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पाहन महासंघ की बैठक में सरहुल की तैयारी पर मंथन

सरहुल पर्व की तैयारी को लेकर पाहन महासंघ झारखंड प्रदेश की बैठक धुमकुड़िया भवन में हुई.

रांची. सरहुल पर्व की तैयारी को लेकर पाहन महासंघ झारखंड प्रदेश की बैठक धुमकुड़िया भवन में हुई. कहा गया कि सरहुल और ईद एक ही दिन है. इसलिए प्रशासन की मध्यस्थता से शांति समिति की बैठक होनी चाहिए. साथ ही सरना स्थलं पर सफाई शुरू करने की मांग की गयी. संघ अध्यक्ष जगदीश पाहन ने कहा कि आदिवासी समाज फगुवा कट जाने के बाद चैत मास को नववर्ष के रूप में मानता है. इसमें, सरहुल से पूर्व नये फल-फूल का सेवन वर्जित हो जाता है. पांच तत्वों की पूजा होती है. पांच प्रकार के मुर्गा-मुर्गी की बलि दी जाती है. एकादशी पर घर-आंगन की सफाई की जाती है. नयी मिट्टी से चूल्हा-चौका बनाया जाता है. द्वितीय को उपवास व्रत रखा जाता है और मछली, केकड़ा पकड़ कर लाया जाता है. शाम को पइनभोरा कुआं या दाड़ी से पानी भर कर लाता है, जिसे पाहन राजा सरना स्थल में जल रखाई पूजा करते हैं. तृतीय को विधिवत सरईं पूजा के दौरान रंगवा मुर्गा, चरका मुर्गा, झिंझींरा मुर्गा, काली मुर्गी और रंगली मुर्गी की बलि चढ़ायी जाती है. राजकीय अवकाश की घोषणा हो : संघ के महासचिव हलधर चंदन पाहन ने कहा कि सरहुल महापर्व झारखंड का राजकीय उत्सव है. पाहन महासंघ ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द विधि व्यवस्था को लेकर शांति समिति की बैठक करायी जाये. पर्व को लेकर राजकीय अवकाश की घोषणा भी की जाये. साथ ही सुरक्षा बलों की विशेष तैनाती के साथ सीसीटीवी और ड्रोन कैमरा लगाने की मांग की गयी. बैठक में संघ के जेवियर पाहन, महेंद्र पाहन, विजय पाहन, बसंत पाहन, सुनील पाहन आदि मौजूद थे.

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