ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिश्नर को भाया झारखंड, प्रभात खबर ऑफिस में बोले- ब्रिटेन के लोग भी देखें यहां की खूबसूरती

ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिश्नर एंड्रयू फ्लेमिंग झारखंड में हैं. रांची यात्रा के दौरान एंड्रयू गुरुवार की शाम प्रभात खबर कार्यालय पहुंचे. प्रमुख संवाददाता विवेक चंद्र ने उनसे लंबी बातचीत की. पेश है मुख्य अंश-

By Prabhat Khabar News Desk | December 22, 2023 10:02 AM

पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के ब्रिटिश उप उच्चायुक्त एंड्रयू फ्लेमिंग ब्रिटिश सिविल सेवा में 1986 बैच के अफसर हैं. अब तक 117 देश घूम चुके एंड्रयू भारत के 19 राज्यों का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने युगांडा, घाना और नाइजीरिया में ब्रिटिश सरकार के पदाधिकारी की भूमिका निभायी है. वहीं, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में कार्यरत रहे हैं. अब पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के लिए नयी भूमिका में एंड्रयू ब्रिटेन और भारत की साझा प्राथमिकताओं को पूरा करना चाहते हैं. रांची यात्रा के क्रम में एंड्रयू गुरुवार की शाम प्रभात खबर कार्यालय पहुंचे. प्रमुख संवाददाता विवेक चंद्र ने उनसे लंबी बातचीत की. पेश है मुख्य अंश-

ब्रिटिश उप उच्चायुक्त एंड्रयू फ्लेमिंग ने ब्रिटिश हाई कमीशन की भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि भारत-यूके 2030 का रोडमैप तैयार करना है. दोनों देशाें के रिश्ते बेहतर करते हुए इकोनॉमी को सशक्त बनाने का प्रयास करना है. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक संख्या में भारत के लोगों को यूके व यूके के लोगों को भारत यात्रा के लिए प्रेरित करना है. भारत में ब्रिटिश हाई कमीशन के सात कार्यालय हैं. यह सबूत है कि यूके भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने में विश्वास रखता है. दोनों देशों की साझा प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए ठोस संबंध स्थापित करने का प्रयास हो रहा है. उन्होंने झारखंड की चर्चा करते हुए कहा कि झारखंड का मौसम बेहतरीन है. यहां की हवा शुद्ध है. लोग अच्छे हैं. यहां की भौगोलिक बनावट की वजह से प्रकृति का नजारा शानदार है. मैं चाहूंगा कि ब्रिटेन से अधिक से अधिक संख्या में लोग झारखंड आयें और यहां की प्राकृतिक व नैसर्गिक खूबसूरती देखें.

खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में

एंड्रयू फ्लेमिंग ने कहा कि भारत में खेलों के लिए बढ़िया आधारभूत संरचना तैयार की गयी है. शानदार स्टेडियम बनाये गये हैं. लेकिन भारत और यूके के स्टेडियम में बड़ा अंतर है. भारत में स्टेडियम केवल खेलों के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं, जबकि यूके के स्टेडियम साल के 365 दिन व्यस्त रहते हैं. वहां खेलों के अलावा कई अन्य गतिविधियां भी होती रहती हैं. इससे खेलों के लिए बड़ा फंड भी जेनरेट होता है. भारत में ऐसा अहमदाबाद के एक फुटबॉल स्टेडियम में होता है, लेकिन अब तक किसी अन्य ने उसका अनुकरण नहीं किया है. निवेशकों को इस पर विचार करना चाहिए.

भारत और यूके की ब्यूरोक्रेसी

उन्होंने कहा कि भारत में लंबे संघर्ष और काफी मेहनत के बाद लोगों को ब्यूरोक्रेट बनने का मौका मिलता है. इसके लिए कठिन प्रतियोगिता परीक्षा से गुजरना होता है. यूके में ब्यूरोक्रेट के चयन की प्रक्रिया बिल्कुल अलग है. वहां कई लोग विश्वविद्यालय में पढ़ाई पूरी करने के पहले भी सिविल सेवा में जा सकते हैं. लंबे समय तक किसी दूसरी नौकरी का अनुभव हासिल करने के बाद भी ब्यूरोक्रेट बना जा सकता है. परंतु, दोनों देशों के ब्यूरोक्रेट्स में अपने देश व अपने लोगों की बेहतरी के लिए काम करने की इच्छा एक समान है.

यूके में उच्च शिक्षा का मौका

झारखंड भारत का पहला राज्य है, जहां फ्लैगशिप स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत जरूरतमंद मेधावी विद्यार्थियों को यूके के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका दिया जा रहा है. उनके लिए वहां जाने के लिए वीजा, टिकट से लेकर पढ़ने, रहने व खाने तक की नि:शुल्क व्यवस्था की जा रही है. मास्टर्स प्रोग्राम के अलावा शॉर्ट टर्म प्रोफेशनल कोर्स में भी छात्रों को मौका दिया जा रहा है. साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में कोर्स कराया जा रहा है. आइआइएम रांची और रांची विवि के भी यूके के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ कॉलेब्रेशन पर भी बातचीत चल रही है.

क्रिकेट के बारे में

भारत में क्रिकेट बहुत लोकप्रिय है. टी-20 और वन-डे ने क्रिकेट को बड़ी संख्या में दर्शक दिये हैं. यह दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. फरवरी महीने में रांची इंडिया-इंग्लैंड टेस्ट मैच की मेजबानी करेगी. मैच का आनंद उठाने के लिए ब्रिटिश नागरिक भी रांची में होंगे. यह एक मौका है ब्रिटिश लोगों को झारखंड की खूबसूरती दिखाने का. कई ब्रिटिश कंपनियां और विश्वविद्यालय भारत में अपनी शाखा खोलने में रुचि ले रहे हैं. उम्मीद है उनको झारखंड पसंद आयेगा.

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