रांची : ‘भ्रष्टाचार’ हर जगह है और हर जगह घूसखोर बैठे हैं. बिजली का कनेक्शन लेना हो, घर का नक्शा पास करवाना हो, जमीन के कागजात निकलवाने हों या जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना हो, हर जगह रिश्वतखोरों ने अपना जाल फैला रखा है. लेकिन इन घूसखोर लोगों को सजा दिलाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में देश का संविधान और कानून हमारे साथ है.
जरूरत है तो सिर्फ एक संकल्प की. हमें संकल्प लेना होगा कि हम किसी हाल में भ्रष्टाचार नहीं सहेंगे और न ही इसका साथ देंगे. देश में 27 अक्तूबर से 02 नवंबर तक ‘सतर्कता सप्ताह’ मनाया जायेगा. इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ आम आदमी की भागीदारी और जागरूकता बढ़ाना है. देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन-जन को मुखर और अधिकार संपन्न बनाना इस सप्ताह का लक्ष्य है.
हर विभाग में एक निगरानी सेल है. इसके अलावा राज्य में भ्रष्टाचार के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और लोकायुक्त में शिकायत की जा सकती है. वहीं, केंद्रीय उपक्रमों व संस्थानों से जुड़ी शिकायत आमलोग सीबीआइ से कर सकते हैं. राज्य में सरकारी आंकड़े बताते हैं कि यूं तो हर जगह भ्रष्ट लोग बैठे हैं, लेकिन भू-राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार के मामले सबसे ज्यादा सामने आये हैं.
भ्रष्टाचार में संलिप्त कर्मचारियों से लेकर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों, अभियंताओं, पुलिस पदाधिकारियों को एसीबी ने सलाखों के पीछे पहुंचाया है. वर्ष 2001 से अब तक एसीबी में रिश्वतखोरी से जुड़े ट्रैप के 800 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे 99 प्रतिशत से अधिक मामलों में एसीबी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कर चुकी है.
वर्तमान में एसीबी में 115 मामलों की जांच की जा रही है. पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने के आरोप में दो आइएएस अफसरों के खिलाफ भी एसीबी ने चार्जशीट किया है. इनमें से पेड़ कटाई से जुड़े मामले में एसीबी पूर्व में चार्जशीट कर चुकी है. वहीं, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग में नियुक्ति गड़बड़ी मामले में एसीबी 2012 में आइएएस अधिकारी अलखदेव प्रसाद के खिलाफ भी चार्जशीट कर चुकी है.
वहीं, वन सेवा के कई अधिकारियों के खिलाफ भी न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया जा चुका है. दूसरे विभागों की तुलना में भू-राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार के मामले से जुड़े शिकायत जांच एजेंसी के पास ज्यादा आते हैं.
आप झारखंड में कार्यरत केंद्र सरकार के कार्यालयों और लोक उपक्रमों में व्याप्त भ्रष्टाचार से परेशान हैं, तो इसकी शिकायत सीबीआइ से कर सकते हैं. जिन कार्यालयों या कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की शिकायत सीबीआइ से की जा सकती है, उसमें बैंक, एलआइसी, महालेखाकार कार्यालय, आयकर कार्यालय, डाकघर, बीएसएनएल, सीसीएल, सेल, मेकन आदि शामिल हैं.
केंद्रीय कार्यालयों के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार या घूस मांगे जाने से संबंधित शिकायत सीबीआइ एंटी करप्शन ब्रांच रांची के फोन (94706590422) पर की जा सकती है. शिकायत करने के बाद संबंधित अधिकारियों से निर्धारित समय पर मुलाकात कर मामले की विस्तृत जानकारी दी जा सकती है.
रांची स्थित सीबीआइ की एंटी करप्शन ब्रांच ने कोरोना काल में भी घूस मांगे जाने के सिलसिले में 11 प्राथमिकी दर्ज की. इसमें 10 मामलों में जांच पूरी करने के बाद आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. सीबीआइ ने कोरोना काल में केंद्रीय लोक उपक्रम में रिश्वतखोरी से जुड़े जो मामले दर्ज किये, उनमें दो काफी चर्चित हैं.
सीबीआइ ने जून 2020 में सीसीएल बड़का सियाल के जेनरल मैनेजर प्रशांत वाजपेयी और उनके निजी सचिव अपर्णा चौधरी को 26 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया. प्रशांत वाजपेयी अपने निजी सचिव के माध्यम से घूस ले रहे थे. वहीं, सीबीआइ रांची ने सितंबर में एनटीपीसी बड़कागांव के मैनेजर (सेफ्टी) सागर सिंह मीणा को चेक के जरिये तीन लाख रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया था.
यह अधिकारी कोरोना में कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कोलकाता की एक कंपनी से खरीदे गये पीपीइ किट, सेनैटाइजर, मास्क आदि के भुगतान के बदले घूस ले रहा था.
सीबीआइ, रांची के फोन नंबर 94706590422 पर कर सकते हैं शिकायत
सीबीआइ के अधिकारियों से निर्धारित समय पर मुलाकात कर दे सकते हैं जानकारी
posted by : sameer oraon