रांची. रिम्स में बीएसएल थ्री ग्रेड का लैब तैयार हो गया है. इसके लिए मशीन मंगाने की प्रक्रिया चल रही है. इस लैब के शुरू होने से टीबी मरीजों की पहचान सही समय पर हो सकेगी. यह लैब एमडीआर (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस) टीबी के मरीजों का प्रसार रोकने में सहायक होगा. वहीं, इस अत्याधुनिक लैब में टीबी की गुणवत्तापूर्ण जांच होगी. जांच करने वाले टेक्नीशियन भी सुरक्षित रहेंगे. इस लैब का निर्माण 1.25 करोड़ से किया गया है. यह राज्य का तीसरा लैब होगा. रिम्स अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने गुरुवार को लैब का निरीक्षण किया और जांच की पूरी प्रक्रिया की जानकारी ली.
वर्तमान में इटकी टीबी सेनेटोरियम और धनबाद मेडिकल कॉलेज में यह लैब स्थापित है. हालांकि, धनबाद में लैब अभी बंद है. इस लैब को केंद्र सरकार के सहयोग से देश के सभी राज्यों में स्थापित किया जा रहा है. इसे टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत स्थापित किया जा रहा है. यहां जांच में यह पता किया जायेगा कि टीबी मरीजों में दवाएं आखिर क्यों काम नहीं कर पा रही हैं. लैब में सैंपल लेने से लेकर जांच करने की पूरी प्रक्रिया ऑटोमेटिक है. लैब में जीरो बैक्टीरिया के लिए कर्मचारियों को बीएसएल थ्री लैब की गाइडलाइन का पालन करना होगा.बोले अधिकारी
बीएसएल थ्री स्तर का लैब टीबी मरीजों की पुष्टि के लिए तैयार किया गया है. इसमें एमडीआर टीबी के मरीजों की पहचान के साथ ही ड्रग रेसिस्टेंट का पता भी किया जायेगा. यह राज्य का तीसरा लैब होगा. मशीन मंगाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. टीबी मुक्त भारत के लिए इसे स्थापित किया जा रहा है.डॉ मनोज कुमार, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलाॅजीB
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