओ सुभाषचंद्र बोस बताते हैं कि झारखंड में सिर्फ गिरिडीह में ही काले गेहूं की खेती की जा रही है. करीब 60 एकड़ में सखी मंडल की करीब 100 दीदियां जैविक विधि से खेती कर रही हैं. पहली बार 10-12 एकड़ में ही खेती शुरू की गयी थी.

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एंथोसायनिन के कारण है फायदेमंद

गिरिडीह के डीएमइपी राकेश कुमार ने बताया कि काले गेहूं का सेवन काफी फायदेमंद है. एंटी ऑक्सीडेंट एंथोसायनिन के कारण इसका उपयोग काफी लाभकारी है. हृदय रोगी, डायबिटीज और बीपी के मरीजों के लिए ये रामबाण है. सखी मंडल की दीदियां इसकी खेती कर रही हैं और उनके द्वारा ही इसे तैयार किया जा रहा है. इतना ही नहीं, बिक्री भी वे स्वयं कर रही हैं.

रिपोर्ट : गुरुस्वरूप मिश्रा, रांची

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