इनकम टैक्स पर निर्मला सीतारमण के बजट से झारखंड चैंबर की उम्मीदें, वित्त मंत्रालय को दिये कई सुझाव

Budget Expectations: फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आम बजट 2025 से पहले इनकम टैक्स के कई प्रावधानों में सुधार का सुझाव केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दिया है. जानें चैंबर ने क्या-क्या सुझाव दिए हैं.

By Mithilesh Jha | January 31, 2025 1:26 PM

Budget Expectations Income Tax: केंद्रीय बजट से पहले झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इनकम टैक्स कानून से जुड़ी समस्याओं के बारे में बताया है. साथ ही उसके समाधान भी सुझाये हैं. चैंबर के अध्यक्ष परेश गट्टानी और महासचिव आदित्य मल्होत्रा ने प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) से बातचीत में कहा कि चैंबर ने धारा 194टी के कारण कर संग्रहण में देरी के संबंध में अपनी चिंता जाहिर की है और इस संबंध में अपने सुझाव भी दिये हैं. चैंबर के दोनों शीर्ष पदाधिकारियों ने कहा कि धारा 194टी के लागू होने से अनजाने में टैक्स कलेक्शन में देरी हो सकती है. आमतौर पर साझेदारी फर्मों के पार्टनर्स वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में एडवांस टैक्स का भुगतान करने में आगे रहे हैं. यह सुनिश्चित करता है कि सरकार को समय से पहले रेवेन्यू मिल जाए. हालांकि, धारा 194टी के तहत टीडीएस की कटौती के साथ, भागीदार वित्तीय वर्ष के अंत तक इंतजार करने का विकल्प चुन सकते हैं, क्योंकि अधिकांश साझेदारी कंपनियां वर्ष के अंत में वेतन और ब्याज का भुगतान करती हैं. अगर ऐसा होगा, तो टीडीएस कई चरणों के बाद जमा होगा, जिससे सरकार का कैश फ्लो प्रभावित होगा.

पार्टर्नर्स के ट्रांजैक्शंस पर टीडीएस काटना फर्मों पर अतिरिक्त बोझ

इस कानून के अनुपालन पर प्रभाव और फर्मों पर बोझ के बारे में भी वित्त मंत्री को अवगत कराया गया है. कहा गया है कि भागीदारों को विभिन्न ट्रांजैक्शंस पर टीडीएस काटने की बाध्यता साझेदारी फर्मों के लिए एक अतिरिक्त बोझ है. इससे प्रशासनिक बोझ बढ़ सकता है, खासकर छोटी और मंझोली कंपनियों पर, जिनके पास इस अतिरिक्त अनुपालन का प्रबंधन करने के लिए उचित इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है.

साझेदार की आय का पता लगाने के लिए वैकल्पिक समाधान

चैंबर ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि इनकम टैक्स की धारा 194टी पर पुनर्विचार करें. चैंबर ने वैकल्पिक समाधान का भी प्रस्ताव किया है. कहा है कि यह समय पर टैक्स कलेक्शन सुनिश्चित करते हुए आय का पता लगाने के सरकार के उद्देश्य के अनुरूप होगा. सुझाव में कहा गया है कि ऑडिटेड पार्टनरशिप फर्म का आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय निम्नलिखित जानकारी को वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) और करदाता सूचना सारांश (टीआईएस) में शामिल किया जाए :-

  • ब्याज से आय : प्रत्येक भागीदार को भुगतान किया गया कुल ब्याज.
  • वेतन से आय : प्रत्येक भागीदार को भुगतान किया गया कुल वेतन.
  • बोनस से आय : साझेदारों को दिया गया कोई भी बोनस.
  • कमीशन से कमाई : साझेदारों को दिया जाने वाला कमीशन.

इस जानकारी को एआईएस/टीआईएस में प्रतिबिंबित करके, सरकार धारा 194टी के तहत टीडीएस की कटौती की आवश्यकता के बिना भागीदारों की आय का प्रभावी ढंग से पता लगा सकती है. आगे कहा है कि जब भागीदार अपना व्यक्तिगत आईटीआर दाखिल करता है, तो यह आय सत्यापन के लिए आसानी से उपलब्ध होगी, जिससे टैक्स भुगतान में देरी किये बिना पारदर्शिता और अनुपालन सुनिश्चित होगा.

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टीडीएस रिटर्न की अंतिम तिथि 31 मई नहीं, 7 मई होनी चाहिए – चैंबर

फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ने कहा है कि अज्ञात कारणों से टीडीएस रिटर्न दाखिल करने की तारीख 31 मई तक बढ़ा दी गई है. नतीजा यह हुआ है कि सभी टीडीएस 10 जून तक रिफ्लेक्ट करते हैं. यह पेशेवरों को सभी अनऑडिटेड रिटर्न दाखिल करने के लिए केवल 50 दिन ही देता है, जो कुल रिटर्न का लगभग 80 प्रतिशत होता है. चैंबर ने कहा है कि बड़ी कंपनियां और सरकारी संस्थाएं सबसे बड़े डिफॉल्टर हैं. टीडीएस रिटर्न देर से दाखिल करने पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है. चाहे वह एक लाख प्रविष्टि वाली बड़ी कंपनी हो या एक प्रविष्टि वाली छोटी इकाई. चैंबर ने सुझाव दिया है कि टीडीएस रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 7 मई होनी चाहिए, ताकि सारा डेटा 15 मई तक उपलब्ध हो जाए. प्रविष्टियों की संख्या के आधार पर जुर्माना लगाया का भी सुझाव दिया है, ताकि गलती करने वालों की देरी से टीडीएस फाइलिंग पर रोक लगे. झारखंड चैंबर ने कहा है कि अगर सरकारी संगठन देर से टीडीएस रिटर्न दाखिल करते हैं, तो संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय की जानी चाहिए.

AIS, TIS और 26AS पर झारखंड चैंबर के सुझाव

झारखंड चैंबर ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 से पेशेवरों को एआईएस और टीआईएस के सभी डेटा को सत्यापित करने की व्यवस्था है, जो जून तक आता रहता है. चैंबर का कहना है कि AIS, TIS और 26AS के सभी डेटा 30 जून तक प्रभावी रूप से उपलब्ध हैं. इसलिए गैर-लेखापरीक्षित रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त तक बढ़ा दी जानी चाहिए.

कानून में बार-बार बदलाव से बढ़ रही परेशानी

झारखंड चैंबर ने कहा है कि आईटी कानून में बार-बार बदलाव हो रहे हैं. पहले यह सिर्फ बजट में होता था. अब कानून बहुत जटिल हो गया है. रिटर्न फॉर्म साल दर साल लंबे होते जा रहे हैं. आईटीआर 7 वरिष्ठ पेशेवरों के लिए भी बड़ी चुनौती पेश कर रहा है. चैंबर ने कहा है कि कानून की सरलता वर्तमान सरकार का आदर्श वाक्य है. इसलिए फॉर्म में बार-बार बदलाव से बचा जाये, क्योंकि अधिकारी और पेशेवर भी इसे समझने में असमर्थ हैं.

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टीडीएस प्रावधान का अनुपालन ‘माउंट एवरेस्ट’ पर चढ़ने जैसा

झारखंड चैंबर ने कहा है कि टीडीएस प्रावधान का अनुपालन करना माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने जैसा है. छोटे और मध्यम वर्ग के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. टीडीएस यू/एस 194क्यू, 194आर और टीसीएस यू/एस 206सी(1एच) ने छोटे और मध्यम व्यवसाय करने वालों का जीवन बहुत कठिन बना दिया है. टीडीएस के तहत लगातार नई व्यवस्था भ्रम पैदा कर रहा है. लोगों की परेशानी भी बढ़ा रहा है. इसलिए टीडीएस के प्रावधान को सरल बनाया जाना चाहिए. 194Q या 206C(1H) को खत्म कर दिया जाना चाहिए.

चैंबर ने कहा है कि कई बार सीपीसी द्वारा रिटर्न की प्रोसेसिंग में त्रुटि सॉफ्टवेयर में गलत कमांड दर्ज करने या कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण हो सकती है. उसके बाद त्रुटि को ठीक कराने में गैर-तकनीकी व्यक्तियों की समस्या बढ़ा देती है. सुधार की प्रक्रिया पहले बहुत सरल थी. इसमें टैक्स पेयर बात को पत्र के रूप में व्यक्त कर सकता था. अब पूरी प्रक्रिया स्वचालित हो गई है, जिसमें हमें जेसन फाइल डाउनलोड करनी होगी. 99 प्रतिशत लोग जेसन फाइल को सुधारना तो दूर, उसे पढ़ भी नहीं पायेंगे. इसलिए चैंबर का सुझाव है कि सुधार प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए. करदाता को न्याय दिलाने के लिए स्पष्टीकरण के लिए रिकॉर्डेड कॉल सुविधा भी शुरू की जा सकती है.

चैंबर ने कहा है कि 143(1)(ए) नोटिस का उत्तर भी केवल 500 अक्षरों की अनुमति देता है. किसी अनुलग्नक की अनुमति यह नहीं देता. इसलिए सुझाव होगा कि धारा 143(1)(ए) के तहत नोटिस के जवाब में 500 से अधिक अक्षरों की अनुमति दी जाये और एक अनुलग्नक को दोष को तर्कसंगत तरीके से समझाने की अनुमति दी जाये.

3सीडी फॉर्म का खंड 44 एक ऐसे प्रारूप में भारी भरकम जानकारी मांगता है, जिसे 95 प्रतिशत एसेसी नहीं दे पायेंगे. इस जानकारी का आयकर से कोई संबंध नहीं है. यदि जीएसटी ऑडिट की जरूरत महसूस नहीं की गई थी और एसेसी द्वारा दाखिल आंकड़े स्वत: स्वीकार किये जाते हैं, तो टैक्स ऑडिटर को जीएसटी से संबंधित आंकड़ों को इतने जटिल तरीके से सत्यापित और प्रमाणित करने के लिए क्यों कहा जाता है. खंड 44 को सत्यापित करने में लगने वाला समय अन्य 43 खंडों को सत्यापित करने से अधिक होगा. इसलिए 3सीडी फॉर्म का खंड 44 हटाया जाना चाहिए. एक टैक्स ऑडिटर को एक ही काम में 2 अलग-अलग क्षेत्रों का ऑडिट करने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए. यदि जीएसटी के तहत दाखिल डेटा को चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा सत्यापित किया जाना आवश्यक है, तो जीएसटी ऑडिट शुरू करें.

झारखंड चैंबर ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि बिना किसी व्यावसायिक आय वाले वरिष्ठ नागरिकों को कोई अग्रिम टैक्स नहीं देना होता. लेकिन, यदि उसने बिजनेस से थोड़ी सी भी कमाई कर ली, तो उसे अपनी पूरी कमाई पर एडवांस टैक्स देना होता है. झारखंड चैंबर ने सुझाव दिया है कि वरिष्ठ नागरिकों के मामले में एक निश्चित सीमा तक की व्यावसायिक आय को एडवांस टैक्स से छूट मिलनी चाहिए.

धर्मार्थ ट्रस्ट पंजीकरण और कराधान व्यवस्था का सरलीकरण

धर्मार्थ ट्रस्ट व्यवस्था (अधिनियम + नियम + प्रपत्र) को सरल बनाने की आवश्यकता भी झारखंड चैंबर ने जताई है. कहा है कि साल दर साल व्यवस्था में लगातार बदलाव से कर देनदारी का अनुपालन और निर्धारण जटिल हो जाता है. ट्रस्ट की कुल आय की गणना और प्रक्रियाओं के अनुपालन को सरल बनाया जाना चाहिए. साथ ही, ट्रस्टों से संबंधित प्रावधानों में विसंगतियों को भी दूर करने की जरूरत है. उदाहरण के लिए, धारा 12ए(1)(बीए) के लिए आवश्यक है कि ट्रस्टों को धारा 139(1) या 139(4) के तहत तय समय के भीतर धारा 139(4ए) के तहत आय का रिटर्न दाखिल करना चाहिए. हालांकि, धारा 13(9) में प्रावधान है कि धारा 11(2) के तहत संचित आय पर छूट नहीं मिलेगी, अगर वह व्यक्ति धारा 139(1) के तहत नीयत तारीख पर या उससे पहले आय का रिटर्न प्रस्तुत नहीं करता है.

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