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झारखंड : 16 साल में ही जर्जर हो गया ब्रांबे आवास, मरम्मत संभव नहीं, तोड़ कर नया बनाना ही एकमात्र विकल्प

जर्जर भवन की मरम्मति के लिए स्थानीय लोगों ने प्रशासक को पत्र लिखा था. पत्र में लोगों ने कहा था कि वे यहां पिछले 17 वर्षों से रह रहे हैं. लेकिन, भवन की हालत खस्ता है.

रांची : शहरी बेघरों के लिए राज्य सरकार ने चिरौंदी में 2006-07 में ब्रांबे आवास का निर्माण कराया था. यहां पर कुल 864 फ्लैट बनाया गया था. लेकिन, 17 साल में ही यह आवास जर्जर हो गया है. भवन इतना जर्जर हो गया है कि अब इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती है. ऐसे में इसे तोड़ कर नये सिरे से भवन बनाना ही उचित होगा. रांची नगर निगम के अभियंताओं ने इस संबंध में जांच रिपोर्ट प्रशासक को सौंपी है. मात्र 17 साल में ही भवन के जर्जर होने पर अब इसकी गुणवत्ता पर ही सवाल उठ खड़ा हुआ है. जानकारों की मानें तो एक साधारण मकान की लाइफ 50 साल तक होती है. फिर करोड़ों की राशि खर्च कर बनाया गया यह भवन मात्र 17 साल में ही कैसे कंडम हो सकता है.

लोगों ने की थी मरम्मत कराने की मांग :

जर्जर भवन की मरम्मति के लिए स्थानीय लोगों ने प्रशासक को पत्र लिखा था. पत्र में लोगों ने कहा था कि वे यहां पिछले 17 वर्षों से रह रहे हैं. लेकिन, भवन की हालत खस्ता है. उन्हें यहां रहने में डर लगता है. ऐसे में भवन की मरम्मत करायी जाये.

जांच रिपोर्ट में अभियंताओं ने क्या कहा : 

यहां पर कुल 12 ब्लॉक बने हुए हैं. हर ब्लॉक में 72 फ्लैट है. इस प्रकार से यहां 864 परिवारों के लिए आवास बना हुआ है. वर्तमान में इस भवन के ग्राउंड फ्लोर में जलजमाव है. बाहरी दीवार पांच इंच की है. भवन में एक जगह सीढ़ी गिरी हुई है. एक सीढ़ी रूम भी गिर गया है. भवन के सीलिंग का प्लास्टर जगह-जगह गिर रहा है. इस कारण स्लैब का छड़ भी दिख रहा है. भवन के कई कॉलम एवं बीम भी क्षतिग्रस्त हैं. सीवरेज पाइप, सेप्टिक टैंक, इंस्पेक्शन चेंबर, दरवाजा, खिड़की सभी जर्जर अवस्था में हैं. छत का ओवरहेड टैंक भी जर्जर है. इससे कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है.

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