भारत में हार्ट अटैक के बाद ब्रेन स्ट्रोक मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह, रिम्स के डायरेक्टर डॉ राजकुमार

हार्ट अटैक के बाद ब्रेन स्ट्रोक भारत में मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है. प्रति लाख व्यक्ति में 145 लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता है. यह चिंता की बात है. यह कहना है कि रिम्स के निदेशक डॉ राजकुमार का. डॉ राजकुमार का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू यहां देखें.

By Mithilesh Jha | April 6, 2024 9:20 PM
an image

भारत में हार्ट अटैक के बाद ब्रेन स्ट्रोक मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है. देश में स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं. हमारे देश में एक लाख लोगों में 145 को ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है. यह बहुत बड़ी संख्या है. अगर दुनिया भर की बात करें, तो 60 साल की उम्र के बाद हार्ट अटैक के बाद सबसे ज्यादा मौतें ब्रेन स्ट्रोक से हो रहीं हैं. इसलिए लोगों को इसके बारे में जागरूक होना चाहिए.

ऐसा है हमारा ब्रेन, खून की न हो सप्लाई तो मरने लगते हैं सेल

ये बातें राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के डायरेक्टर डॉ राजकुमार ने प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहीं. डॉ राजकुमार ने ब्रेन स्ट्रोक के बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही इससे बचने के उपायों के बारे में भी बताया. डॉ राजकुमार ने कहा कि ब्रेन एक ऐसा अंग है, जहां दो मिनट भी ऑक्सीजन की सप्लाई न हो, तो उसके सेल्स मरने लगते हैं. शरीर के अन्य अंगों की तरह ब्रेन के सेल्स फिर से नहीं बनते.

https://www.youtube.com/watch?v=XAVP8bmBLOI

ब्रेन में खून की सप्लाई बंद, तो मरने लगते हैं सेल्स : डॉ राजकुमार

उन्होंने कहा कि शरीर के किसी और अंग में अगर चोट लगती है और घाव हो जाता है, तो कुछ दिनों में वह खुद ही भर जाता है. लेकिन, ब्रेन के साथ ऐसा नहीं होता. रिम्स रांची के निदेशक ने कहा कि ब्रेन में धमनियों का एक नेटवर्क है, जो हर सेल को खून की सप्लाई करता है. अगर कोई धमनी ब्लॉक हो गया, तो उसके आगे खून की सप्लाई बंद हो जाती है. ऐसे में सूजन होती है और सेल्स मरने लगते हैं. उसके आसपास भी सूजन बढ़ता है और आगे भी ऐसा ही होता है. ऐसे में अगर धमनी से या कहीं और से ब्लीडिंग हो जाए, तो इसे ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं.

90 के दशक में पहली बार हुई थी ‘स्ट्रोक इन यंग’ की चर्चा

डॉ राजकुमार ने बताया कि ‘स्ट्रोक इन यंग’ के बारे में 90 के दशक में पहली बार चर्चा शुरू हुई. आज आम लोग भी इसके बारे में जानने लगे हैं. उन्होंने कहा कि पहले 50-60 साल की उम्र के लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता था. अब कम उम्र के लोगों में भी ब्रेन स्ट्रोक के मामले सामने आने लगे हैं. इसकी कई वजह है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लोग खुश तो दिख रहे हैं, लेकिन खुश हैं नहीं.

Also Read : ब्रेन स्ट्रोक का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है हाइ बीपी, जानें अटैक आने पर क्या करें

ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते कारणों के लिए ये हैं जिम्मेदार

रिम्स के निदेशक ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आधुनिकीकरण के इस दौर में लोग खुश तो दिखते हैं, लेकिन हैप्पी इंडेक्स में हमारा देश बहुत पीछे है. इसकी सबसे बड़ी वजह है स्ट्रेस. लोग शरीर को कष्ट देने के लिए तैयार नहीं हैं. गाड़ी से उतरना ही नहीं चाहते. तली-भुनी चीजें खा रहे हैं, शराब और सिगरेट का सेवन कर रहे हैं. ये तमाम चीजें ब्रेन स्ट्रोक की घटनाओं के बढ़ने की वजह हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में युवाओं की भी स्क्रीनिंग अनिवार्य कर दी जानी चाहिए. हो सकता है कि इस पर विचार किया जाए और एक समय ऐसा आए, जब यूथ की स्क्रीनिंग भी अनिवार्य हो जाए.

Also Read : सर्दियों में बढ़ जाता है ब्रेन स्ट्रोक और हैमरेज का खतरा, ब्लड प्रेशर पर रखें नजर

Exit mobile version