सीएम हेमंत सोरेन ने बजट को बताया पूंजीपतियों को सहूलियत वाला, अर्जुन मुंडा बोले- अमृत काल
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा है कि मध्यम वर्ग को सहारा देने के लिए भी सिर्फ शिगूफा छोड़ा गया है. सात लाख वाली नयी टैक्स नीति से लोगों ने क्या खोया क्या पाया वह बाद में समझ में आयेगा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश केंद्रीय बजट 2023-24 पर कहा कि वह एक आशावादी व्यक्ति हैं. कोरोना काल के बाद प्रस्तुत इस वर्ष के बजट से उनके जैसे करोड़ों आदिवासी, दलित, पिछड़े, किसान, युवा, महिला और मजदूर उम्मीद लगाये हुए थे. उम्मीद थी कि स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जो कि कोरोना महामारी के समय सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे, उसको लेकर विशेष प्रबंध किये जायेंगे. हमें उम्मीद थी कि जीएसटी कंपनसेशन के लिए समय बढ़ाया जायेगा. लेकिन, आशा के विपरीत शिक्षा, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण भारत की जीवन रेखा मनरेगा के बजट में कटौती की गयी है.
सिर्फ शिगूफा छोड़ा गया है : सीएम ने कहा है कि मध्यम वर्ग को सहारा देने के लिए भी सिर्फ शिगूफा छोड़ा गया है. सात लाख वाली नयी टैक्स नीति से लोगों ने क्या खोया क्या पाया वह बाद में समझ में आयेगा. बचत को हतोत्साहित करने वाला यह बजट गरीब और मध्यम वर्ग के भविष्य को भी असुरक्षित करनेवाला है.
नौकरी, रोजगार, महंगाई आदि विषय पर चुप्पी चिंताजनक : मुख्यमंत्री ने कहा कि नौकरी, रोजगार, महंगाई आदि विषय पर बजट की चुप्पी चिंताजनक है. विभिन्न कृषि उत्पादों पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने पर कोई चर्चा नहीं की गयी है. मुझे तो लगता है कि उन्होंने (केंद्र सरकार) मान लिया है कि इनके घोषणा करने मात्र से ही किसानों की आय दो गुनी हो गयी है.
झारखंड की नजर से क्या है, ढूंढने का प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम तो झारखंड की नजर से इसमें अपने राज्य के लिए क्या किया गया है, वह ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं. देश को प्रति किलोमीटर रेल पटरी के आधार पर सबसे ज्यादा मुनाफा कमा कर देने वाले हैं हम, ऐसे में यात्री रेल के परिचालन का दायरा बढ़ना चाहिए था, हमें नयी रेल लाइन मिलनी चाहिए थी, नयी ट्रेन मिलनी चाहिए थी. एयरपोर्ट युग से किनका भला होगा, वह हम समझते हैं.
अर्जुन मुंडा ने कहा : यह वाकई अमृत काल का बजट है
जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह वाकई अमृत काल का बजट है. पहली बार जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पीएमपीवीटीजी विकास मिशन शुरू किया जायेगा, ताकि पीवीटीजी बस्तियों को मूलभूत सुविधाओं से परिपूर्ण किया जा सके. अगले तीन वर्षों में योजना को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जायेंगे.
अगले तीन साल में एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों में 38,800 अध्यापकों व सहयोगी स्टाफ की नियुक्ति की जायेगी. वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के लिए मिशन शुरू किया जायेगा, इसके लिए जागरूकता निर्माण, प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में 0-40 वर्षों में सात करोड़ लोगों की सार्वभौमिक जांच और परामर्श की आवश्यकता होगी. इस बजट की सात प्राथमिकताएं हैं, जो सप्तऋषि की तरह अमृतकाल के दौरान मार्गदर्शन करेंगी.