रांची में किताब उत्सव, साहित्यकार महादेव टोप्पो बोले,हिन्दी का बौद्धिक स्तर बढ़ाने में राजकमल की है अहम भूमिका

रांची में किताब उत्सव 24 दिसंबर तक चलेगा. 19 दिसंबर को अपराह्न 3 बजे से आयोजित कार्यक्रम के 'हमारा झारखंड हमारे गौरव' सत्र में हिन्दी की पहली आदिवासी कवयित्री सुशीला सामद को याद किया जाएगा.

By Guru Swarup Mishra | December 18, 2023 9:41 PM

रांची: झारखंड के वरिष्ठ साहित्यकार महादेव टोप्पो ने कहा कि इधर लंबे समय से ऐसा हो रहा था कि किताबों को लेकर कोई आयोजन नहीं हो रहा था. ऐसे में राजकमल की यह पहल बहुत ही सराहनीय है. उन्हें आठवीं कक्षा से राजकमल की किताबें पढ़ने का सौभाग्य मिला है. आज वे जो कुछ भी हैं, उसमें राजकमल से प्रकाशित किताबों (साहित्य) की अहम भूमिका है. राजकमल प्रकाशन समूह और डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार से रांची में किताब उत्सव का आगाज हुआ. आपको बता दें कि किताब उत्सव 24 दिसंबर तक चलेगा. 19 दिसंबर को अपराह्न 3 बजे से आयोजित कार्यक्रम के ‘हमारा झारखंड हमारे गौरव’ सत्र में हिन्दी की पहली आदिवासी कवयित्री सुशीला सामद को याद किया जाएगा.

आदिवासी लेखन और साहित्य को पूरी दुनिया में पहुंचाना है उद्देश्य

राजकमल प्रकाशन के प्रतिनिधि धर्मेंद्र सुशांत ने कार्यक्रम की शुरुआत में सबका स्वागत करते हुए कहा कि इस किताब उत्सव के माध्यम से राजकमल प्रकाशन समूह का उद्देश्य है कि आदिवासी लेखन और साहित्य को पूरी दुनिया में पहुंचाया जाए. प्रो रमेश शरण ने कहा कि राजकमल प्रकाशन को बधाई कि वो आदिवासी साहित्य को सबके सामने लेकर आ रहा है. प्रो ज्योति लाल उरांव ने कहा कि राजकमल प्रकाशन ने रांची में किताब उत्सव का आयोजन करके बहुत ही साहसिक काम किया है. हमारा आदिवासी समाज आज भी उपेक्षित है. उसमें उत्तम साहित्य लिखे जाते रहे हैं लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता. इस मामले में राजकमल प्रकाशन ने यह बड़ा आयोजन किया है.

Also Read: VIDEO: टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट में शास्त्रीय संगीत पर क्या बोलीं पद्मश्री शुभा मुद्गल?

किताब उत्सव का आयोजन स्वागतयोग्य कदम

दयामनी बारला ने आदिवासी साहित्य और संस्कृति पर कहा कि वे राजकमल को धन्यवाद देना चाहती हैं कि उन्होंने इतना बड़ा आयोजन रांची में किया है. जब तक झारखंड में जंगल, जमीन रहेंगे, पहाड़ और नदी रहेगी, तब तक यहां के लेखक और कवि लिखते रहेंगे. वरिष्ठ साहित्यकार वाल्टर भेंगड़ा ने लेखन की चुनौतियों पर कहा कि लेखन कर्म बहुत ही चुनौतियों से भरा हुआ है. ऐसे में राजकमल प्रकाशन ने किताब उत्सव जैसा एक बड़ा कदम उठाया है, जो स्वागत योग्य है.

Also Read: झारखंड लिटरेरी मीट : ‘राग दरबारी के पचपन साल पर क्या बोलीं ममता कालिया…

अपनी भाषा में लिखने का करते रहें प्रयास

आदिवासी विमर्श की लेखिका वंदना टेटे ने कहा कि आज बहुत अच्छा दिन है. हिंदी साहित्य का सबसे बड़ा प्रकाशन है राजकमल प्रकाशन समूह और उसका यह आयोजन सराहनीय है. झारखंड में 32 जनजातीय समुदाय हैं, जिनमें से 5 समुदायों के लेखकों की रचनाएं अक्सर सामने आती हैं. हमें कोशिश करनी चाहिए कि बाकी समुदायों की रचनाएं भी सबके सामने आएं. हरि उरांव ने कहा कि झारखंड के लिए यह बहुत बड़ा अवसर है कि राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है. कृष्ण चंद्र टुडू ने कहा कि हम सभी को अपनी भाषा में लिखने का प्रयास करते रहना चाहिए. कार्यक्रम का संचालन त्रिनिशा तरुण ने किया व धन्यवाद यापन रामदयाल मुंडा शोध संस्थान की डिप्टी डायरेक्टर मोनिका रानी टूटी ने किया.

Also Read: झारखंड: सीबीआई की पलामू में रेड, पोस्टल असिस्टेंट संजय गुप्ता 15 हजार रिश्वत लेते अरेस्ट

याद की जाएंगी हिन्दी की पहली आदिवासी कवयित्री सुशीला सामद

आपको बता दें कि किताब उत्सव 24 दिसंबर तक चलेगा. 19 दिसंबर को अपराह्न 3 बजे से आयोजित कार्यक्रम के ‘हमारा झारखंड हमारे गौरव’ सत्र में हिन्दी की पहली आदिवासी कवयित्री सुशीला सामद को याद किया जाएगा. दूसरे सत्र में आदिवासी इतिहास लेखन : कठिनाइयां और संभावनाएं विषय पर परिचर्चा होगी. तीसरे सत्र में युवा आदिवासी कवियों जसिंता केरकेट्टा, अनुज लुगुन और पार्वती तिर्की की कविताओं पर बातचीत होगी.

Also Read: झारखंड में आठ हजार को मिलेगी सरकारी नौकरी, सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में बोले सीएम हेमंत सोरेन

Next Article

Exit mobile version