23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विराट कोहली को रोल मॉडल मानते हैं वर्ल्ड कप विनर सुजीत मुंडा, कहा- ‘दिव्यांग को कोई कमजोर ना समझे’

प्रभात खबर से खास बातचीत के क्रम में सुजीत मुंडा ने बताया कि पहले वो एथेलिटिक्स के प्लेयर थे और 2014 में स्टेट लेवल ब्लाइन्ड क्रिकेट खेलना शुरू किया. उन्होंने कहा कि तभी से मेरे मन में यह बात थी कि एक दिन इंडिया टीम की जर्सी पहननी है और वर्ल्ड कप जीतकर लाना है.

Blind T20 World Cup 2022: ‘जीवन में कभी निराश नहीं होना है, मेहनत और लगन के बल पर सफलता पाई जा सकती है.’ ये कहना है झारखंड के ‘जसप्रीत बुमराह’ के नाम से मशहूर हो चुके सुजीत मुंडा का जो वर्ल्ड कप जीतकर रांची लौट आये हैं. रांची एयरपोर्ट पर उतरने के बाद उनका भव्य स्वागत किया गया और रैली भी निकाली गयी. जानकारी हो कि सुजीत मुंडा ब्लाइंड क्रिकेट की टीम इंडिया के सदस्य हैं. वह टीम में विशेष तौर पर गेंदबाजी करते है लेकिन ब्लाइंड क्रिकेटर के रूप में टीम इंडिया में ऑलराउंडर की भूमिका भी निभाते हैं.

2014 से शुरू किया सफर

प्रभात खबर से खास बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि पहले वो एथेलिटिक्स के प्लेयर थे और 2014 में स्टेट लेवल ब्लाइन्ड क्रिकेट खेलना शुरू किया. उन्होंने कहा कि तभी से मेरे मन में यह बात थी कि एक दिन इंडिया टीम की जर्सी पहननी है और वर्ल्ड कप जीतकर लाना है. तीन साल कड़ी मेहनत करने के बाद भारतीय टीम में मेरा चयन हुआ. बांग्लादेश और दुबई में सीरीज खेला और अच्छा प्रदर्शन करने की हमेशा कोशिश की. उसके बाद 2022 में मुझे विश्व कप खेलने का मौका मिला. टीम मीटिंग में भी यही बात होती थी कि मुकाबला भारत में हो रहा है इसलिए जीतना ज्यादा जरूरी है.

”क्रिकेट के क्षेत्र मेरे आने का बड़ा श्रेय मेरे स्कूल को”

आगे उन्होंने कहा कि क्रिकेट के क्षेत्र मेरे आने का बड़ा श्रेय मेरे स्कूल को भी जाता है. उन्होंने बताया कि इस तरह की गतिविधि हमेशा से स्कूल में हुआ करती थी, वहीं से मेरे भीतर खेल के प्रति प्यार जगा है. साथ ही उन्होंने बताया कि विमन ब्लाइन्ड नेशनल क्रिकेट मैच में भी झारखंड की खिलाड़ी है बस उम्मीद है वो बेहतर प्रदर्शन करेंगी. उन्होंने कहा कि मुकाबले से पहले जब खेल मंत्री से मुलाकात हुई थी तो मैंने उनको आश्वस्त किया था कि कप हम ही जीतेंगे.

Also Read: मिलिए, झारखंड के जसप्रीत बुमराह से, मिट्टी के घर में रहने वाले ब्लाइंड क्रिकेटर का ऐसा रहा है सफर
”दिव्यांग को कोई कमजोर ना समझे”

उन्होंने कहा कि दिव्यांग को कोई कमजोर ना समझे. दिव्यांगों के भीतर भी कई हुनर होते है बस कुछ मजबूरियों की वजह से वह आगे नहीं आ पाते है. जो अवसर उन्होंने मिलने चाहिए कई बार वो नहीं मिल पाता है. उन्होंने अवसर दिया जाना चाहिए. कई इलाकों में दिव्यांग को जानकारी का अभाव है. उन्हें यह भी नहीं पता कि उनका स्कूल है. इस क्षेत्र में राज्य और केंद्र सरकार को ध्यान देने की जरूरत है ताकि हुनर निकलकर सामने आए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें